BPSC TRE 3 Candidates: पटना में मंगलवार 6 मई को बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) TRE-3 शिक्षक भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों पर पुलिस ने उस समय लाठीचार्ज किया, जब वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास का घेराव करने पहुंचे थे।
ये अभ्यर्थी महीनों से सप्लीमेंट्री रिजल्ट (पूरक परिणाम) जारी करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन अब तक उनकी मांगों को लेकर सरकार और BPSC की ओर से कोई स्पष्ट निर्णय नहीं आया है।
इस बीच, सीएम हाउस घेराव के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, जिसमें कई छात्र-छात्राएं घायल हो गए।
इस घटना के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं, जिस पर राजनीतिक पारा भी चढ़ गया है।
कैंडिडेट्स की मांग- रिजल्ट दे दो या तो फांसी
TRE-3 शिक्षक भर्ती परीक्षा के तहत बिहार में कुल 87,474 पदों पर बहाली होनी थी, लेकिन रिपोर्ट्स के अनुसार केवल 40-45 हजार उम्मीदवारों ने ही ज्वाइनिंग की है।
शेष सीटें अभी भी खाली हैं और इन्हीं खाली सीटों पर परिणाम जारी करने और योग्य उम्मीदवारों को मौका देने की मांग अभ्यर्थी कर रहे हैं।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि कई उम्मीदवारों को एक ही समय में तीन-तीन अलग-अलग रिजल्ट दिए गए हैं, जबकि जॉइनिंग तो वे एक ही जगह करेंगे।
ऐसे में यह प्रक्रिया न केवल पारदर्शिता पर सवाल उठाती है बल्कि अन्य योग्य उम्मीदवारों के अवसर भी छीन रही है।
प्रदर्शन के दौरान अभ्यर्थियों ने कहा, चार महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
सरकार भ्रष्टाचारियों को संरक्षित देती है, लेकिन छात्रों, युवाओं और बेरोजगारों को अपना दुश्मन समझती है।
नीतीश सरकार के राज में हमें नौकरी की जगह लाठी मिली है। हम लोग बोल रहे हैं या तो रिजल्ट दे दो या यहीं फांसी दे दो।
तेजस्वी ने सुनाई खरी-खोटी, कांग्रेस ने किए सवाल
पुलिस द्वारा की गई बर्बरता के वीडियो सामने आते ही सोशल मीडिया पर इस मुद्दे ने जोर पकड़ लिया।
पुलिस को महिला अभ्यर्थियों को भी पीटते हुए देखा गया, जिसे लेकर आम जनता से लेकर नेताओं तक ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
अभ्यर्थियों के ऊपर हुए लाठी चार्ज को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार पर जोरदार हमला बोला।
उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांग रख रहे युवाओं की बर्बर पिटाई, अन्याय और अत्याचार करना नीतीश-बीजेपी सरकार का मुख्य शौक है।
यह सरकार अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देती है, लेकिन छात्रों, युवाओं और बेरोज़गारों पर जब मर्जी लाठीचार्ज कर देती है। सभी लोग एकजुट होकर इस बार इस निकम्मी, आवारा और नकारा सरकार को बदलेंगे।
लोकतांत्रिक तरीके से अपनी माँग रख रहे युवाओं की बर्बर पिटाई, अन्याय व अत्याचार करना नीतीश-बीजेपी सरकार का मुख्य शौक है।
ये निकम्मी सरकार अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को संपोषित कर उन्हें संरक्षण देती है तथा छात्रों, युवाओं और बेरोज़गारों पर जब मर्जी लाठीचार्ज कर देती है।
सभी लोग… pic.twitter.com/hFdptbVKZP
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 6, 2025
वहीं, युवाओं को नौकरी की जगह दे रहीं ‘लाठियां’ बिहार सरकार पर कांग्रेस ने भी तंज कसा।
INCBihar सोशल मीडिया पोस्ट कर सवाल किया कि BPSC TRE 3 अभ्यर्थी न्याय मांगने पहुंचे थे, नीतीश कुमार ने लाठी चलवा दी! महिलाएं तक नहीं बख्शीं — ये कैसा न्याय है?
BPSC TRE 3 अभ्यर्थी न्याय मांगने पहुंचे थे, नीतीश कुमार ने लाठी चलवा दी!
महिलाएं तक नहीं बख्शीं — ये कैसा न्याय है?
कुर्सी बचाने में लगे हैं, युवा पिट रहे हैं!#BPSC_TRE3 #नीतीशहटाओ_भविष्यबचाओ pic.twitter.com/Gy9HsjdsgY— Bihar Congress (@INCBihar) May 6, 2025
सरकार की चुप्पी और अभ्यर्थियों का बढ़ता आक्रोश
इससे पहले 24 मार्च को भी अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के आवास के बाहर प्रदर्शन किया था।
स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि पुलिस को शिक्षा मंत्री को प्रदर्शनकारियों के बीच से सुरक्षित निकालना पड़ा था।
उस समय शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया था कि वे 25 मार्च तक BPSC को पत्र लिखेंगे और सप्लीमेंट्री रिजल्ट के मुद्दे की समीक्षा करवाई जाएगी।
लेकिन इसके 10 दिन बाद भी कोई नोटिस जारी नहीं किया गया, जिससे अभ्यर्थियों में नाराजगी और असंतोष और बढ़ गया।
बिहार सरकार ने 20 मार्च को 2025 का परीक्षा कैलेंडर भी जारी किया, जिसमें TRE-4 परीक्षा का कोई जिक्र नहीं है।
हालांकि शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में कहा था कि TRE-4 मई 2025 में आयोजित होगी और बची हुई वैकेंसी उसी में जोड़ी जाएगी।
बावजूद इसके आधिकारिक कैलेंडर में उसका उल्लेख न होना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार मुद्दों से भाग रही है और युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।
कुर्सी बचाने के लिए युवाओं की बलि चढ़ा रहे नीतीश
विपक्षी नेताओं का मानना है कि यह सरकार युवाओं और बेरोजगारों को शत्रु समझती है।
मुकेश सहनी ने कहा, छात्रों और युवाओं का उत्पीड़न नीतीश सरकार की आदत बन गई है।
छात्र आज शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांग कर रहे थे।
लेकिन, जिस तरह पुलिस का कहर इन पर टूटा, वह बिल्कुल भी जायज नहीं है।
कांग्रेस नेताओं ने तो सीएम नीतीश कुमार पर कुर्सी बचाने के लिए युवाओं की बलि चढ़ाने का आरोप लगाया।
उन्होंने पूछा कि यदि लोकतंत्र में युवाओं की आवाज़ सुनने का भी अधिकार नहीं है, तो लोकतंत्र किस काम का?
फिलहाल, BPSC TRE-3 का मुद्दा केवल एक शिक्षक भर्ती का मामला नहीं रह गया है।
यह अब बिहार के युवाओं की उपेक्षा, सरकारी उदासीनता और बेरोजगारी की पीड़ा का प्रतीक बन गया है।
जब अभ्यर्थी महीनों से शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं, तो पुलिसिया कार्रवाई और लाठीचार्ज उनकी आवाज़ को कुचलने का प्रयास है।
सरकार को चाहिए कि वह संवाद स्थापित करे, पारदर्शी प्रक्रिया अपनाए और जल्द से जल्द खाली सीटों पर सप्लीमेंट्री रिजल्ट जारी करे।
वरना आने वाले समय में यह आंदोलन आने वाले समय में और भी व्यापक रूप ले सकता है।
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