Tamil Nadu Minister Controversy: तमिलनाडु के वन मंत्री के. पोनमुडी एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। इस बार मामला न केवल राजनीतिक बल्कि संवेदनशील धार्मिक और सामाजिक भावनाओं से जुड़ा है।
मंत्री पोनमुडी के एक सार्वजनिक भाषण के दौरान महिलाओं, शैव और वैष्णव संप्रदायों को लेकर की गई अश्लील टिप्पणी ने तूफान खड़ा कर दिया है।
अब इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए तमिलनाडु पुलिस को स्पष्ट चेतावनी दी है कि या तो वे पोनमुडी के खिलाफ FIR दर्ज करें या अवमानना की कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
मंत्री का महिलाओं-हिंदू तिलक पर विवादित बयान
तमिलनाडु के मंत्री पोनमुडी का एक वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वे एक सार्वजनिक कार्यक्रम में आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करते हुए दिखाई दिए।
वीडियो में वे कहते हैं महिलाएं कृपया बुरा न मानें, इसके बाद उन्होंने एक चुटकुला सुनाया जिसमें एक सेक्स वर्कर, तिलक लगाने वाले पुरुष और उनकी यौन स्थिति को लेकर अश्लील उदाहरण दिया गया।
उन्होंने कहा कि महिला उस व्यक्ति से पूछती है कि वह शैव है या वैष्णव, यानी वह आड़ा तिलक लगाता है या सीधा और इसी के आधार पर वह उसकी ‘स्थिति’ बताती है।
यह बयान धार्मिक प्रतीकों के अपमान के साथ-साथ महिलाओं की गरिमा पर भी चोट करता है।
इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हुई और कई संगठनों ने मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
मंत्री की विवादित टिप्पणी पर मद्रास हाईकोर्ट की सख्ती
यह मामला उस समय अदालत के सामने आया जब मद्रास हाईकोर्ट में पोनमुडी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई चल रही थी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस एन. वेंकटेश ने इस वायरल वीडियो का संज्ञान लिया और राज्य के महाधिवक्ता पीएस रमन से पूछा कि मंत्री के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई हुई है।
जस्टिस वेंकटेश ने साफ शब्दों में कहा कि यह बयान ‘जुबान फिसलना’ नहीं लगता, बल्कि सोच-समझकर दिया गया बयान प्रतीत होता है।
मंत्री ने सार्वजनिक मंच पर यह टिप्पणी की और बाद में केवल माफी मांग कर मामले को हल्का करने की कोशिश की, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही हेट स्पीच पर सख्त रुख अपना चुका है और ऐसे मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अदालत ने पुलिस महानिदेशक (DGP) से गुरुवार शाम तक यह रिपोर्ट मांगी है कि इस बयान के संबंध में अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
माफीनामे से राहत नहीं, पहले भी रहा है विवाद
पोनमुडी ने 12 अप्रैल को एक सार्वजनिक माफीनामा जारी किया, जिसमें उन्होंने अपने बयान के लिए खेद जताया और कहा कि वे थानथाई पेरियार द्रविड़ कझगम के कार्यक्रम में अनजाने में अनुचित शब्दों का प्रयोग कर बैठे।
उन्होंने कहा कि उन्हें अपने शब्दों से हुई ठेस का गहरा दुख है और वे सभी से माफी मांगते हैं। हालांकि कोर्ट ने इस माफी को पर्याप्त नहीं माना।
जज का कहना था कि सार्वजनिक माफीनामा केवल एक ‘डैमेज कंट्रोल’ है, लेकिन यह कानूनी दायित्वों से छूट नहीं दिला सकता।
बता दें यह पहली बार नहीं है, जब पोनमुडी विवादों में हैं। इससे पहले वे आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में दोषी पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें मंत्री पद से हटाया गया था।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद उन्हें फिर से मंत्री पद सौंपा गया।
अब एक बार फिर वे सवालों के घेरे में हैं और धार्मिक और लैंगिक संवेदनशीलता से जुड़े होने के कारण मामला गंभीर हो गया है।
फिलहाल कोर्ट ने पुलिस को 23 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
अगर उस समय तक FIR दर्ज नहीं हुई तो अदालत तमिलनाडु पुलिस के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकती है।
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