Etawah Ahir Regiment: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दांदरपुर गांव में कथावाचकों के साथ हुई बदसलूकी ने जातीय तनाव का रूप ले लिया है।
22 जून को कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके साथी संत कुमार यादव के साथ कथित रूप से ब्राह्मण समुदाय के युवकों ने मारपीट की थी।
इसके विरोध में बुधवार को यादव समाज और ‘अहीर रेजिमेंट’ के सैकड़ों कार्यकर्ता गांव पहुंचे, जहां पुलिस से उनकी झड़प हो गई।
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी, पथराव में पुलिस की गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं और कई लोगों को हिरासत में लिया गया।
क्या है पूरा मामला?
22 जून को इटावा के दांदरपुर गांव में एक धार्मिक कथा के दौरान कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके साथी संत कुमार यादव के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार हुआ।
ब्राह्मण समुदाय के कुछ लोगों ने कथावाचकों से जाति पूछी और यादव होने पर कथित रूप से अपमानित किया।
आरोप है कि कथावाचकों की चोटी काट दी गई, उनका सिर मुंडवा दिया गया और एक महिला के पैर पर नाक रगड़वाई गई।
उनके साथी संत यादव के साथ भी मारपीट की गई और उनका हारमोनियम भी तोड़ दिया गया।
कथावाचक मुकुट मणि का कहना है कि उन्होंने किसी भी प्रकार की पहचान नहीं छिपाई थी और केवल धार्मिक प्रवचन करने आए थे।
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर मामला गरमा गया।
पुलिस की कार्रवाई और राजनीतिक हस्तक्षेप
इस घटना को लेकर कोतवाली में 4 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।
पुलिस ने 4 आरोपियों—अतुल, मनीष, पप्पू बाबा और डीलर को गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद कथावाचकों के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई, जिसमें महिला से छेड़खानी, गलत दस्तावेज, पहचान छिपाना और धार्मिक भावनाएं आहत करने जैसे आरोप शामिल हैं।
यह रिपोर्ट ब्राह्मण समुदाय की ओर से दर्ज कराई गई।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कथावाचकों को लखनऊ बुलाकर सम्मानित किया।
उन्हें ढोलक, हारमोनियम और 51-51 हजार रुपए देने की घोषणा की गई।
अखिलेश ने भाजपा सरकार पर जातीय भेदभाव और वर्चस्ववाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
गगन यादव की गिरफ्तारी और अहीर रेजिमेंट का आक्रोश
इंडियन रिफॉर्म्स ऑर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यादव समाज के नेता गगन यादव ने कथावाचक के साथ हुई घटना के विरोध में 26 जून को सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ दांदरपुर गांव में पहुंचने की घोषणा की थी।
पुलिस ने उनकी इस योजना को देखते हुए उन्हें नजरबंद कर लिया। इसी गिरफ्तारी के विरोध में बड़ी संख्या में यादव समाज के लोग इटावा पहुंचे और प्रदर्शन शुरू कर दिया।
भीड़ ने आगरा-कानपुर हाईवे को जाम कर दिया। गांव के बाहर पहुंचते ही पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिससे हालात बिगड़ गए।
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की गाड़ी पर पथराव कर दिया, जिसमें एक गाड़ी का शीशा टूट गया। पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने के लिए 12 थानों की फोर्स बुलानी पड़ी।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।
CO भरथना अतुल प्रधान और अन्य अफसरों ने पिस्टल लहराकर उपद्रवियों को खदेड़ा। हवाई फायरिंग भी की गई।
इस दौरान पुलिस को कुछ देर के लिए बैकफुट पर जाना पड़ा, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के मोर्चा संभालने के बाद हालात काबू में आए।
पुलिस ने अब तक 12 उपद्रवियों को हिरासत में लिया है और पहाड़पुरा, उरेंग, नौधना और दांदरपुर गांवों में सघन सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
पुलिस को आशंका है कि कुछ उपद्रवी गांवों में ही छिपे हो सकते हैं।
पुलिस अधीक्षक ग्रामीण श्रीशचंद्र ने बताया कि कुछ लोगों ने उपद्रव की कोशिश की थी, लेकिन तत्काल स्थिति को काबू में ले लिया गया।
किसी पुलिसकर्मी को चोट नहीं आई है और अभी इलाके में शांति व्यवस्था कायम है।
जातीय तनाव और हाईवे जाम
प्रदर्शनकारियों ने हाईवे पर उतरकर जमकर नारेबाजी की।
पुलिस से झड़प के दौरान कुछ लोगों ने जातीय आधार पर पहचान पूछने का प्रयास भी किया।
यह बात जैसे ही प्रशासन को पता चली, मौके पर अतिरिक्त फोर्स पहुंची।
कई वाहनों को सीज किया गया और कुछ को क्षतिग्रस्त भी किया गया।
इधर सपा सांसद जितेंद्र दोहरे ने कथावाचक के साथ हुए व्यवहार को अमानवीय बताया और कहा कि यह संविधान के खिलाफ है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को संसद में उठाएगी।
वहीं, अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा कि यह सरकार वर्चस्ववाद को बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने सवाल किया कि कुछ लोग इतनी हिम्मत कैसे कर पा रहे हैं कि वे एक कथावाचक का सिर मुंडवा दें और जातीय आधार पर प्रताड़ित करें?
फिलहाल स्थिति क्या है?
दांदरपुर और आसपास के गांवों में पुलिस अलर्ट मोड पर है।
हाईवे पर ट्रैफिक सामान्य कर दिया गया है, लेकिन गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है। प्रशासन शांति बनाए रखने का दावा कर रहा है।
हालांकि, यादव समाज के कई संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर कथावाचकों के खिलाफ की गई FIR वापस नहीं ली गई और गगन यादव को रिहा नहीं किया गया, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
इटावा के दांदरपुर गांव में कथावाचक कांड ने केवल धार्मिक नहीं, बल्कि जातीय और राजनीतिक रंग भी ले लिया है।
एक ओर जहां कथावाचकों के साथ हुए दुर्व्यवहार की आलोचना हो रही है, वहीं दूसरी ओर कथावाचकों पर लगे आरोपों ने पूरे मामले को उलझा दिया है।
पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती फिलहाल शांति व्यवस्था बनाए रखना और कानून-व्यवस्था को कायम रखना है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश स्तर पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है।
You may also like
-
बिहार में फोटो को लेकर सियासी बवाल: कांग्रेस ने चुनाव आयोग को बताया ‘जिन्न’, पीएम-सीएम को कहा ‘आका’
-
ट्रंप का बड़ा फैसला: कनाडा पर बातचीत रोकी, बोले- लगाएंगे नया टैरिफ, डिजिटल टैक्स लगाने से नाराज अमेरिका
-
शादी का प्रस्ताव ठुकराने के कारण किया गैंग रेप, पीड़िता लॉ कॉलेज छात्रा ने किये बड़े खुलासे
-
खुफिया हलकों में ‘सुपर जासूस’ के रूप में जाने जाने वाले पराग जैन बने रॉ के नए सचिव
-
ग्वालियर की बहू थीं शैफाली जरीवाला