Yunus Send Mangoes To Modi: भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में भले ही राजनीतिक उठापटक आती रही हो।
लेकिन, एक परंपरा ऐसी है जो हर साल दोनों देशों के बीच मिठास घोलती है वो है मैंगो डिप्लोमेसी।
इस साल भी यह परंपरा जारी रखी गई है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने भारत को 1,000 किलोग्राम ‘हरिभंगा’ आम उपहार स्वरूप भेजे हैं।
यह आम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनयिकों और उच्च अधिकारियों को भेंट किए जाएंगे।
सिर्फ केंद्र सरकार ही नहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा को भी 300 किलो आम 60 डिब्बों में पैक करके भेजे गए हैं।
क्या है ‘मैंगो डिप्लोमेसी’?
मैंगो डिप्लोमेसी को ‘सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी’ का हिस्सा माना जाता है।
इसमें देशों के बीच रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए उपहार स्वरूप आम जैसी स्थानीय चीजों का आदान-प्रदान किया जाता है।
इसका उद्देश्य राजनीतिक तनावों के बीच भी सौहार्द्र का माहौल बनाना होता है।
आमों की यह खेप केवल फलों का आदान-प्रदान वहीं बल्कि एक राजनीतिक संदेश है कि भले ही सरकारें बदलें, पड़ोसी देशों के बीच मधुरता बनी रहनी चाहिए।
हरिभंगा आम क्यों है खास?
हरिभंगा आम बांग्लादेश के उत्तरी हिस्से खासकर रंगपुर इलाके में उगाया जाता है।
इसे वहां की सबसे प्रीमियम और लोकप्रिय किस्म के आमों में गिना जाता है।
इसकी मिठास, आकार, रंग और स्वाद इसे खास बनाते हैं। भारत में भी इसकी बड़ी मांग रहती है।
यही कारण है कि हर साल इसे कूटनीतिक उपहार के तौर पर भेजा जाता है।
यह कदम बताता है कि बदलाव के बावजूद पड़ोसी संबंधों को मधुर बनाए रखने की कोशिशें जारी हैं।
यूनुस ने बरकरार रखी परंपरा
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में कुछ खटास देखी गई थी।
हसीना को भारत का करीबी माना जाता था और उनके हटने के बाद यह आशंका थी कि क्या सद्भावना के प्रतीक बने ‘हरिभंगा आम’ भारत भेजे जाएंगे या नहीं।
लेकिन प्रोफेसर यूनुस की सरकार ने न केवल यह परंपरा निभाई, बल्कि इसे और भी मजबूती से आगे बढ़ाया।
यह संदेश देने की कोशिश की गई कि भले ही सत्ता में बदलाव हो, लेकिन भारत-बांग्लादेश की दोस्ती कायम है।
इस कदम को दोनों देशों के बीच संबंधों को पुनः मधुर बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
2021 में हुई थी औपचारिक शुरुआत
भारत को आम भेजना बांग्लादेश की पुरानी परंपरा रही है, जो शेख हसीना सरकार के समय और पहले भी चली आ रही थी।
हालांकि, साल 2021 में इसे औपचारिक रूप से ‘मैंगो डिप्लोमेसी’ नाम दिया गया।
उस साल बांग्लादेश सरकार ने भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों को 2,600 किलोग्राम हरिभंगा आम भेजे थे।
यही नहीं, बांग्लादेश ने श्रीलंका, नेपाल, ब्रिटेन, कतर, सऊदी अरब, यूएई, जर्मनी, फ्रांस और कनाडा सहित कई देशों को भी हरिभंगा, लंगड़ा, हिमसागर, फजली और आम्रपाली किस्म के आम उपहार में दिए थे।
सिर्फ 2021 में ही बांग्लादेश ने 1,632 टन आम दुनियाभर में कूटनीतिक सॉफ्ट पावर के रूप में भेजे।
भारत ने सबसे पहले शुरू की थी परंपरा
भारत ने ही एशिया में सबसे पहले मैंगो डिप्लोमेसी की शुरुआत की थी।
1955 में भारत ने चीन को 8 आम के पौधे उपहार में भेजे थे।
इनमें दशहरी, चौसा, अलफांसो और लंगड़ा शामिल थे।
उस समय चीन के लोगों ने आम देखा भी नहीं था।
लेकिन भारत की इस पहल के बाद चीन में आम इतना लोकप्रिय हुआ कि वह अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आम उत्पादक देश बन चुका है।
2003 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चीन दौरे पर गए, तो WTO समझौते के तहत भारत और चीन ने द्विपक्षीय व्यापार समझौता किया।
इसके बाद 2004 में भारत से पहली बार आम की आधिकारिक खेप चीन भेजी गई।
हिल्सा डिप्लोमेसी में आई थी दरार
मैंगो डिप्लोमेसी के समानांतर बांग्लादेश की एक और कूटनीतिक परंपरा रही है – हिल्सा डिप्लोमेसी।
जहां एक ओर मैंगो डिप्लोमेसी ने मिठास घोली है, वहीं बीते साल बांग्लादेश ने भारत को हिल्सा मछली भेजने पर रोक लगा दी थी।
दरअसल, हर साल दुर्गा पूजा के आसपास बांग्लादेश से बड़ी मात्रा में हिल्सा मछली भारत भेजी जाती रही है।
यह मछली न केवल स्वाद के लिए मशहूर है, बल्कि बंगाली संस्कृति का अहम हिस्सा मानी जाती है।
हालांकि, अगस्त 2024 में जब शेख हसीना सरकार सत्ता से बाहर हुई, तो यूनुस सरकार ने सितंबर में भारत को हिल्सा मछली की सप्लाई पर रोक लगा दी।
यह फैसला घरेलू बाजार में आपूर्ति बनाए रखने के नाम पर लिया गया, लेकिन भारत में इसे कूटनीतिक रिश्तों में आई खटास के रूप में देखा गया।
हालांकि, कुछ ही समय बाद 21 सितंबर को बांग्लादेश ने इस रोक को हटाते हुए 3,000 टन हिल्सा मछली भारत भेजने की अनुमति दी थी।
भारत-बांग्लादेश के संबंधों की गहराई
भारत और बांग्लादेश के बीच केवल भौगोलिक ही नहीं, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भाषाई और आर्थिक संबंध भी बेहद गहरे हैं।
दोनों देशों के बीच 4000 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा है, जो भारत की किसी भी अन्य पड़ोसी देश से सबसे लंबी सीमा है।
बांग्लादेश की 94% ज़मीनी सीमा सिर्फ भारत से जुड़ती है, इसलिए इसे ‘India-locked country’ भी कहा जाता है।
दोनों देशों की संस्कृति, भाषा, संगीत, भोजन, पोशाक और यहां तक कि साहित्य में भी जबरदस्त समानता है।
विशेषकर पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के लोगों के बीच भावनात्मक जुड़ाव बहुत गहरा है।
आर्थिक साझेदारी में भी मजबूत सहयोग
बांग्लादेश, दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
वहीं भारत, एशिया में बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है।
वित्त वर्ष 2022-23 में दोनों देशों के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 15.9 अरब डॉलर पहुंच गया।
भारत से बांग्लादेश को मुख्यतः टेक्सटाइल मशीनरी, पेट्रोलियम उत्पाद, कृषि उपकरण और ऑटो पार्ट्स का निर्यात होता है।
वहीं बांग्लादेश से भारत में तैयार कपड़े, जूट उत्पाद, समुद्री खाद्य पदार्थ निर्यात किए जाते हैं।
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