मध्यप्रदेश ने सनातनी सीएम के रहते हुए गीता दिवस में बनाया विश्व रिकॉर्ड

Share Politics Wala News

#Politicswala Report 

भोपाल। आज मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में गीता जयंती के उपलक्ष्य में एक भव्य राज्यस्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 5,000 आचार्यों और प्रतिभागियों ने मिलकर श्रीमद्भगवद्गीता के तीसरे अध्याय ‘कर्म योग’ का सामूहिक सस्वर पाठ किया। यह आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण था क्योंकि पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोग एक साथ गीता का पाठ कर रहे थे, और आयोजन के बाद इसे विश्व रिकॉर्ड में दर्ज कराने की भी कोशिश की जा रही है।

हर प्रतिभागी को हाथ में एक बैंड पहना गया था, जिसमें एक QR कोड था। इस कोड के माध्यम से गीता पाठ करने वालों की संख्या की गिनती की जा रही थी। इस गीता पाठ में बच्चों और मुस्लिम महिलाओं की भी बड़ी संख्या में भागीदारी देखी गई।

कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के प्रमुख नेता, जैसे डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला, संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी, और भोपाल के प्रभारी मंत्री चेतन कश्यप भी उपस्थित थे। इसके अलावा, गुना के श्री परशुराम संस्कृत वेद विद्या गुरूकुल के 40 बटुकों ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इन बटुकों को गीता के 18वें अध्याय के 70 श्लोक कंठस्थ हैं।

सीएम डॉ. मोहन यादव ने गीता जयंती के आयोजन के बारे में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं और गीता के माध्यम से समाज को महत्वपूर्ण शिक्षा दी है। इस आयोजन का उद्देश्य प्रदेशवासियों को गीता की शिक्षाओं से जोड़ना और सनातन संस्कृति की महिमा को उजागर करना है।

इस कार्यक्रम के दौरान श्रीमद भागवत पुराण और गौ एवं गोपाल पर आधारित चित्र प्रदर्शनी भी लगाई गई। साथ ही, मुंबई के साधो बैंड ने भक्तिमय गीतों की प्रस्तुति की।

प्रदेश सरकार ने इस कार्यक्रम के प्रतिभागियों को ढाई-ढाई हजार रुपये की राशि भी वितरित की, जो उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। इसके अतिरिक्त, गीता की महिमा से प्रदेशवासियों को अवगत कराने के लिए राज्य के होटलों में श्रीमद्भगवद्गीता, वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस की एक-एक प्रति रखने की योजना बनाई जा रही है।

गीता जयंती क्या है?
गीता जयंती का पर्व हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के बाद मनाया जाता है, जो इस साल 11 दिसंबर को है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कौरव-पांडवों के युद्ध के बीच अर्जुन को ‘कर्म योग’ की शिक्षा दी थी, और उसी दिन से गीता की रचना हुई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *