Bihar 100% Domicile Policy: बिहार की राजनीति में एक बार फिर से स्थानीय बनाम बाहरी की बहस तेज हो गई है।
आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक बड़ा ऐलान किया है कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो राज्य में 100% डोमिसाइल (स्थानीय निवास प्रमाणपत्र आधारित) नीति लागू की जाएगी।
यह बयान बिहार की राजनीति में हलचल पैदा कर चुका है, वहीं इस मुद्दे को लेकर छात्र संगठनों ने भी महाआंदोलन की घोषणा कर दी है।
बिहार में लागू होगी 100% डोमिसाइल नीति
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि उनकी सरकार बनते ही बिहार में 100% डोमिसाइल नीति लागू होगी। उन्होंने लिखा, “जो हमने कह दिया, समझो वह पूरा हुआ!”
आरजेडी के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से तेजस्वी की तस्वीर के साथ पोस्ट किया गया कि उनकी हर बात, हर संकल्प की यही विश्वसनीयता उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है और युवाओं के दिल में स्थान दिलाती है।
इससे पहले मार्च में पटना के मिलर हाई स्कूल मैदान में आयोजित ‘युवा चौपाल’ में भी तेजस्वी ने यही घोषणा की थी।
उन्होंने कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो बिहार में 100% डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी।
तेजस्वी ने झारखंड का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां इसे लागू करने का प्रयास तकनीकी कारणों से विफल रहा था, लेकिन उन्होंने बिहार के लिए कानूनी समाधान खोज लिया है।
तेजस्वी के ऐलान पर भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया
तेजस्वी यादव के इस ऐलान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा, तेजस्वी यादव क्या समझेंगे कि डोमिसाइल नीति क्या होती है और इसका युवाओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
ये बातें हवा-हवाई और गुमराह करने वाली हैं। जब सरकार बननी ही नहीं है तो कुछ भी बोल सकते हैं, कुछ भी वादा कर सकते हैं।
प्रभाकर मिश्रा ने यह भी सवाल उठाया कि अगर बिहार में 100% डोमिसाइल नीति लागू हो गई, तो क्या अन्य राज्य भी अपने-अपने यहां ऐसा ही कदम नहीं उठाएंगे?
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में बिहार के युवा दूसरे राज्यों में सरकारी नौकरियों में कार्यरत हैं, ऐसे में अगर बिहार यह नीति लागू करता है तो दूसरे राज्य भी ऐसा कर सकते हैं और इसका नुकसान बिहार के युवाओं को ही होगा।
बिहार स्टूडेंट यूनियन का 5 जून को महाआंदोलन
इस मुद्दे ने केवल सियासी हलचल ही नहीं बढ़ाई, बल्कि छात्रों को भी आंदोलित कर दिया है।
बिहार स्टूडेंट यूनियन ने आगामी 5 जून को डोमिसाइल नीति को लेकर महाआंदोलन की घोषणा की है।
यूनियन ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर आंदोलन की जानकारी दी है और दावा किया है कि इसमें हजारों छात्र शामिल होंगे।
छात्र नेता दिलीप ने कहा है कि यह आंदोलन बिहार में पारदर्शी डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग को लेकर होगा।
उनका कहना है कि आने वाली सभी सरकारी भर्तियों में डोमिसाइल अनिवार्य किया जाए ताकि बिहार के युवाओं को वाजिब हक मिल सके।
जानें क्या है डोमिसाइल नीति?
डोमिसाइल नीति का उद्देश्य किसी राज्य के स्थानीय निवासियों को नौकरियों, शिक्षा और अन्य सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता देना होता है।
इसके तहत, सरकारी सेवाओं के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को स्थानीय निवास प्रमाणपत्र देना जरूरी होता है। भारत के विभिन्न राज्यों में यह नीति अलग-अलग रूपों में लागू है।
उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र में मराठी भाषी स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाती है और आवेदक को कम से कम 15 साल से वहां रहना अनिवार्य होता है।
उत्तराखंड में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां केवल स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित हैं।
गुजरात, कर्नाटक, असम, और पूर्वोत्तर राज्यों में भी स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता देने के अलग-अलग नियम हैं।
हालांकि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और केरल जैसे राज्यों में ऐसी कोई नीति नहीं है।
डोमिसाइल नीति के फायदे और चुनौतियां
फायदे:
- स्थानीय युवाओं को नौकरी और सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता।
- राज्य की प्रतिभा को बाहर पलायन करने से रोकना।
- सामाजिक और आर्थिक असमानता को कम करना।
चुनौतियां:
- संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 (समानता और अवसर का अधिकार) से टकराव।
- दूसरे राज्यों में नौकरी करने वाले बिहारियों के लिए कठिनाई।
- अन्य राज्यों द्वारा जवाबी नीति लागू करने की आशंका।
- संभावित कानूनी विवाद।
बहरहाल, बिहार में चुनावी सरगर्मियों के बीच डोमिसाइल नीति एक अहम चुनावी मुद्दा बन चुकी है।
जहां राजद इसे युवाओं के हित में क्रांतिकारी कदम बता रही है, वहीं भाजपा इसे राजनीति से प्रेरित और गुमराह करने वाला कह रही है।
अब देखना यह होगा कि 5 जून को होने वाला छात्र आंदोलन इस मुद्दे को किस दिशा में मोड़ता है?
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