मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार आजकल सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में है. चर्चा के बजाय इसे चुटकी लेना कहेंगे तो बेहतर रहेगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उनके मंत्रियों की घोषणाएं और भाषणों को लोग मजे लूट रहे हैं. शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र दो साल बढ़ा दी. यानी अब कर्मचारी 60 के बजाय 62 साल में रिटायर होंगे. मुख्यमंत्री का कहना है कि -मैं नहीं चाहता लोग प्रमोशन का लाभ लिए बिना रिटायर हो जायें। बूढ़े कर्मचारियों को मिले एक्सटेंशन पर लोगों खूब कमेंट किया। कुछ ने लिखा कि अपनी पार्टी के उम्रदराज नेताओं को जबरिया रिटायरमेंट देने वाली बीजेपी कर्मचारियों पर क्यों मेहरबान हैं. क्या बाबूलाल गौर और सरताज सिंह को प्रमोशन का लाभ नहीं मिलना चाहिए. ऐसे सवाल
शिवराज से सोशल मीडिया पर दिन भर उछलते रहे.
मालूम हो कि 2019 में नए चेहरों के नाम पर पार्टी बाबूलाल गौर और सरताज सिंह को मंत्री पद और सक्रीय राजनीति से दूर कर चुकी है. इसके पीछे राष्ट्रीय नेतृत्व का हवाला दिया गया था. बाद में अमित शाह भोपाल आये और उन्होंने स्पष्ट किया कि उम्रदराज नेताओं को हटाने की कोई नीति बीजेपी
आलाकमान ने नहीं बनाई. खैर, शिवराज ने कर्मचारियों के वोट पाने को ये फैसला लिया है. शुक्रवार को राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके रिटायरमेंट की उम्र 60 से बढ़ाकर 62 साल करने का ऐलान किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है जिसके चलते कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं मिल पा रहा. उनके मुताबिक सरकार नहीं चाहती कि कर्मचारी और अधिकारी बिना प्रमोशन के रिटायर हों, इसलिए यह फैसला लिया गया है.
शिवराज सिंह चौहान ने उम्मीद जताई है कि शीर्ष अदालत में इस मामले में दो साल के भीतर फैसला हो जायेगा और तब संबंधित कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रमोशन दिया जा सकेगा. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बीते साल राज्य के एसटी-एससी वर्ग के कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण को रद्द करने का फैसला दिया था. राज्य सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी जिसने मामले में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है.
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