Maharashtra Cabinet Expansion: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से वरिष्ठ नेता छगन भुजबल चर्चा में हैं।
लंबे समय तक उपेक्षा और नाराजगी के बाद आखिरकार उन्होंने मंगलवार को महाराष्ट्र की महायुति सरकार में मंत्री पद की शपथ ली।
शपथ ग्रहण के तुरंत बाद उन्होंने संतोष जाहिर करते हुए कहा, “कहते हैं न- अंत भला तो सब भला।
अब तक मुझे जो जिम्मेदारियां दी गईं, उन्हें पूरी ईमानदारी से निभाया है। अब भी जो जिम्मेदारी मिलेगी, उसे निभाऊंगा।”
महीनों से चल रही थी नाराजगी के बाद मिला सम्मान
77 वर्षीय भुजबल की नाराजगी पिछले साल नवंबर में शुरू हुई थी, जब भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र में सत्ता संभाली थी।
लेकिन इतने वरिष्ठ और अनुभवी नेता होने के बावजूद भुजबल को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया।
इसके बाद दिसंबर 2023 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में भी उन्हें जगह नहीं मिली, जिससे उनका असंतोष और गहराता चला गया।
भुजबल ने खुलकर अपनी नाराजगी सार्वजनिक की थी।
17 दिसंबर को नागपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने कहा था, “क्या मैं खिलौना हूं? जब कहोगे तब चुनाव लड़ूंगा, जब कहोगे तब बैठ जाऊंगा?”
उन्होंने दावा किया था कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहते थे, लेकिन एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया।
मराठा आरक्षण पर विरोध बना विवाद का कारण?
छगन भुजबल ने एक और अहम कारण अपनी उपेक्षा के पीछे बताया था।
उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे का विरोध किया था, इसलिए उन्हें मंत्रिमंडल से दूर रखा गया।
उनका कहना था कि हर किसी को लोकतंत्र में अपनी राय रखने का अधिकार है और उन्होंने सिर्फ अपनी राय रखी थी।
इस मुद्दे ने भुजबल और पार्टी नेतृत्व के बीच दूरी और बढ़ा दी। उन्होंने यहां तक कहा कि कैबिनेट विस्तार के बाद से उन्होंने अजित पवार से कोई बातचीत नहीं की है।
OBC समुदाय के सबसे प्रभावशाली नेता हैं भुजबल
छगन भुजबल महाराष्ट्र के OBC समुदाय के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। वर्तमान में वे येवला (जिला नासिक) से विधायक हैं।
उनका राजनीतिक करियर कई दशकों में फैला हुआ है और वे पहले उपमुख्यमंत्री, लोक निर्माण मंत्री, ऊर्जा मंत्री सहित कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं।
एक समय वे शिवसेना के प्रमुख नेताओं में से एक थे, लेकिन बाद में उन्होंने शरद पवार के साथ एनसीपी की स्थापना में भूमिका निभाई।
भुजबल की राजनीतिक पकड़ खासकर नासिक और पश्चिमी महाराष्ट्र में मजबूत है। वे सामाजिक न्याय के मुद्दों, खासकर पिछड़ा वर्ग के हितों के लिए मुखर रूप से आवाज उठाते रहे हैं।
धनंजय मुंडे की जगह मिली कैबिनेट में एंट्री
छगन भुजबल को धनंजय मुंडे की जगह कैबिनेट में शामिल किया गया है।
मुंडे ने मार्च 2025 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने मंत्रालय खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण से इस्तीफा दे दिया था। भु
जबल को यही मंत्रालय मिलने की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि वह इसे पहले भी दो बार संभाल चुके हैं और उन्हें इस क्षेत्र का अच्छा अनुभव है।
15 दिसंबर को बनी थी महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 23 दिन बाज 15 दिसंबर को नागपुर में महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था।
फडणवीस के नेतृत्व बनी सरकार में 33 कैबिनेट और 6 राज्य मंत्रियों ने शपथ ली थी।
CM और 2 डिप्टी CM को मिलाकर कुल संख्या 42 हो गई थी। तब कैबिनेट में कुल 43 मंत्री शपथ ले सकते हैं और एक सीट खाली रह गई थी।
फिलहाल, छगन भुजबल की कैबिनेट में वापसी हो गई है, जो उनके राजनीतिक अनुभव और दबदबे का परिणाम है।
भुजबल ने नाराजगी के बावजूद संयम रखा और अब उन्हें वह सम्मान मिला है, जिसके वे वास्तव में हकदार थे।
वहीं महायुति सरकार के लिए भी यह एक रणनीतिक फैसला है, क्योंकि इससे ओबीसी समुदाय के भीतर पैदा हो रही नाराजगी को शांत करने में मदद मिल सकती है।
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