Hindu Murdered in Bangladesh

Hindu Murdered in Bangladesh

यूनुस से नहीं संभल रहा बांग्लादेश! अज्ञात लोगों ने हिंदू नेता को पीट-पीटकर उतारा मौत के घाट

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Hindu Murdered in Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

ताजा मामला बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले से सामने आया है, जहां हिंदू समुदाय के एक प्रमुख नेता भाबेश चंद्र रॉय की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।

इस घटना ने बांग्लादेश की अंतरिम यूनुस सरकार की कानून व्यवस्था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

दिनदहाड़े अपहरण, फिर पीट-पीटकर हत्या

भाबेश चंद्र रॉय (58) बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद की बीराल इकाई के उपाध्यक्ष थे और स्थानीय हिंदू समुदाय में उनका काफी प्रभाव था।

वह दिनाजपुर के बसुदेवपुर गांव में रहते थे। 11 अप्रैल (गुरुवार) की दोपहर को उनके घर पर दो बाइक पर सवार चार लोग आए और उन्हें जबरन उठाकर नराबाड़ी गांव ले गए

वहां उन्हें बेरहमी से पीटा गया और बाद में बेहोशी की हालत में वैन से घर के बाहर फेंक दिया गया।

इसके बाद दिनाजपुर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया

यूनुस सरकार और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल

बीराल थाने के प्रभारी अधिकारी अब्दुस सबूर ने बताया कि केस दर्ज करने की तैयारी की जा रही है और संदिग्धों की तलाश भी जारी है।

भाबेश की पत्नी शांतना रॉय ने बताया कि घटना से कुछ समय पहले एक अज्ञात कॉल आया था, जिसमें यह पूछा गया कि भाबेश घर पर हैं या नहीं।

शांतना के मुताबिक, वह हमलावरों में से दो को पहचानती हैं।

हालांकि, घटना के 48 घंटे बीत जाने के बावजूद भी पुलिस किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय पुलिस या तो असहाय है या राजनीतिक दबाव में काम कर रही है।

हिन्दुओं के खिलाफ हमले, भारत ने दर्ज कराया विरोध

हिंदू नेता की हत्या पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस बांग्लादेश के दिनाजपुर में हिंदू समुदाय के एक प्रमुख नेता की क्रूर हत्या की कड़ी निंदा करती है। भारत सरकार को इस मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ उठाना चाहिए।

वहीं दूसरी ओर इस घटना को गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार ने बांग्लादेश सरकार के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बयान जारी कर कहा, यह हत्या अंतरिम सरकार के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित उत्पीड़न के एक पैटर्न का हिस्सा है।

हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं और बांग्लादेश सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह बिना किसी भेदभाव के सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।

भारत ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल की घटनाओं पर नैतिक उपदेश देने की जगह बांग्लादेश को अपने यहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।

हिंदुओं के खिलाफ सांख्यिकीय हिंसा के आंकड़े डरावने

भारत के विदेश मंत्रालय ने हाल ही में राज्यसभा में बताया कि अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और तेज़ हो गई।

जहां साल 2022 में ये संख्या मात्र 47 थी, वहीं साल 2023 में 300 घटनाएं हो गई। साल 2024 में 2200 हिंसक घटनाएं दर्ज की गई, जिनमें 700 प्रतिशत की खतरनाक वृद्धि है।

बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट में पेश आंकड़ों ने सभी को हैरत में डाल दिया है।

4 अगस्त 2024 से 31 दिसंबर 2024 के बीच सांप्रदायिक हिंसा में 32 हिंदुओं की जान गई, 133 हिंदू मंदिरों पर हमले हुए और 13 महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामले सामने आए।

काउंसिल के मुताबिक, तख्तापलट के बाद महज 15 दिनों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की करीब 2 हजार घटनाएं हुईं थी।

शेख हसीना का इस्तीफा, तख्तापलट के बाद बिगड़े हालात

5 अगस्त 2024 को छात्र आंदोलनों के दबाव में शेख हसीना सरकार को इस्तीफा देना पड़ा और वह अपना देश छोड़कर भारत आ गईं।

इसके बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनी, जिसकी अगुआई मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं।

लेकिन उनके शासन में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। पुलिस और प्रशासन न केवल निष्क्रिय हैं, बल्कि कई मामलों में तो अंडरग्राउंड हो चुके हैं।

बेकाबू भीड़ के निशाने पर सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक, खासतौर पर हिंदू आए हैं।

11 जनवरी 2025 को बांग्लादेश सरकार ने खुद माना कि तख्तापलट के बाद की हिंसा से संबंधित 1769 केस कन्फर्म हुए हैं।

जिनमें से 1415 मामलों की जांच पूरी हो चुकी है और 354 मामलों का रिव्यू किया जा रहा है।

मगर इतने गंभीर मामलों के बावजूद सिर्फ 70 लोगों को हिरासत में लिया गया है और कुल 88 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जो आंकड़े कार्रवाई की धीमी गति को दर्शाते हैं।

बहरहाल भाबेश चंद्र रॉय की निर्मम हत्या एक बार फिर बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे हमले का मुद्दा गरमा गया है।

अब देखना होगा भारत सरकार इस पर क्या एक्शन लेती और क्या यूनुस सरकार अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा मुहैया करा पाती है या नहीं।

 

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