NATO Tariff Threat: रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक राजनीति एक बार फिर गरमाई है।
इस बार विवाद का केंद्र बना है भारत सहित वे देश जो रूस से अब भी तेल और गैस का आयात कर रहे हैं।
NATO के महासचिव मार्क रूटे ने भारत, चीन और ब्राजील को खुली चेतावनी दी है।
यदि इन देशों ने व्लादिमीर पुतिन पर युद्ध समाप्त करने का दबाव नहीं डाला, तो उन्हें 100% सेकेंडरी टैरिफ झेलने पड़ सकते हैं।
यह धमकी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस घोषणा के ठीक बाद आई है।
जिसमें उन्होंने रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों पर भारी आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात कही थी।
पुतिन से कहिए, वरना भुगतिए परिणाम
अमेरिकी सीनेटरों के साथ एक बैठक में बोलते हुए NATO प्रमुख मार्क रूटे ने असाधारण और तीखी भाषा का प्रयोग किया।
उन्होंने कहा कि अगर आप चीन के राष्ट्रपति हैं, भारत के प्रधानमंत्री हैं या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं और अब भी रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं, तो समझ लीजिए।
अगर पुतिन शांति वार्ता में गंभीर नहीं हुए, तो आपको 100% सेकेंडरी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा।
रूटे ने ये भी कहा कि इन देशों को पुतिन को फोन कर यह साफ कर देना चाहिए कि अब युद्ध और व्यापार साथ नहीं चल सकते।
उन्होंने यह बयान ऐसे समय पर दिया है जब अमेरिका में एक नया विधेयक प्रस्तावित है।
जिसमें रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500% तक टैरिफ लगाने की बात की जा रही है।
50 दिन में समझौता नहीं तो भारी टैक्स
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में बयान दिया था कि अगर रूस ने 50 दिनों में यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं किया, तो अमेरिका रूस पर 100% टैरिफ लगाएगा।
इसके साथ-साथ रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर भी यही टैक्स लगाया जाएगा।
हालांकि ट्रंप ने भारत, चीन और ब्राजील का नाम नहीं लिया था।
लेकिन, NATO प्रमुख मार्क रूटे ने बयान में इन तीनों देशों का साफ-साफ उल्लेख किया, जिससे तस्वीर और स्पष्ट हो गई।
भारत पर मंडरा रहे खतरे के बादल
भारत के लिए ये चेतावनियां बेहद गंभीर हैं, क्योंकि वह रूस से तेल खरीदने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है।
आंकड़ों के मुताबिक 2024 में भारत ने रोज़ाना लगभग 1.8 से 2.07 मिलियन बैरल कच्चा तेल रूस से आयात किया, जो देश की कुल तेल जरूरत का 40-44% है।
इसका कुल मूल्य लगभग 52.73 अरब डॉलर आंका गया।
1 – तेल आपूर्ति में रुकावट:
यदि सेकेंडरी प्रतिबंध लागू हुए, तो रूस से तेल आपूर्ति बाधित हो सकती है। भारत को वैकल्पिक स्रोतों से महंगा तेल खरीदना पड़ेगा, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं।
2 – महंगाई में उछाल:
तेल महंगा होने से ट्रांसपोर्ट, फूड और अन्य आवश्यक वस्तुओं की लागत बढ़ेगी। इससे आम जनता पर सीधा असर पड़ेगा और मुद्रास्फीति (महंगाई दर) में बढ़ोतरी हो सकती है।
3 – बैंकिंग और व्यापार पर असर:
अमेरिका भारतीय कंपनियों को बैंकिंग प्रणाली से बाहर कर सकता है या उन पर जुर्माना लगा सकता है, जिससे भारत का वैश्विक व्यापार प्रभावित होगा। अंतरराष्ट्रीय डॉलर लेनदेन पर संकट खड़ा हो सकता है।
4 – ऊर्जा सुरक्षा पर खतरा:
रूस से आयात बंद होने की स्थिति में भारत को आपातकालीन योजनाएं बनानी पड़ सकती हैं। इससे राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित होगी।
5 – राजनयिक दबाव और संतुलन की चुनौती:
भारत की विदेश नीति ‘स्ट्रैटेजिक बैलेंस’ पर आधारित रही है, लेकिन NATO और अमेरिका का दबाव इस नीति को कठिन मोड़ पर खड़ा कर सकता है। रूस और पश्चिमी देशों के बीच संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
चीन और ब्राजील भी निशाने पर
भारत के साथ-साथ चीन और ब्राजील भी NATO की चेतावनी के केंद्र में हैं।
चीन ने 2024 में रोज़ाना करीब 1.76 से 2 मिलियन बैरल रूसी तेल आयात किया है।
जो उसके कुल तेल आयात का 20-22% है और जिसकी कुल वैल्यू करीब 78 अरब यूरो रही।
ब्राजील भी रूस से खाद और ऊर्जा उत्पाद खरीदता रहा है।
मार्क रूटे ने कहा कि इन देशों को शायद अभी तक इस बात की गंभीरता का अंदाजा नहीं है, उन्हें नहीं पता कि उन्हें क्या हिट करने वाला है।
हालांकि, दूसरी ओर NATO और अमेरिका की धमकियों पर प्रतिक्रिया देते हुए रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव ने कहा कि रूस किसी अल्टीमेटम को नहीं मानेगा।
उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस अपने आर्थिक और रणनीतिक हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा और वह नए व्यापारिक रास्ते तलाशने को तैयार है।
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