Marathi Language Controversy: देश में भाषा को लेकर जारी विवाद के बीच महाराष्ट्र में मराठी भाषा को अनिवार्य करने की मांग उठने लगी है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ता राज्य में रहने वाले लोगों पर मराठी भाषा में बात करने का दबाव बना रहे हैं। इसके कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं।
वहीं MNS चीफ राज ठाकरे भी चेतावनी दे चुक हैं कि जो मराठी नहीं बोलेगा, उसे सबक सिखाया जाएगा।
मुंबई में काम करना है, तो मराठी सीखो
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना मुंबई में मराठी भाषा में बोलने का दबाव उन लोगों पर बना रही है, जो हिंदी में बात करते हैं। हाल ही में ये विवाद और तब बढ़ गया, जब MNS कार्यकर्ता एक बैंक में घुस गए और मैनेजर को धमकाने लगे।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जो 2 अप्रैल बुधवार का बताया जा रहा है। जिसमें MNS कार्यकर्ता एक बैंक के मैनेजर पर मराठी में ही बात करने का दबाव बना रहे हैं।
दरअसल, मैनेजर ग्राहकों से बातचीत करते समय मराठी में बात नहीं कर रहा था। इस पर उसे चेतावनी मिल गई कि अगर यहां नौकरी करनी है, तो मराठी सीखनी होगी।
वायरल वीडियो में कार्यकर्ताओं को टेबल पीटते, कंप्यूटर को धक्का देते और मैनेजर पर चिल्लाते हुए देखा गया और मराठी में बात करने की मांग की गई।
राज ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी की स्थानीय इकाई ने इस घटना में अपने सदस्यों के शामिल होने की पुष्टि की है। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि इस विवाद के संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है या नहीं।
वहीं, इस घटना पर बैंक प्रबंधक ने कहा कि किसी से भी स्थानीय भाषा तुरंत सीखने की उम्मीद नहीं की जा सकती, इसमें समय लगता है। बैंककर्मी देश में स्वीकार्य किसी भी आधिकारिक संचार भाषा का इस्तेमाल अपने काम-काज के लिए कर सकता है।
मराठी नहीं बोले पर गार्ड को जड़े थप्पड़
इससे पहले भी मुंबई से ही 1 अप्रैल को इसी तरह का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें MNS के कार्यकर्ता बैंक गार्ड को मराठी में बात करने के लिए कह रहे हैं।
गार्ड लगातार कहता दिख रहा है कि वह वाराणसी का रहने वाला है। लेकिन, क्योंकि वो हिंदी बोल रहा था इसलिए MNS कार्यकर्ता उसके साथ मारपीट करते हैं।
पिछले हफ्ते भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था। 26 मार्च को वर्सोवा के डी मार्ट स्टोर में मराठी भाषा को लेकर ग्राहकों और स्टोर के कर्मचारियों के बीच बहस हो गई थी, जो बाद में मारपीट में बदल गई।
उस समय भी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं ने दो कर्मचारियों की इसलिए पिटाई की थी, क्योंकि वह ग्राहक से मराठी में बात नहीं कर रहे थे और बाद में कर्मचारियों से कान पकड़वाकर उससे माफी भी मंगवाई गई।
MNS चीफ राज ठाकरे की खुली धमकी
महाराष्ट्र के मुंबई और दूसरे शहरों में स्थानीय निकाय के चुनावों से पहले एक बार फिर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने मराठी अस्मिता का कार्ड खेला है। लगातार मुंबई से आ रहे मामलों में MNS कार्यकर्ता उन लोगों को पीट रहे हैं जो मराठी भाषा में बात नहीं कर रहे हैं।
यह आक्रामक रुख और तब बढ़ गया जब MNS प्रमुख राज ठाकरे ने खुली चेतावनी दी। 31 मार्च को गुड़ी पाड़वा के मौके पर शिवाजी पार्क में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए MNS चीफ ने आधिकारिक उद्देश्यों के लिए मराठी को अनिवार्य बनाने के अपने पार्टी के रुख को दोहराया था।
राज ठाकरे ने साफ किया कि मुंबई और महाराष्ट्र में मराठी भाषा का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने मराठी माणुष की एकता का राग अलापते हुए कहा कि मुंबई में कुछ लोग कहते है कि हम मराठी नहीं बोलेंगे, लेकिन जो लोग मराठी नहीं बोलेंगे तो उनके कान के नीचे तमाचा मारने का काम भी किया जाएगा
MNS की भाषा सुरक्षा मुहिम
यह पहली बार नहीं है जब MNS ने मराठी भाषा के मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया है। 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर पार्टी बनाई थी, तो उनका एक प्रमुख एजेंडा मराठी मानुष (मराठी लोग) के अधिकारों की वकालत करना था।
शुरुआती अभियानों में दुकानदारों पर मराठी में अपना नाम लिखने के लिए दबाव बनाया था। जिसके कारण हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए और पार्टी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कानूनी मामले दर्ज किए गए।
साल 2007-08 में MNS कार्यकर्ताओं ने रेलवे भर्ती परीक्षा के लिए मुंबई आए उत्तर प्रदेश और बिहार के उम्मीदवारों पर हमला किया था। इसके पीछे उनका तर्क था कि महाराष्ट्र में नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
इसके अलावा भी MNS ने मल्टीप्लेक्स पर मराठी फिल्मों के लिए स्क्रीन आवंटित करने का दबाव बनाया है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर मराठी सिनेमा को दरकिनार किया गया तो इसके परिणाम भुगतने होंगे।
इन घटनाओं से पूरे देश में आक्रोश फैल गया और सभी दलों के नेताओं ने MNS की हरकतों की निंदा की।
मराठी भाषा पर सियासी तकरार
राज ठाकरे की पार्टी MNS लंबे समय से महाराष्ट्र में मराठी भाषा और संस्कृति की सुरक्षा के लिए आक्रामक रवैया अपनाती रही है।
पार्टी का मानना है कि महाराष्ट्र में रहने वाले हर व्यक्ति को मराठी भाषा सीखनी चाहिए और स्थानीय लोगों के साथ इसी भाषा में संवाद करना चाहिए।
MNS ने छात्रों को मराठी बोलने से रोकने वाले अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए भी एक ज्ञापन सौंपा।
दरअसल, MNS को राजनीतिक पकड़ बनाए रखने में संघर्ष करना पड़ा है। 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पार्टी ने 13 सीटें जीतीं, जिसका मुख्य रूप से मराठी मतदाताओं ने समर्थन किया।
हालांकि बाद के चुनावों में भाजपा और शिवसेना के विभिन्न गुटों जैसे प्रतिद्वंद्वी दलों के बढ़ते प्रभाव के कारण इसके वोट शेयर में गिरावट आ गई।
अब फिर से पार्टी ने मराठी भाषा सुरक्षा मुहिम शुरु कर दी है। हालांकि इस तरह की घटनाओं से महाराष्ट्र में राजनीति एक बार फिर गरमा गई है, जिसके बाद देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले पर क्या कदम उठाता है।
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