Tej Pratap Yadav: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान जल्द होने वाला है। इस बीच सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं।
इसी क्रम में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपनी नई पार्टी के गठन का ऐलान कर दिया है।
उन्होंने पार्टी का नाम रखा है जनशक्ति जनता दल (JJD) और खुद को इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया है।
तेज प्रताप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पार्टी का पोस्टर जारी किया। पार्टी का चुनाव चिन्ह ब्लैक बोर्ड तय किया गया है।
पोस्टर में महात्मा गांधी, भीमराव अंबेडकर, कर्पूरी ठाकुर, राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण की तस्वीरें prominently दिखाई गईं।
लेकिन खास बात यह रही कि पोस्टर में पिता लालू यादव और मां राबड़ी देवी की तस्वीर नहीं है। इसे लेकर राजनीतिक हलकों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
साथ ही पोस्टर में लिखा है – सामाजिक न्याय, सामाजिक हक और संपूर्ण बदलाव। तेज प्रताप ने नारा दिया है – जन-जन की शक्ति, जन-जन का राज, बिहार का विकास करेंगे तेज प्रताप।
हमलोग बिहार के संपूर्ण विकास के लिए पूर्ण रूप से समर्पित और तत्पर हैं। हमारा मकसद बिहार में संपूर्ण बदलाव कर एक नई व्यवस्था का नव निर्माण करना है।
हमलोग बिहार के संपूर्ण विकास के लिए लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।#tejpratapyadav #janshaktijantadal #biharelection pic.twitter.com/GxsQHw0WqQ
— Tej Pratap Yadav (@TejYadav14) September 25, 2025
RJD से निष्कासन के बाद नई राह
तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि उनकी पार्टी बिहार के विकास और बदलाव के लिए पूरी तरह समर्पित है। वे लंबी राजनीतिक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं।
उनके अनुसार, हम कर्पूरी ठाकुर और लोहिया के सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करेंगे और बिहार में नई व्यवस्था का निर्माण करेंगे।
तेज प्रताप यादव की राजनीति हमेशा विवादों में रही है। वे महागठबंधन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं।
हाल ही में एक विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट के चलते उन्हें RJD से बाहर कर दिया गया।
इस पोस्ट में निजी रिश्तों को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। हालांकि बाद में उन्होंने दावा किया कि उनका अकाउंट हैक हुआ था।
पार्टी से बाहर किए जाने के बाद उन्होंने यह नया राजनीतिक मोर्चा खोल दिया है।
कई बार वे अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव से मतभेदों को लेकर भी सुर्खियों में रहे हैं।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नई पार्टी का गठन कहीं न कहीं उनके और परिवार के बीच की दूरी को भी दिखाता है।
गठबंधन की तैयारी पहले से
नई पार्टी का ऐलान करने से पहले ही अगस्त में तेज प्रताप ने पांच छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन का ऐलान किया था। इनमें शामिल हैं:
- विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP)
- भोजपुरिया जन मोर्चा (BJM)
- प्रगतिशील जनता पार्टी (PJB)
- वाजिब अधिकार पार्टी (WAP)
- संयुक्त किसान विकास पार्टी
उस समय उन्होंने कहा था कि यह गठबंधन बिहार में सामाजिक न्याय, अधिकार और संपूर्ण विकास की लड़ाई लड़ेगा।
आज दिनांक: 05/08/2025, स्थान: मौर्य होटल(केसरिया हॉल) में हमारे नेतृत्व में टीम तेज प्रताप यादव के साथ प्रमुख पांच पार्टियों का गठबंधन सह प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
पार्टियों के नाम निम्न हैं:
1. विकास वंचित इंसान पार्टी(VVIP)
2. भोजपुरिया जन मोर्चा(BJM)
3. प्रगतिशील… pic.twitter.com/nkV37t5qrU— Tej Pratap Yadav (@TejYadav14) August 5, 2025
महुआ सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान
तेज प्रताप ने स्पष्ट कर दिया है कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे।
उन्होंने 2015 में इसी सीट से जीत हासिल कर अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी।
2020 में RJD ने उन्हें हसनपुर सीट से चुनाव लड़वाया, लेकिन इस बार वे फिर से महुआ लौटेंगे।
क्या असर होगा बिहार की राजनीति पर?
तेज प्रताप की नई पार्टी से बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ना तय है।
हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि नई पार्टी के लिए जनाधार बनाना आसान नहीं होगा।
लालू यादव और RJD का जो कोर वोट बैंक है, उसे तोड़ पाना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।
दूसरी ओर, पोस्टर से लालू-राबड़ी की तस्वीर गायब होना एक बड़ा राजनीतिक संदेश माना जा रहा है।
यह दिखाता है कि तेज प्रताप अब अपनी अलग राजनीतिक पहचान गढ़ने की कोशिश में हैं।
उनका फोकस सामाजिक न्याय की राजनीति पर है, लेकिन राज्य में पहले से ही RJD इसी एजेंडे के साथ मजबूत स्थिति में है
1 – RJD के वोट बैंक पर सीधा असर
लालू प्रसाद यादव का कोर वोट बैंक हमेशा से यादव और मुस्लिम समुदाय रहा है। तेज प्रताप भी यादव समुदाय से आते हैं।
भले ही उनका जनाधार सीमित है, लेकिन वे RJD के कुछ पारंपरिक वोटों को प्रभावित कर सकते हैं।
खासकर महुआ और आसपास के इलाकों में, जहां उन्होंने पहले राजनीति की है, वहां इसका असर दिख सकता है।
2 – तेजस्वी यादव के लिए चुनौती
अब तक RJD में तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी माना जाता रहा है। तेज प्रताप का नई पार्टी बनाना इस नैरेटिव को तोड़ने की कोशिश है।
वे यह संदेश देना चाहते हैं कि “लालू परिवार में सिर्फ एक ही वारिस नहीं है।” इससे RJD की आंतरिक राजनीति और ज्यादा जटिल हो सकती है।
3 – गठबंधन की राजनीति पर असर
तेज प्रताप पहले ही पांच छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुके हैं। हालांकि ये पार्टियां ज्यादा बड़ी ताकत नहीं हैं, लेकिन मिलकर ये विपक्षी वोटों में सेंधमारी कर सकती हैं।
अगर तेज प्रताप और उनका गठबंधन कुछ सीटों पर भी अच्छा प्रदर्शन करता है तो इसका सीधा नुकसान RJD और महागठबंधन को होगा।
4 – एनडीए को अप्रत्यक्ष फायदा
तेज प्रताप की नई पार्टी और उनके गठबंधन से विपक्षी वोटों का बिखराव हो सकता है। इससे एनडीए (BJP+JDU+अन्य सहयोगी दल) को अप्रत्यक्ष फायदा मिल सकता है।
पहले भी बिहार की राजनीति में छोटे-छोटे दलों ने बड़े चुनावी समीकरणों को प्रभावित किया है।
5 – संपूर्ण बदलाव का नैरेटिव
तेज प्रताप ने “संपूर्ण बदलाव” का नारा दिया है और गांधी-अंबेडकर-लोहिया-जेपी जैसे दिग्गज नेताओं की छवि का सहारा लिया है।
लेकिन राजनीति में सिर्फ नारे काफी नहीं होते। संगठन खड़ा करना, कार्यकर्ताओं को जोड़ना और जनता का भरोसा जीतना बड़ी चुनौती होगी।
कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तेज प्रताप यादव ने नई पार्टी बनाकर सियासी समीकरणों को दिलचस्प बना दिया है।
तेज प्रताप यादव की जनशक्ति जनता दल भले ही अभी एक नई और छोटी राजनीतिक ताकत हो, लेकिन इसका असर चुनावी समीकरणों पर जरूर पड़ेगा।
अब देखना होगा कि उनकी यह पहल क्या उन्हें राजनीतिक जमीन दिला पाती है या यह महज RJD के खिलाफ एक बगावती कदम साबित होगी।
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