Prahlad Patel Controversy: मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल (Prahlad Singh Patel) के ‘भिखारी’ वाले बयान ने उनकी राजनीतिक जमीन को हिला दिया है। जनता को भिखारी कहने पर उठे विवाद के बाद अब प्रहलाद पटेल की कुर्सी पर संकट मंडराने लगा है।
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस पूरे मामले में बेहद नाराज है और पार्टी की छवि को पहुंचे नुकसान को लेकर गंभीर है। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व प्रहलाद पटेल की सफाई सुनने के मूड में नहीं है। पार्टी के शीर्ष नेताओं का मानना है कि यह बयान न केवल जनता का अपमान है, बल्कि भाजपा की जन-हितैषी छवि को भी ठेस पहुंचाने वाला है। इस पूरे प्रकरण के बाद पटेल से इस्तीफा लिए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं।
पहले जानें प्रहलाद सिंह पटेल ने क्या कहा था ?
दरअसल, 1 मार्च को राजगढ़ जिले के सुठालिया में मंत्री प्रहलाद पटेल ने जनता के मांग पत्रों को भीख करार दे दिया था। उन्होंने कहा था कि अब तो लोगों को सरकार से भीख मांगने की आदत पड़ गई है। नेता आते हैं, एक टोकना तो कागज मिलते हैं उनको। मंच पर माला पहनाएंगे और एक पत्र पकड़ा देंगे। यह अच्छी आदत नहीं है, लेने की बजाय देने का मन बनाएं।
इसके बाद प्रहलाद पटेल के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। सोशल मीडिया एक्स पर ‘प्रहलाद पटेल इस्तीफा दो’ ट्रेंड करने लगा। देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोग मंत्री के बयान की निंदा करने लगे, जनता ने इसे सत्ता के नशे में चूर नेताओं की मानसिकता बताया। वहीं जब यह बात भाजपा आलाकमान तक पहुंची, तो मंत्री पटेल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है और कहा जा रहा है कि अगर प्रहलाद पटेल ने माफी नहीं मांगी तो उनकी कुर्सी भी जा सकती है, यानी उनसे इस्तीफा लिया जा सकता है।
कांग्रेस ने खोला मोर्चा, कटोरा लेकर किया प्रदर्शन
जहां एक तरफ विवाद बढ़ने के बाद भी मंत्री प्रहलाद पटेल अपने ‘भीख मांगने’ वाले बयान पर कायम हैं। उनका साफ कहना है कि मैंने ऐसा कुछ कहा ही नहीं है जिसके लिए मुझे माफी मांगनी पड़े, मैंने तो जनता के स्वाभिमान की बात कही थी। वहीं, दूसरी ओर प्रहलाद पटेल के बयान के खिलाफ विपक्षी पार्टी हमलावर हो गई है। गुरुवार को प्रदेशभर के सभी ब्लॉक मुख्यालयों पर कांग्रेस ने प्रदर्शन किया।
भोपाल में नेहरू नगर और चंचल चौराहे पर मंत्री पटेल के पुतले जलाए गए, तो इंदौर में पुतले की अर्थी निकाली गई। वहीं नर्मदापुरम के सिवनी मालवा में गांधी चौक पर प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हो गई। मुरैना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। इसमें मंत्री की बर्खास्तगी की मांग की गई। गुना-टीकमगढ़ में भी कांग्रेस ने मंत्री पटेल के बयान के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसी मुद्दे को लेकर 10 मार्च को भोपाल में किसान कांग्रेस भी प्रदर्शन करेगी, इसी दिन विधानसभा का बजट सत्र भी शुरू हो रहा है।
क्या पटेल मांगेंगे माफी या जाएगी कुर्सी?
प्रहलाद पटेल के लिए यह विवाद उनकी राजनीतिक यात्रा में एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। उन्हें पहले भी कई बार विवादों में घिरते देखा गया है, लेकिन इस बार केंद्रीय नेतृत्व के सख्त रुख के कारण उनकी स्थिति काफी कमजोर हो गई है। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि प्रहलाद पटेल इस संकट से कैसे बाहर निकलेंगे? क्या वे सार्वजनिक माफी मांगकर मामला शांत करेंगे या फिर केंद्रीय नेतृत्व उन्हें पद से हटाने का फैसला लेगा? इस मामले में पार्टी के फैसले पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। एक बात तो साफ है कि राजनीति में बयानबाजी का हमेशा गहरा असर होता है और प्रहलाद पटेल के लिए यह विवाद उनकी राजनीतिक पूंजी को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।
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