Daddu Prasad Join SP: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक और बड़ा उलटफेर हुआ है।
बहुजन समाज पार्टी (BSP) के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री दद्दू प्रसाद ने सोमवार को समाजवादी पार्टी (SP) का दामन थाम लिया।
राजधानी लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई।
दद्दू प्रसाद के साथ-साथ BSP के अन्य वरिष्ठ नेता सलाउद्दीन, देव रंजन नागर और जगन्नाथ कुशवाहा भी सपा में शामिल हुए।
सियासी गलियारों में इस घटनाक्रम को आगामी 2027 विधानसभा चुनावों के लिहाज़ से बेहद अहम माना जा रहा है।
BSP के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे दद्दू प्रसाद
बांदा निवासी दद्दू प्रसाद बहुजन समाज पार्टी के सबसे पुराने और भरोसेमंद नेताओं में शुमार रहे हैं।
उन्होंने 1982 में कांशीराम द्वारा गठित दलित शोषित समाज संघर्ष समिति (DS-4) के माध्यम से राजनीति में कदम रखा था।
1993 में मऊ मानिकपुर सुरक्षित विधानसभा सीट से उन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ा, हालांकि हार गए।
लेकिन 1995 के उपचुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की और इसके बाद तीन बार विधायक चुने गए।
2007 से 2012 तक मायावती सरकार में वे ग्राम्य विकास मंत्री के तौर पर कैबिनेट में शामिल रहे।
हालांकि पार्टी के साथ उनका रिश्ता हमेशा स्थिर नहीं रहा, 2015 में अनुशासनहीनता के आरोप में उन्हें BSP से निष्कासित कर दिया गया।
दद्दू प्रसाद का विवादों से भी जुड़ा रहा नाम
दद्दू प्रसाद ने ‘बहुजन मुक्ति पार्टी’ नाम से अपनी नई पार्टी बनाई, लेकिन ज्यादा प्रभाव नहीं बना सके।
2016 में वे फिर BSP में लौटे, लेकिन 2020 में एक बार फिर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
दद्दू प्रसाद का राजनीतिक जीवन जहां एक ओर समाजसेवा और दलित उत्थान की बात करता है, वहीं दूसरी ओर कई विवाद भी इससे जुड़े रहे हैं।
उन पर एक समय दस्यु सरगना ददुआ से मदद लेने का आरोप लगा था।
1995 के उपचुनाव में आरोप लगे कि उनकी जीत में ददुआ की भूमिका रही।
तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इस सिलसिले में उनके खिलाफ केस भी दर्ज करवाया था।
यही नहीं, मंत्री रहते हुए उन पर महिला उत्पीड़न का भी आरोप लगा था, हालांकि बाद में पुलिस जांच में वे बरी हो गए।
अखिलेश बोले- PDA फॉर्मूले को मिलेगी और मज़बूती
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव इन दिनों अपने PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण को मज़बूत करने में जुटे हुए हैं।
इसी रणनीति के तहत वह लगातार ऐसे नेताओं को सपा में शामिल करवा रहे हैं, जिनका जुड़ाव दलित वर्ग से रहा है।
दद्दू प्रसाद जैसे BSP के पुराने नेता को पार्टी में शामिल करना इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
अखिलेश यादव ने इस मौके पर कहा, “दद्दू प्रसाद जैसे वरिष्ठ नेता के आने से समाजवादी पार्टी को मजबूती मिलेगी और PDA की लड़ाई को नया आयाम मिलेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि देव रंजन नागर पार्टी के सांगठनिक ढांचे को मजबूती देंगे और जगन्नाथ कुशवाहा PDA की जमीनी लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे।
BSP से SP की ओर बढ़ता कदम, 2027 की तैयारी शुरू
यह पहली बार नहीं है जब BSP के वरिष्ठ नेता सपा में शामिल हुए हैं।
इससे पहले भी कई बड़े चेहरे जैसे इंद्रजीत सरोज, लालजी वर्मा, आरके चौधरी, बाबू सिंह कुशवाहा, राम अचल राजभर और सीएल चौधरी समाजवादी पार्टी का हिस्सा बन चुके हैं।
इन नेताओं का सपा में जाना BSP के भीतर चल रही असंतोष की राजनीति को दर्शाता है। अब दद्दू प्रसाद के जुड़ने से यह सिलसिला और मजबूत होता दिख रहा है।
एक तरफ जहां दद्दू प्रसाद की एंट्री को 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों को एकजुट कर समाजवादी पार्टी चुनाव में बहुमत की ओर बढ़ना चाहती है।
वहीं दूसरी ओर पहले ही कई वरिष्ठ नेताओं को खो चुकी BSP की अब दद्दू प्रसाद जैसे पुराने चेहरा जाने से स्थिति और कमजोर हो सकती है।
फिलहाल मायावती की पार्टी शांत है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो 2027 के चुनाव में BSP के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।
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