Rahul Gandhi-Robert Vadra

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‘BJP सरकार मेरे जीजाजी को 10 साल से परेशान कर रही है’, राहुल बोले- ED की चार्जशीट साजिश का हिस्सा

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Rahul Gandhi-Robert Vadra: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ ईडी द्वारा दायर की गई चार्जशीट राजनीतिक बदले की कार्रवाई का हिस्सा बताया।

राहुल ने कहा कि सरकार बीते 10 सालों से उनके जीजाजी को लगातार परेशान कर रही है, लेकिन अंत में सच्चाई की ही जीत होगी।

सोशल मीडिया X पर पोस्ट में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष ने लिखा कि मैं रॉबर्ट, प्रियंका और उनके बच्चों के साथ खड़ा हूं, क्योंकि उन्हें राजनीतिक रूप से प्रेरित बदनामी और उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है।

मुझे पूरा भरोसा है कि वे गरिमा के साथ इसका सामना करेंगे और सच्चाई की जीत होगी।

एक दिन पहले गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुग्राम की चर्चित जमीन डील से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट दायर की है।

यह पहली बार है जब किसी जांच एजेंसी ने रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करते हुए आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया है।

इस चार्जशीट में वाड्रा के अलावा कुछ अन्य व्यक्ति और कंपनियों के नाम भी शामिल हैं, साथ ही ED ने इसी केस में 37.64 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की है।

पूरा मामला साल 2008 की जमीन डील से जुड़ा

यह पूरा मामला साल 2008 की उस जमीन डील से जुड़ा है।

जिसमें वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी थी।

उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे।

जमीन खरीदने के एक महीने बाद हुड्डा सरकार ने स्काईलाइट को 2.7 एकड़ जमीन पर कॉलोनी विकसित करने की अनुमति दे दी।

इसके तुरंत बाद ही जून 2008 में स्काईलाइट ने यह जमीन 58 करोड़ रुपये में DLF को बेच दी।

यानी महज चार महीने में कंपनी को 700 प्रतिशत से अधिक का मुनाफा हुआ।

साल 2012 में यह जमीन कॉलोनी बनाने के लिए DLF को ट्रांसफर कर दी गई।

अशोक खेमका का दखल और ED की जांच

साल 2012 में हरियाणा सरकार में वरिष्ठ IAS अधिकारी अशोक खेमका ने इस जमीन डील में अनियमितताओं का हवाला देते हुए म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) रद्द कर दिया।

खेमका का दावा था कि स्काईलाइट को कॉलोनी लाइसेंस देने की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन किया गया है।

हालांकि, म्यूटेशन रद्द करने के कुछ ही दिन बाद उनका तबादला कर दिया गया। इस घटना ने पूरे मामले को और राजनीतिक बना दिया।

साल 2018 में हरियाणा पुलिस ने रॉबर्ट वाड्रा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, DLF और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120-B (साजिश), 467, 468 और 471 के तहत FIR दर्ज की।

बाद में इसमें IPC की धारा 423 भी जोड़ी गई। इसके बाद ईडी ने इसी FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।

ईडी को शक है कि इस सौदे में अवैध तरीके से मुनाफा कमाया गया।

आरोप है कि ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज एक फर्जी कंपनी हो सकती है और जमीन की खरीद में इस्तेमाल किया गया चेक कभी जमा ही नहीं हुआ।

DLF को 5,000 करोड़ का फायदा?

ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि इस सौदे से DLF को भारी लाभ हुआ।

एजेंसी के अनुसार, हुड्डा सरकार ने नियमों को दरकिनार करते हुए DLF को फायदा पहुंचाया।

जांच में यह भी सामने आया कि वजीराबाद में DLF को 350 एकड़ जमीन का आवंटन भी इसी तरह के लाभ का हिस्सा था।

ईडी का आकलन है कि इस सौदे से DLF को लगभग 5,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने इस जमीन सौदे को लेकर राहुल गांधी पर सवाल उठाए थे।

उन्होंने गुड़गांव की एक रैली में कहा था, लोग जानना चाहते हैं कि वह बाज़ीगर कौन है जिसने तीन महीने में 50 करोड़ रुपये कमाए।

जब उन्होंने भीड़ से पूछा कि वह व्यक्ति कौन है, तो लोगों ने जवाब दिया – “जीजाजी।”

हालांकि, इन आरोपों पर कांग्रेस पार्टी का कहना है कि सरकार विपक्ष को डराने और परिवार को बदनाम करने के लिए ईडी का इस्तेमाल कर रही है।

जब भी चुनाव या कोई बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम पास होता है तो वाड्रा के खिलाफ जांच तेज कर दी जाती है।

 

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