राहत इंदौरी को ग़ुस्सा क्यों आया

Share Politics Wala News

उर्दू हिंदी अदब से सबसे मजबूत शायर राहत इंदौरी, जिनकी जुबान से झरते शब्दों को सुनने के लिए हजारों लोग दीवाने रहते हैं, ऐसे शायर को दो दिन पहले भोपाल से इंदौर आते वक्त पुलिस ने रूटीन जांच के लिए रोका, इस ड्यूटी निभाने की राहत साहब ने तारीफ की पर जो बदसलूकी पुलिस वालों ने की उससे वे आहत हैं, इंदौर से प्रकाशित अखबार प्रजातंत्र से उन्होंने इसे साझा किया–

मैं अपनी कार से भोपाल से इंदौर लौट रहा था। इंदौर के आसपास मुशायरा या कवि सम्मेलन होता है तो अमूमन कार से ही आनाजाना करता हूँ। रास्ते मे पुलिस चेकिंग चल रही थी। कई पुलिस जवान कार को रोककर आचार संहिता का हवाला देकर सामान को उलटपुलट कर देख रहे थे। मुझे लगा अच्छा है कि सरकार इतनी संजीदगी से चुनाव को ले रही है और सुरक्षा को अहमियत दी जा रही है। ये ज़ेहन में चल ही रहा था कि कुछ जवान मेरी कार तक आ पहुंचे और बदतमीज़ी से कार का दरवाजा खोलने लिए कहने लगे। मैंने कहा भाई आप बदतमीज़ी नहीं करेंगे तब भी मैं दरवाज़ा खोलूंगा ही। मेरी दरख्वास्त का उन पर कोई असर नहीं हुआ और अपना पुलिसिया अंदाज़ जारी रखा। मुझे दर्द इस बात का हुआ कि जिस पुलिस का हम सम्मान करते हैं आखिर उसे तहज़ीब क्यों नहीं। चोर उचक्कों और शरीफ इंसानों का अंतर इन्हें क्यों समझ नहीं आता। मेरे पास एक लाख रुपए थे। पूछताछ करने लगे, कहाँ से लाए हो क्यों लाए हो। मैंने जब उन्हें पूरा हिसाब दे दिया तो फ़िज़ूल बातें करने लगे। आसपास के लोगों ने उन्हें मेरा परिचय दिया तब जाकर पुलिसिया ज़बान इंसानी ज़बान में तब्दील हुई।
मेरा सवाल यर है कि क्या राहत इंदौरी के साथ ही पुलिस ठीक से बात करेगी आम लोगों के साथ नहीं। सरकार आम आदमी के वोट से बनती है और सरकार के मुलाज़िम उसी आम जनता के साथ बदज़ुबानी करते हैं। हम लंबी चौड़ी सड़कें बना दें, विकास के नए कीर्तिमान स्थापित कर दें लेकिन तहज़ीब कहाँ से लाएंगे? पुलिस को ये सीखना बेहद ज़रूरी है कि सही और गलत का अंतर कैसे किया जाए। हर व्यक्ति को चोर, बदमाश समझना ये बताता है कि पुलिस में शिक्षा की बेहद कमी है उसे पहले सलीका सिखाया जाना चाहिए कि आवाम से बात कैसे की जाए और यदि सरकार ऐसा नहीं कर पाई तो बाकी सब बेकार है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *