Shubhanshu Shukla Return

Shubhanshu Shukla Return

वेलकम बैक भारत के गौरव: 20 दिन बाद अंतरिक्ष से सुरक्षित लौटे शुभांशु शुक्ला, 41 साल बाद किसी भारतीय ने रचा इतिहास

Share Politics Wala News

 

Shubhanshu Shukla Return: 15 जुलाई 2025 की दोपहर भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक स्वर्ण अक्षर जुड़ गया।

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 20 दिन अंतरिक्ष में बिताकर पृथ्वी पर सफलतापूर्वक लौट आए।

स्पेसएक्स के GRACE यान के जरिए शुभांशु और तीन अन्य एस्ट्रोनॉट्स की टीम ने दोपहर 3:00 बजे IST पर कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में सफल स्प्लैशडाउन किया।

यह भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि 41 साल बाद किसी भारतीय ने अंतरिक्ष में कदम रखा।

शुभांशु की वापसी का सफर

14 जुलाई को शाम 4:45 बजे (IST) शुभांशु और उनकी टीम ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से GRACE यान के जरिए पृथ्वी की ओर वापसी शुरू की।

लगभग 23 घंटे के सफर के बाद उनका यान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर गया, जहां इसकी गति 27,000 किमी/घंटा थी।

तापमान 1,600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिसे यान के हीट शील्ड ने सहा।

इसके बाद पैराशूट सिस्टम के जरिए गति धीमी की गई और अंततः 15 जुलाई को दोपहर 3:00 बजे प्रशांत महासागर में GRACE यान की सफल लैंडिंग हुई।

लैंडिंग के समय कुछ क्षणों के लिए यान का संचार बाधित हुआ, जिसे वैज्ञानिक भाषा में ब्लैकआउट पीरियड कहा जाता है।

लेकिन लैंडिंग साइट पर पहले से मौजूद रिकवरी टीमों – नौकाओं और हेलीकॉप्टर्स ने तुरंत चारों एस्ट्रोनॉट्स को सुरक्षित बाहर निकाला।

41 साल बाद भारत ने रचा इतिहास

1984 में राकेश शर्मा के बाद शुभांशु शुक्ला ऐसे पहले भारतीय बने जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की।

शुभांशु की यह यात्रा अमेरिकी प्राइवेट स्पेस कंपनी एक्सियम स्पेस के मिशन Ax-4 (एक्सियम-4) का हिस्सा थी।

इस मिशन में भारत सरकार ने शुभांशु की सीट के लिए 548 करोड़ रुपये चुकाए थे।

यह मिशन NASA, ISRO, स्पेसएक्स और एक्सियम स्पेस की संयुक्त साझेदारी से संचालित हुआ।

इस सफलता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट किया।

“मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का उनकी ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा से पृथ्वी पर वापसी के लिए स्वागत करता हूं। शुभांशु ने अपने समर्पण और साहस से अरबों भारतीयों को प्रेरित किया है। यह गगनयान मिशन की दिशा में एक और मील का पत्थर है।”

20 दिन के मिशन में शुभांशु ने क्या-क्या किया?

60 वैज्ञानिक प्रयोग

शुभांशु ने ISS में 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया। इनमें भारत के 7 प्रमुख प्रयोग शामिल थे। उन्होंने अंतरिक्ष में मेथी और मूंग के बीज उगाने, हड्डियों और मांसपेशियों पर माइक्रोग्रैविटी का असर, और स्पेस माइक्रोएल्गी जैसे प्रयोग किए।

प्रधानमंत्री से संवाद

28 जून को शुभांशु ने अंतरिक्ष से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान शुभांशु ने कहा कि अंतरिक्ष से भारत बेहद भव्य दिखता है।” जब पीएम मोदी ने पूछा कि क्या गाजर का हलवा साथियों को भी खिलाया?” तो शुभांशु ने मुस्कराते हुए जवाब दिया – “हां, सबने मिलकर खाया।”

छात्रों से संवाद

शुभांशु ने तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु और लखनऊ के 500 से अधिक छात्रों से हैम रेडियो के ज़रिए संवाद किया। इसका उद्देश्य था – युवाओं में STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) की ओर झुकाव बढ़ाना।

ISRO से विशेष बातचीत

6 जुलाई को शुभांशु ने ISRO चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की। उन्होंने अपने प्रयोगों और गगनयान मिशन में अपनी भूमिका पर जानकारी दी।

पृथ्वी की तस्वीरें

शुभांशु ने ISS के कपोला मॉड्यूल, जिसमें 7 खिड़कियां होती हैं, से पृथ्वी की शानदार तस्वीरें खींचीं। यह मॉड्यूल विशेष रूप से अवलोकन और फोटोग्राफी के लिए होता है।

एक्सियम मिशन और भारत की भागीदारी

शुभांशु शुक्ला Ax-4 मिशन के एस्ट्रोनॉट्स में शामिल थे, जिसमें उनके साथ तीन और सदस्य थे:

  • पैगी व्हिटसन (कमांडर, अमेरिका)
  • स्लावोश उज़नांस्की-विस्निव्स्की (पोलैंड)
  • टिबोर कपु (हंगरी)

इससे पहले एक्सियम स्पेस ने तीन मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए हैं:

  • Ax-1: अप्रैल 2022 – 17 दिन
  • Ax-2: मई 2023 – 8 दिन
  • Ax-3: जनवरी 2024 – 18 दिन

10 दिन का आइसोलेशन और मेडिकल ऑब्जर्वेशन

स्पेस मिशन से लौटने के बाद शुभांशु शुक्ला को 10 दिन के लिए आइसोलेशन और मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा।

इसके बाद वे सामान्य जीवन में लौटेंगे। लेकिन उनकी यह यात्रा सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और प्रेरणा का प्रतीक बन चुकी है।

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय और पहले भारतीय एस्ट्रोनॉट हैं जिन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) तक की यात्रा की।

बता दें ISS पृथ्वी की कक्षा में स्थित एक विशाल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन है, जो हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है।

इसकी गति लगभग 28,000 किमी/घंटा होती है।

यह NASA, Roscosmos, JAXA, ESA और CSA जैसी पांच प्रमुख स्पेस एजेंसियों की साझेदारी से बनाया गया है।

यहां एस्ट्रोनॉट्स माइक्रोग्रैविटी में प्रयोग करते हैं और लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के असर का अध्ययन करते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *