Bhopal-Indore Metro: मध्यप्रदेश के दो प्रमुख शहरों भोपाल और इंदौर में बन रही मेट्रो सेवा का उद्घाटन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे यह परियोजना राजनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों में उलझती जा रही है।
विवाद की जड़ है तुर्किए की रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनी ASISGUARD जिसे मेट्रो में ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (AFC) लगाने का ठेका दिया गया है।
अब इस कंपनी पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि इसके बनाए ड्रोन पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए गए हैं।
इस आरोप के बाद न केवल राजनीतिक पारा चढ़ गया है, बल्कि सरकार की ओर से भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
ऐसे मिला ASISGUARD को मेट्रो का ठेका
साल 2024 में एमपी मेट्रो कॉर्पोरेशन ने भोपाल और इंदौर मेट्रो में किराया वसूली के लिए AFC सिस्टम की निविदा जारी की थी। इस इंटरनेशनल टेंडर में तीन कंपनियों ने भाग लिया –
- तुर्किए की ASIS इलेक्ट्रॉनिक ब्लिसिम सिस्टमेलेरी (ASISGUARD),
- NEC कॉर्पोरेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड,
- शेलिंग फॉस्क ग्लोबल डिजिटल टेक्नोलॉजी।
230 करोड़ रुपये के इस टेंडर में ASISGUARD ने सबसे कम बोली ₹186.52 करोड़ की लगाई, जबकि NEC इंडिया ने ₹204.57 करोड़ की।
सबसे कम बोली वाली कंपनी होने के कारण ASISGUARD को ठेका दे दिया गया।
इसके तहत कंपनी को भोपाल और इंदौर के कुल 53 मेट्रो स्टेशनों पर किराया वसूली सिस्टम लगाना है, जिसमें कार्ड, क्यूआर कोड, टर्नस्टाइल गेट और सर्वर कनेक्टिविटी शामिल है।
अब तक भोपाल के सुभाष नगर, केंद्रीय स्कूल, डीबी मॉल, एमपी नगर और रानी कमलापति स्टेशनों पर यह सिस्टम लग चुका है।
वहीं डीआरएम तिराहा, अलकापुरी और एम्स में काम जारी है। इंदौर में भी 5 प्रमुख स्टेशनों पर इंस्टॉलेशन हो चुका है।
कंपनी का डिफेंस कनेक्शन आया सामने
ASISGUARD सिर्फ एक IT कंपनी नहीं, बल्कि तुर्की की रक्षा उद्योग में कार्यरत कंपनी है।
यह सशस्त्र ड्रोन, बॉर्डर सिक्योरिटी सिस्टम, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल डिवाइस और मिलिट्री वाहन इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम बनाती है।
कंपनी का प्रमुख उत्पाद है – “Songar” सशस्त्र ड्रोन, जिसे विभिन्न हथियारों के साथ मॉडिफाई किया जा सकता है।
इसकी रेंज 5 किमी तक बताई गई है, और यह ड्रोन आंसू गैस से लेकर असॉल्ट राइफलों और ग्रेनेड लॉन्चर तक से लैस हो सकता है।
9 और 10 मई 2025 को भारतीय सीमा के पास पाकिस्तान की सेना द्वारा ASISGUARD के बनाए ड्रोन के उपयोग की खबरें सामने आईं।
केंद्र सरकार ने भी पुष्टि की कि यह तुर्की कंपनी का उत्पाद है। इसके बाद विवाद और बढ़ गया।
कांग्रेस ने किया मेट्रो ऑफिस का घेराव
इस विवाद पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया कांग्रेस की ओर से देखने को मिली। कांग्रेस ने मेट्रो जीएम अजय गुप्ता को ज्ञापन सौंपा।
पूर्व मंत्री पीसी शर्मा और जेपी धनोपिया के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भोपाल में मेट्रो कार्यालय का घेराव किया।
उन्होंने कहा कि जब यह स्पष्ट है कि तुर्किए की कंपनी के बनाए ड्रोन पाकिस्तान द्वारा भारत पर इस्तेमाल किए गए हैं, तो देश की सुरक्षा को देखते हुए ऐसे ठेके तुरंत रद्द किए जाने चाहिए।
प्रदर्शनकारियों ने ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाए और 7 दिन का अल्टीमेटम दिया कि यदि इस दौरान कंपनी का अनुबंध रद्द नहीं हुआ, तो वे मेट्रो कार्यालय के सामने बड़ा आंदोलन करेंगे।
देशविरोधी तुर्किये की कंपनी को भोपाल इंदौर मेट्रो ठेका देने के विरोध में आज प्रदर्शन किया गया। भारतीय सेना के द्वारा जब ऑपरेशन सिंदूर किया गया तब आतंकवादियों द्वारा जिन टनों गोला बारूद को संग्रह किया था वह तुर्की के थे व मात्र 3 दिनों में तुर्की ने ड्रोन के द्वारा पाकिस्तान को… pic.twitter.com/sPdruiU4Wq
— P. C. Sharma (@pcsharmainc) May 21, 2025
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का कड़ा रुख
नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने 19 मई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा – राष्ट्र सर्वोपरि… भारत विरोधी मानसिकता का कोई स्थान नहीं है।
यदि यह सिद्ध होता है कि कंपनी का भारत विरोधी तत्वों से कोई संबंध है, तो उसका अनुबंध तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाएगा। इस संदर्भ में अधिकारियों को तथ्यों की गहन और निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कंपनी ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भारत की सुरक्षा के खिलाफ कोई कार्य किया है, तो उससे किसी भी प्रकार की सहानुभूति या समर्थन नहीं किया जाएगा।
मेट्रो प्रोजेक्ट पर प्रभाव और असमंजस की स्थिति
यह विवाद ऐसे समय में उठा है जब 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भोपाल से मेट्रो के कमर्शियल रन को हरी झंडी दिखाए जाने की संभावना है।
इंदौर और भोपाल – दोनों शहरों में मेट्रो का कार्य अपने अंतिम चरण में है। अब तक 10 स्टेशनों पर ASISGUARD द्वारा AFC सिस्टम लगाए जा चुके हैं।
ऐसे में यदि कंपनी का अनुबंध रद्द किया जाता है, तो इसका सीधा असर मेट्रो संचालन पर पड़ेगा।
मेट्रो अधिकारियों का कहना है कि यदि ठेका रद्द कर नया टेंडर करना पड़ा, तो इसमें कम से कम 6 महीने का समय लगेगा।
यह टेंडर फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करना होगा। इससे परियोजना में देरी के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी होगा।
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