Pakistan Violence: पाकिस्तान में शुक्रवार को एक बड़ा उग्र प्रदर्शन हुआ, जिसमें पुलिस के साथ झड़प के भी मामले सामने आये है।
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) नामक कट्टरपंथी संगठन ने राजधानी समेत कई मुख्य शहरों में उग्र प्रदर्शन किए।
इन्होंने अमेरिकी दूतावास की तरफ मार्च करने की कोशिश की, जिसे लेकर उनकी पुलिस से झड़प हो गई।
इसमें झड़प में 2 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हैं।
दरअसल, TLP ने आज इस्लामाबाद में मार्च निकाला था।
इसे रोकने के लिए सरकार ने राजधानी की ओर जाने वाली प्रमुख सड़कें ब्लॉक कर दी।
हालात बेकाबू देख इस्लामाबाद, लाहौर, रावलपिंडी समेत कई शहरों की इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है।
इसके अलावा पंजाब प्रांत में धारा 144 लागू कर दी गई है, जो 18 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगी।
गाजा हिंसा पर भड़की पाकिस्तान की सियासत
दरअसल, गाजा में जारी संघर्ष और अमेरिका के शांति प्रस्ताव पर पाकिस्तान में विरोध तेज हो गया है।
पाकिस्तान में शुक्रवार को तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान कट्टरपंथी संगठन के प्रदर्शन से हालात बिगड़ गए।
दक्षिणपंथी चरमपंथी TLP समर्थक गाजा में हुई हिंसा और अमेरिकी ‘ट्रम्प पीस प्लान’ के खिलाफ सड़कों पर उतर आए।
TLP गाजा में हुई हिंसा के दौरान हुई हत्याओं का विरोध कर रहा है और देशभर में विरोध प्रदर्शन का ऐलान भी किया था।
बीते बुधवार को भी TLP ने भारी विरोध दर्ज कराया था, जिसके बाद उन्होंने शुक्रवार को मार्च निकालने की घोषणा की थी।
पार्टी का आरोप है कि इज़राइल द्वारा मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ पाकिस्तान सरकार का रवैया ढीला है और अमेरिका के समर्थन से यह स्थिति बनी है।
कई शहरों का इंटरनेट बंद, धारा 144 लागू
शुक्रवार की नमाज के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी लाहौर और इस्लामाबाद की सड़कों पर उतर आए।
कई जगह पुलिस के साथ उनकी झड़पें हुईं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लाहौर में स्थिति सबसे ज्यादा तनावपूर्ण बताई गई है।
यहां जामिया मस्जिद के बाहर जुमे की नमाज के लिए आ रहे नमाजियों पर पंजाब पुलिस ने कथित तौर पर गोलीबारी की है।
खबरों के मुताबिक, इस गोलीबारी में दर्जनों TLP कार्यकर्ताओं के घायल होने की खबर सामने आई है।
हालांकि सरकार ने अभी तक इन घटनाओं की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
सरकार ने तैयारी की थी, लेकिन सड़क पर उतरी भीड़ ने हालात असमान्य कर दिए।
इसके बाद फैसला लेते हुए पाकिस्तान सरकार ने राजधानी इस्लामाबाद की ओर जाने वाली प्रमुख सड़कों को बंद कर दिया।
हालात को देखते हुए पाक गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी (PTA) को निर्देश दिया।
आधी रात से ही इस्लामाबाद, लाहौर और रावलपिंडी में मोबाइल व इंटरनेट सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दी जाएं।
इसके साथ ही पंजाब प्रांत में धारा 144 लागू कर दी गई है, जो 18 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगी।
टीएलपी प्रमुख की गिरफ्तारी से भड़का प्रदर्शन
इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत गुरुवार रात से हुई थी, जब पंजाब पुलिस ने TLP के प्रमुख साद हुसैन रिजवी को गिरफ्तार करने की कोशिश की।
बताया जा रहा है कि पुलिस ने लाहौर स्थित पार्टी मुख्यालय पर छापा मारा, लेकिन रिजवी वहां से निकलने में सफल रहे।
इस दौरान पुलिस और समर्थकों के बीच जबरदस्त झड़पें हुईं, जिनमें कई लोग घायल हुए और करीब 10 पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए।
रिजवी की गिरफ्तारी के बाद से ही पूरे पंजाब में तनाव फैल गया, जो अगले दिन हिंसक प्रदर्शन में बदल गया।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सरकार ने राजधानी की ओर जाने वाली सभी प्रमुख सड़कों को बंद कर दिया है।
इस्लामाबाद के रेड जोन—जहां विदेशी दूतावास और सरकारी दफ्तर हैं—को पूरी तरह से सील कर दिया गया है।
रावलपिंडी जिला प्रशासन ने भी 11 अक्टूबर तक धारा 144 लागू कर दी है।
10 दिनों के लिए सभी प्रकार के विरोध प्रदर्शनों, रैलियों और सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
धरना, जुलूस या लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध रहेगा। हालांकि नमाज, शादी, अंतिम संस्कार, दफ्तर और अदालतों के लिए छूट दी गई है।
पाकिस्तान में अशांति की पुरानी जड़ें
इस पूरे मामले पर TLP के एक प्रवक्ता ने कहा कि उनका प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण था, लेकिन सरकार ने इसे रोकने के लिए दमनकारी कदम उठाए।
गाजा में मुसलमानों पर यहूदियों द्वारा अत्याचार किया जा रहा है, जबकि यहां उनके समर्थक मुसलमानों पर गोली चलाई जा रही है।
टीएलपी ने चेतावनी दी है कि अगर गिरफ्तार किए गए नेताओं को रिहा नहीं किया गया और इंटरनेट बहाल नहीं हुआ, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में टीएलपी जैसे कट्टरपंथी संगठनों ने सड़कों पर उतरकर हिंसा भड़काई हो।
2017 में इसी संगठन ने इस्लामाबाद में ईशनिंदा कानून को लेकर बड़ा आंदोलन किया था, जिसके बाद सरकार को कई मांगें माननी पड़ी थीं।
टीएलपी की स्थापना ख़ादिम हुसैन रिजवी ने 2017 में की थी। वे पंजाब के धार्मिक मामलों के विभाग में कार्यरत थे।
लेकिन गवर्नर सलमान तासीर की हत्या करने वाले मुमताज कादरी के समर्थन में बयान देने पर नौकरी से बर्खास्त कर दिए गए।
उनके निधन के बाद बेटे साद रिजवी ने संगठन की कमान संभाली।
अब पॉलिटिक्सवाला के 360 डिग्री के एंगेल से समझिये क्या है पूरा मामला
दरअसल, पाकिस्तान इन दिनों एक तरफ जहां आर्थिक संकट से जूझ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर अब प्रदर्शनों का दौर भी जारी हो गया है।
यह कोई पहली बार नहीं हुआ है जब मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन सड़कों पर उतरे है। इसके पहले भी ऐसे हालत पाक में देखने को मिले है।
एक बार तो मार्शल लॉ लगाने तक की नौबत आ गई थी। अब इन प्रदर्शनों ने उसकी स्थिरता पर नया खतरा खड़ा कर दिया है।
टीएलपी जैसे धार्मिक संगठनों के बढ़ते प्रभाव और सरकार के कठोर रवैये से हालात और बिगड़ सकते हैं।
सोशल मीडिया पर भी पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नाराजगी झलक रही है।
कई यूजर्स ने इंटरनेट बंद करने के फैसले की आलोचना की है और इसे आवाज दबाने की कोशिश बताया है।
हालांकि, इससे प्रदर्शनकारियों का आक्रोश और बढ़ गया। कई जगहों पर सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचाने की खबरें भी हैं।
इसके बाद से पाकिस्तान की सरकार को हाल ही में नेपाल में हुए तख्तापलट का भी डर सता रहा है। क्योंकि नेपाल में भी हिंसा की आग सोशल मीडिया से ही सुलगी थी।
पाकिस्तान सरकार को डर है कि अगर सोशल मीडिया पर विरोध की लहर तेज हुई तो हालात नेपाल या श्रीलंका जैसी अराजक स्थिति तक पहुंच सकते हैं।
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