भाजपा, कांग्रेस के बाद अब ‘जेल पार्टी’ – सिद्धू को एक साल की सजा

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इस मामले में एक और मोड़ आया जब गुरनाम सिंह के परिजनों ने 2010 में एक चैनल के शो में सिद्धू द्वारा गुरनाम को मारने की बात स्वीकार करने की सीडी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी।

दिल्ली। नवजोत सिंह सिद्धू। भारतीय टीम के कप्तान, बीजेपी से सांसद, लॉफ्टर शो के जज, कांग्रेस के अध्यक्ष। सिद्धू ने लगभग सभी क्षेत्र और पार्टियों में हाथ आजमाया।

अब एक 34 साल पुराने मामले में अदालत ने उन्हें जेल की सजा सुनाई है। सिद्धू को एक साल सश्रम जेल की सजा सुनाई गई है।

34 साल पुराने इस मामले में सिद्धू का बड़बोलापन ही उनकी मुसीबत बना। दरअसल, अदालत से बरी होने के बाद सिद्धू ने एक टीवी शो में कहा था कि मैंने ही गुरनाम को मारा था। गुरनाम के घर वालों ने ये सीडी अदालत ने दी और अदालत ने अब सजा सुना दी।

सिद्धू एक ऐसे जुर्म में जेल काटेंगे जो 34 साल पहले हुआ था। दरअसल पटियाला में 27 दिसंबर 1988 की दोपहर नवजोत सिद्धू और गुरनाम सिंह (65) के बीच रोड रेज में मामूली सी बहस हुई थी।

गुरनाम के परिजनों का आरोप है कि सिद्धू ने गुरनाम के सिर पर बाईं ओर मुक्का मारा। इससे गुरनाम को ब्रेन हैमरेज हो गया और उनकी मौत हो गई।

उनके वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में भी यही दलील दी थी कि गुरनाम सिंह की मौत सिद्धू द्वारा सिर पर मारी गई चोट से हुई है।

इस मामले में पटियाला के ट्रायल कोर्ट ने तो नवजोत सिद्धू को बरी कर दिया था। इसके बाद गुरनाम सिंह के परिजनों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में शरण ली। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बदल दिया।

हाईकोर्ट ने कहा था कि गुरनाम सिंह की मौत कार्डियक फेल्योर (ह्दय घात) से नहीं, बल्कि सिर पर चोट लगने की वजह से हुई थी।

इसके बाद हाईकोर्ट ने सिद्धू और उनके साथी रुपिंदर संधू को दोषी करार दिया था। हालांकि हाईकोर्ट ने कहा था कि यह सोचा-समझा कत्ल नहीं, बल्कि मौके पर आवेग का नतीजा था।

एक टीवी शो में सिद्धू ने खुद स्वीकारी थी ‘क़त्ल’की बात

सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू की सजा पर रोक लगाते हुए उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत दी थी। फिर इस मामले में एक और मोड़ आया जब गुरनाम सिंह के परिजनों ने 2010 में एक चैनल के शो में सिद्धू द्वारा गुरनाम को मारने की बात स्वीकार करने की सीडी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी।

इसके बाद शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में सिद्धू को एक हजार रुपये का जुर्माना लगा कर छोड़ दिया था। परिजनों ने पुनर्विचार याचिका दायर की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सिद्धू को एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई।

 

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