TRF Terrorist Organization: अमेरिका ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया है।
इसे अब विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) की सूची में शामिल कर लिया गया है।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शुक्रवार को इस फैसले की घोषणा करते हुए बताया कि TRF ने 22 अप्रैल 2025 को भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी।
TRF लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा और प्रॉक्सी संगठन है, जिसने भारत में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है।
यह कार्रवाई राष्ट्रपति ट्रंप के उस आह्वान का परिणाम है, जिसमें उन्होंने पहलगाम हमले के लिए न्याय की मांग की थी।
यह कदम अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
TRF को आतंकी संगठन घोषित करने का महत्व
FTO (Foreign Terrorist Organization) लिस्टिंग का मतलब है कि अमेरिका अब TRF को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के लिए खतरा मानता है। इसके दो मुख्य प्रभाव होते हैं:
- कानूनी शिकंजा: TRF को धन, हथियार या किसी भी प्रकार की सहायता देने वालों पर अमेरिका में कानूनी कार्रवाई होगी। यह किसी भी अमेरिकी नागरिक या संस्था के लिए गैरकानूनी होगा।
- राजनयिक प्रभाव: इससे अमेरिका और भारत के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को मजबूती मिलेगी और अन्य देशों पर भी TRF के खिलाफ कदम उठाने का दबाव बनेगा।
SDGT (Specially Designated Global Terrorist) की सूची में शामिल होने का मतलब है:
- आर्थिक प्रतिबंध: TRF की अमेरिका में मौजूद सभी संपत्तियां जब्त हो जाएंगी और किसी भी अमेरिकी व्यक्ति या संस्था को उससे किसी भी लेन-देन की अनुमति नहीं होगी।
- वैश्विक फंडिंग पर रोक: इस लिस्टिंग के बाद TRF के लिए वैश्विक वित्तीय नेटवर्क तक पहुंच मुश्किल हो जाएगी। विश्वभर के बैंक और संस्थान इससे दूरी बना लेंगे, जिससे इसकी फंडिंग बाधित होगी।
जयशंकर बोले- आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने TRF पर अमेरिकी प्रतिबंध का स्वागत करते हुए कहा कि यह दोनों देशों के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग की मजबूत पुष्टि है।
उन्होंने X पर लिखा, TRF को विदेशी आतंकी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी घोषित करना आतंकवाद के खिलाफ हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आतंकवाद के लिए जीरो टॉलरेंस।
TRF की भूमिका और पहलगाम हमला
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए थे, इस हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली थी।
TRF ने बयान में आरोप लगाया था कि भारत सरकार कश्मीर में मुस्लिमों को बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक में बदल रही है।
हालांकि, चार दिन बाद 26 अप्रैल को TRF ने इस जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनकी वेबसाइट हैक कर ली गई थी और यह बयान फर्जी था।
TRF के प्रवक्ता अहमद खालिद ने कहा कि संगठन का हमले से कोई लेना-देना नहीं है।
TRF: लश्कर का नया नाम और रणनीति
TRF, लश्कर-ए-तैयबा का ही एक प्रॉक्सी संगठन है, जिसे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटने के बाद 2019 में अस्तित्व में लाया गया।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, यह संगठन खासतौर पर हाइब्रिड आतंकवाद की रणनीति अपनाता है।
यह स्थानीय युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल करता है, जो आम नागरिकों जैसे दिखते हैं और समाज में आसानी से छुप जाते हैं।
TRF पर भारतीय सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हमलों के अलावा सीमा पार से ड्रग्स और हथियारों की तस्करी जैसे गंभीर आरोप हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने ही लश्कर की मदद से TRF की नींव रखी थी।
इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए जा सकें और आतंकवाद को स्थानीय विद्रोह की शक्ल में दिखाया जा सके।
अमेरिका का यह कदम क्यों अहम है?
अमेरिका की यह कार्रवाई ऐसे समय में आई है जब वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
FTO और SDGT लिस्टिंग से TRF जैसे संगठनों की कमर तोड़ने में मदद मिलेगी।
साथ ही, पाकिस्तान पर भी अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा कि वह अपनी जमीन पर पलने वाले आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करें।
TRF को आतंकी संगठन घोषित करना भारत-अमेरिका के बीच की साझेदारी और समझदारी दिखाता है।
यह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर सख्ती का संकेत है।
साथ ही यह भी दर्शाता है कि आतंक के खिलाफ लड़ाई अब केवल किसी एक देश की नहीं, बल्कि वैश्विक प्राथमिकता बन चुकी है।
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