Airport Security Report

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अहमदाबाद समेत कई एयरपोर्ट सुरक्षा मानकों पर फेल: रनवे सेफ्टी, बफर जोन और OLS में गंभीर लापरवाही

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Airport Security Report: देश में हवाई यात्राओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन हवाई अड्डों की सुरक्षा व्यवस्था अभी भी बुनियादी मानकों पर खरा नहीं उतर रही।

अहमदाबाद एयरपोर्ट पर हाल ही में सामने आई कमियों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारे एयरपोर्ट यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से तैयार हैं?

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) की रिपोर्टों से साफ है कि न सिर्फ अहमदाबाद, बल्कि देश के कई अन्य प्रमुख एयरपोर्ट भी सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर रहे हैं।

अहमदाबाद में बफर जोन अब तक अधूरा

2018 में AAI ने अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास 29.79 एकड़ जमीन बफर जोन के लिए गुजरात सरकार से मांगी थी।

इस पर प्रशासनिक मंजूरी तो मिल गई, लेकिन जमीन अधिग्रहण अब तक नहीं हो पाया है।

इसका कारण है कि इस क्षेत्र में लगभग 350 परिवार रहते हैं, जिन्हें हटाना राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामला है।

इस वजह से एयरपोर्ट के आसपास अब भी स्थायी निर्माण मौजूद हैं, जो रनवे की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं।

OLS और RESA जैसे मानकों की अनदेखी

DGCA के नियमों के अनुसार, हर रनवे के दोनों सिरों पर 90 से 240 मीटर तक रनवे एंड सेफ्टी एरिया (RESA) होना अनिवार्य है।

इसके साथ ही ऑब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस (OLS) नियम के तहत रनवे के आसपास ऊंचे निर्माण प्रतिबंधित हैं।

लेकिन अहमदाबाद सहित कई एयरपोर्ट पर ये मानक नजरअंदाज किए गए हैं।

ये केवल तकनीकी चूक नहीं, बल्कि संस्थागत और प्रशासनिक लापरवाही का भी मामला है।

देशभर में स्थिति चिंताजनक

त्रिवेंद्रम, कोयंबटूर, मैसूर, मंगलुरु और ग्वालियर जैसे शहरों में भी रनवे विस्तार और सुरक्षा जोन के लिए मांगी गई जमीन अब तक नहीं दी गई है।

शिमला का रनवे तो मात्र 1189 मीटर लंबा है, जहां पहाड़ी ढलानों की वजह से न तो RESA संभव है और न ही रनवे का विस्तार।

पटना एयरपोर्ट चारों तरफ से आबादी, रेलवे लाइन और चिड़ियाघर से घिरा है, जिससे वहां सुरक्षा मानकों को लागू कर पाना लगभग असंभव हो गया है।

प्रशासनिक उदासीनता बनी बाधा

हवाई अड्डों की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की कोशिशें राजनीतिक असहमति, स्थानीय विरोध और प्रशासनिक लापरवाही में उलझ कर रह गई हैं।

जैसे महाराष्ट्र में प्रस्तावित पुरंदर एयरपोर्ट किसानों के विरोध के चलते 2016 से ही लंबित है।

वहीं हिसार, कुशीनगर और जैसलमेर जैसे एयरपोर्ट पर भी अधूरी परियोजनाएं यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन रही हैं।

लेकिन, अब वक्त है कि सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता देकर ठोस कार्रवाई की जाए।

हवाई यात्रा का विस्तार जितनी तेजी से हो रहा है, उसी गति से हवाई अड्डों की सुरक्षा व्यवस्था का मजबूत होना जरूरी है।

DGCA और AAI की चेतावनियों को अगर गंभीरता से नहीं लिया गया तो आने वाले समय में एयरपोर्ट हादसों का जोखिम और बढ़ सकता है।

 

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