Nepal Gen-Z Protest: भारत के पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू में सोमवार को इतिहासिक विरोध प्रदर्शन हुआ।
8 से 30 साल हजारों युवा जिन्हें Gen-Z कहा जाता है , सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ सड़कों पर उतर आए।
प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में घुस गए और यह नेपाल में संसद में पहली बार घुसपैठ का मामला बना।
नेपाल पुलिस और सेना ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कई राउंड फायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़े।
इस हिंसक संघर्ष में अब तक 18 से 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

संसद में घुसे प्रदर्शनकारी, सड़कों पर जनसैलाब
नेपाल सबसे बड़े राजनीतिक संकट का गवाह बना।
राजधानी काठमांडू में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ युवाओं ने आंदोलन किया।

इस आंदोलन तब ऐतिहासिक रूप ले लिया जब प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुस गए।
सोमवार सुबह, जब करीब 12 हजार से ज्यादा युवा परिसर में घुसे तो सेना ने कई राउंड फायरिंग कर दी।

नेपाल के इतिहास में संसद में घुसपैठ का यह पहला मामला रहा, प्रदर्शनकारियों ने संसद के गेट नंबर 1 और 2 पर कब्जा किया।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की।
संसद भवन, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, पीएम आवास के पास के इलाकों में आर्मी को तैनात कर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई।

फायरिंग में 18-20 की मौत, 200 घायल
सोमवार को सुबह 12 बजे से ही युवाओं का ये प्रदर्शन शुरू हो गया था।
इस आंदोलन को Gen-Z Revolution नाम दिया गया है, क्योंकि इसमें भाग लेने वाले ज्यादातर 18 से 30 साल के युवा रहे।

प्रशासन ने हालात बिगड़ने पर ‘शूट-एट-साइट’ के आदेश दिए, यानी तोड़फोड़ या हिंसा करने वालों को देखते ही गोली मारी जा सकती है।
युवाओं ने संसद भवन के गेट 1 और 2 पर कब्जा किया और बैरिकेड्स पर चढ़कर पुलिस पर पथराव किया।

पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की, लेकिन युवा पीछे नहीं हटे।
कई प्रदर्शनकारी संसद की दीवारों पर चढ़कर परिसर में घुस गए। एक युवक ने आंसू गैस की कैन को वापस पुलिस की ओर फेंका।
इस दौरान कई लोगों को सिर और सीने में गोली लगी। प्रदर्शन में अब तक 18 से 20 लोगों की मौत हो चुकी है।

ट्रॉमा सेंटर में लाए गए छह लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी। सिविल अस्पताल में दो लोगों की मौत हुई।
इसके अलावा, केएमसी और त्रिभुवन यूनिवर्सिटी टीचिंग हॉस्पिटल में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई।
200 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।
युवाओं के सर्पोट में उतरे अभिनेता-राजनेता
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने युवाओं को चेतावनी दी कि उन्हें समझना चाहिए कि कानून तोड़ने का नतीजा कितना खतरनाक हो सकता है।
वहीं, नेपाल के कई मशहूर कलाकारों और राजनेताओं ने Gen-Z प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया।
अभिनेता मदन कृष्ण श्रेष्ठ और हरि बंश आचार्य ने सोशल मीडिया पर युवाओं की तारीफ की।
आचार्य ने कहा कि युवा केवल सोचते नहीं बल्कि सवाल पूछते हैं कि यह सड़क क्यों टूटी, सिस्टम क्यों फेल है और जिम्मेदारी किसकी है।
वहीं, श्रेष्ठ ने कहा कि युवाओं के सपनों को दबाया नहीं जा सकता। उन्होंने सरकार से कहा कि भ्रष्टाचार कम करें और युवाओं को जिम्मेदारी दें।

पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने सरकार से Gen-Z की मांगों पर ध्यान देने की अपील की।
उन्होंने कहा कि स्थिति और बिगड़ सकती है और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी है।
पुष्प कमल प्रचंड ने पुलिस की गोलीबारी में मारे गए युवाओं को श्रद्धांजलि भी दी।

पूर्व वित्त सचिव रामेश्वर खनाल ने कहा कि सरकार के मनमाने और गलत फैसलों के कारण युवाओं में गुस्सा बढ़ा है।
बड़े भ्रष्टाचार के मामले और सरकारी नियुक्तियों में अनियमितताओं ने युवा पीढ़ी को नाराज कर दिया है।
काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने प्रदर्शन का समर्थन किया और कहा कि युवाओं की आवाज सुनी जानी चाहिए।
विपक्षी दलों ने भी सरकार पर आरोप लगाया कि वह जनता की आवाज दबा रही है।
सोशल मीडिया बैन भड़के Gen-Z
नेपाल सरकार ने 3 और 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सऐप और X (ट्विटर) समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया था।
इसका कारण ये था कि इन कंपनियों ने नेपाल सरकार के साथ पंजीकरण और स्थानीय कार्यालय स्थापित करने की समयसीमा पूरी नहीं की थी।
साल 2024 में बनाए गए नए कानून के तहत सभी सोशल मीडिया कंपनियों को नेपाल में लोकल ऑफिस खोलना और टैक्सपेयर्स के रूप में पंजीकरण कराना अनिवार्य था।

28 अगस्त से सात दिन की समय सीमा दी थी, जो 2 सितंबर को खत्म हो गई। अगर कोई प्लेटफॉर्म रजिस्ट्रेशन पूरा करता है, तो उसे उसी दिन बहाल कर दिया जाएगा।
फैसले के पीछे सरकार का तर्क है कि इससे फर्जी खबरें, भड़काऊ कंटेंट और अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण रखा जा सकेगा।
हालांकि इस फैसले ने आम जनता में गुस्सा बढ़ा दिया। युवा पीढ़ी ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया।
सोशल मीडिया ही युवाओं की आवाज है और उसे बंद करना लोकतंत्र को कुचलने जैसा है।

पढ़े-लिखे युवाओं का कहना है कि अगर भ्रष्टाचार और असमानता खत्म नहीं हुई तो वे देश छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे।
यही वजह रही कि 8 सितंबर से काठमांडू समेत पूरे देश में युवाओं ने “Gen-Z Revolution” के नाम से आंदोलन शुरू किया।
जिसमें बड़ी संख्या में स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राएं शामिल हुए। युवाओं ने QR कोड वाले बैनर बनाए, ताकि लोग आंदोलन से ऑनलाइन जुड़ सकें।
विदेशों में रह रहे नेपाली युवाओं ने भी खुले तौर पर इस आंदोलन का समर्थन दिया।

सोशल मीडिया बहाली, भारत सरकार सतर्क
हिंसक प्रदर्शन के बाद नेपाल में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई गई। यह बैठक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के आवास बलुवाटार में हुई।
परिषद ने काठमांडू के प्रमुख इलाकों में कर्फ्यू और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू करने के आदेश दिए। रात 10 बजे तक कर्फ्यू जारी रखा गया।
वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेपाल में एक बार सोशल मीडिया फिर से शुरू हो गया है। बिना VPN इस्तेमाल के सारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चल रहे हैं।
फिलहाल नेपाल में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए भारत सरकार भी सतर्क हो गई है। सशस्त्र सीमा बल ने भारत-नेपाल बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी कर दी है।
अतिरिक्त जवान तैनात किए गए और निगरानी बढ़ा दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, नेपाल से लगे भारतीय जिलों में भी अलर्ट जारी किया गया है।
