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पॉलिटिक्सवाला सीबीआई छापे के भी पहले से कह रहा है कि भदौरिया के कॉलेजों की पूरी जांच होनी चाहिए और इसे सरकार को अपने अधीन ले लेना चाहिए। आखिर सवाल है हजारों छात्रों के भविष्य का।
इंदौर/भोपाल /दिल्ली। मध्यप्रदेश में सीबीआई कार्रवाई के बाद मेडिकल शिक्षा का नेशनल दलाल सुरेश भदौरिया फरार है। इंदौर और देवास के भदौरिया के दोनों मेडिकल कॉलेजों की मान्यता निरस्त करने की तैयारी है। इसी रिश्वत काण्ड में फंसे रावतपुरा सरकार के रायपुर मेडिकल कॉलेज की मान्यता निरस्त
की गई है। अब भदौरिया के कॉलेजों की बारी है।
मेडिकल माफिया भदौरिया का एक कॉलेज इंदौर में #INdex इंडेक्स मेडिकल कॉलेज है तो दूसरा देवास में #amaltas अमलतास मेडिकल कॉलेज है। रिश्वत देकर मान्यता दिलवाने और दूसरे काले कारनामों के लिए सुरेश भदौरिया मेडिकल माफिया गैंग का राष्ट्रीय दलाल है।
रिश्वत काण्ड में सीबीआई जांच में व्यापम के आरोपी भदौरिया के कई खुलासे हुए हैं। ऐसे ही रिश्वत काण्ड में फंसे रायपुर के रावतपुरा मेडिकल कॉलेज के मान्यता रद्द कर दी गई है। नेशनल मेडिकल कमीशन ने रावतपुरा सरकार को ताज़ा सत्र के लिए मान्यता न देते हुए मान्यता निरस्त कर दी है।
रावतपुरा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की कुल 150 सीटें हैं। रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज पर भी आरोप है कि उन्होंने मान्यता के लिए रिश्वत देकर
नेशनल मेडिकल कमीशन टीम से सांठगांठ की है। रावतपुरा से बड़ा रिश्वत का मामला इंदौर के सुरेश भदौरिया के कॉलेजों का है। सीबीआई की रिपोर्ट के
आधार पर इंडेक्स और अमलतास कॉलेज की मान्यता निरस्ती की तैयारी है।
मान्यता निरस्ती से बचने के लिए भदौरिया फरारी में भी मध्यप्रदेश के दो पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों के जरिये लॉबिंग में लगा हुआ है। शनि के यज्ञ के साथ भदौरिया
कुंडली को अपने धन के जरिये सुधारने की कोशिश में है।
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चूँकि इस मामले में रावतपुरा मेडिकल कॉलेज और भदौरिया पर एक जैसे मामले दर्ज है। ऐसे में भदौरिया के कॉलेजों का बच पाना मुश्किल होगा। आखिर कैसे एक जैसे जुर्म में एक को सजा दूसरे को माफ़ी मिल सकती है।
जब रावतपुरा मेडिकल कॉलेज से रिश्वत लेते हुए सीबीआई टीम ने मेडिकल कमीशन की टीम के लोगों को गिरफ्तार किया तब कई बड़े खुलासे पूछताछ में
सामने आये।
इसी पूछताछ में ये सामने आया कि देश भर के चालीस से ज्यादा संस्थान ऐसी ही सेटिंग के जरिये मान्यता हासिल कर रहे हैं। इन सबकी सेटिंग करवाने का
ठेका व्यापम के आरोपी और इंडेक्स के चैरयमनेन सुरेश भदौरिया ने ले रखा है।
इसके बाद सीबीआई टीम ने दो सप्ताह पहले इंदौर में भदौरिया के बंगले पर छापामार कार्रवाई की। कई दस्तावेज जब्त हुए जिससे लेनदेन के बड़े मामले
सामने आये।
भदौरिया की व्यापम, आयुष्मान, कोविड के दौरान फर्जी बिलिंग जैसे घोटाले की भी फाइल दुबारा खुल गई है। इसके अलावा NRI कोटे की सीटें बेचने के आरोपों की भी जांच चल रही है। बताया जा रहा है कि सत्र के दो दो साल पहले ही एडवांस लेकर NRI कोटे की सीटों का सौदा हो रहा था। यानी नीट के पहले ही सीटें बेच दी जा रही है।
सारी कड़ियों को मिलाने से ये साफ़ है कि इस बार भदौरिया का बच पाना नामुमकिन है। फिर भी यदि वो बचता है तो ये सरकार पर भी सवाल होगा।
क्या सरकार माफिया को खुलेआम छात्रों के भविष्य से खेलने देगी।
पॉलिटिक्सवाला सीबीआई छापे के भी पहले से कह रहा है कि भदौरिया के कॉलेजों की पूरी जांच होनी चाहिए और इसे सरकार को अपने अधीन ले लेना
चाहिए। आखिर सवाल है हजारों छात्रों के भविष्य का।
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