उमा ने कहा, मैं वह हूं जो चाहूं, तो शराब का नामोनिशान मिटा दूं,
बैतूल। साध्वी उमा भारती ने सोमवार को नया नारा दिया। शराब नहीं, देशी गाय का दूध पीयो। मधुशाला से गौशाला की ओर चलो। मधुशाला बंद करो, गौशाला खोलते जाओ। वह गाय, जिन्हें किसान रखने में समर्थ थे, वह खत्म हो गए। चरवाहे नहीं बचे, गाय को बांधने की जगह नहीं रही।
इन तीनों की व्यवस्था करनी पड़ेगी। गाय सहारा देती है, बोझ नहीं बनती। ऑर्गेनिक खेती मध्यप्रदेश में तेजी से बढ़ी है। इसमें सरकार का योगदान रहा है, जितनी ऑर्गेनिक खेती बढ़ेगी, उतनी ही गाय की रक्षा बढ़ेगी।
उमा ने जल्द ही मध्यप्रदेश में नई शराब नीति लागू होने का भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल जो नीति घोषित हुई थी। उसमें कई खामियां थीं। शिवराज सिंह चौहान का बड़प्पन था कि उन्होंने इसे खुलेआम स्वीकार किया। इसके बाद यह तय किया गया था कि वीडी शर्मा संगठन की तरफ से, शिवराज सरकार की तरफ से.. और मैं जनमानस की तरफ से परामर्श के लिए बैठेंगे। फिर नई शराब नीति आएगी, जिसमें नियंत्रित शराब वितरण प्रणाली होगी।
उसमें खामी नहीं होगी। अभी कई खामियां हैं। जैसे अहातों में बैठकर पिलाना, धर्म स्थलों के पास शराब की दुकान होना, स्कूल से आधा किलोमीटर की दूरी पर शराब की दुकान हो, जो 5 बजे के बाद खुले। मजदूरों की बस्ती के पास शराब की दुकान नहीं होनी चाहिए। स्कूलों, अदालतों, अस्पतालों के पास भी शराब की दुकान नहीं होना चाहिए। वे इंतजार कर रही हैं कि परामर्श के लिए बैठक की जाए।
RELATED STORIES
उमा ने कहा, मैं वह हूं जो चाहूं, तो शराब का नामोनिशान मिटा दूं, लेकिन मैं मान जाती हूं। गम खा जाती हूं। नियंत्रित वितरण प्रणाली हो। बिहार में शराबबंदी लागू है, लेकिन वहां जहरीली शराब से लोग मारे गए। जहरीली शराब का माफिया अलग है।
इसका संबंध शराबबंदी से नहीं है। यह पनपता है। पुलिस-प्रशासन, नेता सब इसकी जेब में पड़े हैं। मैं चाहती हूं कि मध्यप्रदेश शराब नीति में मॉडल बन जाए। उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा कभी नहीं कहा कि उन्हें जान का खतरा है। इस देश में शराब माफिया, खनन माफिया और पॉवर जनरेशन माफिया… यह ऐसे महादैत्य हैं, जो देश को निगल जाने को आतुर हैं, लेकिन मोदी जी इसको समझते हैं। यही मेरे पीछे पड़ गए।
About The Author
You may also like
-
शिवराज के चेहरे और शाह की रणनीति से फिर खिला ‘कमल’
-
अपने काम को दमदारी से रखने का कमलनाथ जैसा साहस किसी ने नहीं दिखाया
-
पत्रकारों की खुले आम हत्या, सरकार और मीडिया दोनों चुप क्यों ?
-
संस्थान और सरकार दोनों पत्रकारों के हत्या पर चुप, क्यों ?
-
राजनेताओं की सत्ता की तरह बहुमत के गणित में कई दशक तक लोगों को उलझाए रखा सट्टा किंग