सीएम गहलोत बोले- किसानों की मेहनत रंग लाई

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-कृषि कानून की वापसी पर क्या बोले अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री

नई दिल्ली। आज जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया वैसे ही कई राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसद, सहित आम जनता की तरफ से तरह-तरह की प्रतिक्रिया सामने आने लगी।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल सहित ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनयाक ने भी अपनी प्रतक्रिया दी। इन मुख्यमंत्रियों में से अधिकतर ने इस फैसले को किसानों की जीत बताया। क्या कहा इन मुख्यमंत्री-

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा,’किसानों की मेहनत रंग लाई है। देश के हालात को देखते हुए पीएम को तीन कृषि कानून वापस लेने पड़े, आज का फैसला यूपी चुनाव को देखते हुए लिया गया। चुनाव जीतने के लिए पीएम और उनकी पार्टी भाजपा  पूरी कोशिश कर रही है। क्या पता उन्हें पश्चिम बंगाल जैसा झटका यहां भी लगे।

700 किसानों की जान बचाई जा सकती थीबोले केजरीवाल : वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लिखा,’ मैं देश के सभी किसानों को बधाई देता हूं। यह उनके आंदोलन का परिणाम है, लेकिन अगर यह निर्णय जल्दी किया जाता तो 700 किसानों की जान बचाई जा सकती थी। फिर भी यह बड़ा फैसला है। शायद भारत के इतिहास में पहली बार, सरकार एक आंदोलन के कारण तीन कृषि कानून वापस ले रही है।

नवीन पटनायक ने किसानों से कहालंबे समय से परिवार कर रहा इंतजार : उधर, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ट्वीट कर कहा,’ किसानों के हित में, सभी तीनों कृषि कानून को निरस्त करने का पीएम नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत है।’ आंदोलन कर रहे किसानों के लिए मुख्यमंत्री ने कहा,’ आपके खेत और परिवार लंबे समय से आपका इंतजार कर रहे हैं और उन्हें आपका वापस स्वागत करने में खुशी होगी।’ साथ ही कहा कि बीजेडी (BJD) आपके साथ खड़ी है।

भूपेश बघेल नेअन्याय पर लोकतंत्र की जीतकरार दिया : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसनों को  बधाई दी है और कहा कि किसानों के ‘गांधीवादी’ विरोध ने अपनी असली ताकत दिखाई है। मुख्यमंत्री ने इस फैसले को ‘अन्याय पर लोकतंत्र की जीत’ करार दिया।

ममता बोलीं– भाजपा की क्रूरता के आगे नहीं झुके किसान : बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कृषि कानून की वापसी पर किसानों को बधाई दी है और कहा कि यह किसानों की जीत है। ममता ने ट्वीट कर कहा कि हर एक किसान को मेरी तरफ से हार्दिक बधाई, जिन्होंने लगातार संघर्ष किया और भाजपा की क्रूरता के आगे नहीं झुके। ये आपकी जीत है! ममता ने इस लड़ाई में अपने प्रियजनों को खोने वाले सभी लोगों के प्रति गहरी संवेदना भी जताई।

तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने कहा,’ यह किसानों के आंदोलन की जीत है। हम कृषि कानूनों को वापस लेने का स्वागत करते हैं।’ साथ ही कहा कि लोकतंत्र में लोगों के विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए और आज तीन कृषि कानूनों को वापस लेना इतिहास में रहेगा।

उधर,  केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करना किसान आंदोलन की जीत है। सीएम ने कई चुनौतियों सामने करने वाले किसानों को बधाई दी है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फैसले का स्वागत किया है। महोबा रवाना होने से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार ने तीन कृषि कानून को लेकर सरकार ने किसानों से संवाद का काफी प्रयास किया, लेकिन किसी स्तर पर कमी होने के कारण जब बात नहीं बनी तो प्रधानमंत्री ने बड़ा दिल दिखाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री का धन्यवाद करता हूं और उनके इस कदम का स्वागत करता हूं।

इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की भी प्रतिक्रिया सामने आई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सुधार की दृष्टि से तीन कृषि कानून लेकर आए थे। मुझे दुख है कि इन कृषि कानूनों के लाभ हम देश के कुछ किसानों को समझाने में सफल नहीं हो पाए। हमने कृषि कानूनों के बारे में किसानों को समझाने की कोशिश की लेकिन हम सफल नहीं हो पाए।’ मंत्री ने कहा कि देश इस बात का गवाह है कि जब से पीएम मोदी ने 2014 में सरकार की बागडोर अपने हाथों में ली है, उनकी सरकार की प्रतिबद्धता किसानों और कृषि के लिए रही है। परिणामस्वरूप आपने देखा होगा कि पिछले 7 वर्षों में कृषि को लाभ पहुंचाने वाली कई नई योजनाएं शुरू की गईं।

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पीएम का  शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने ट्वीट किया कि गुरु नानक जयंती के पवित्र अवसर पर हर पंजाबी की मांगों को मानने और तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद। साथ ही कहा कि मुझे विश्वास है कि केंद्र सरकार किसानी के विकास के लिए मिलकर काम करती रहेगी।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा,’ प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिया है। ये उत्तरदायी सरकार का उदाहरण है जो किसानों के कल्याण और राष्ट्रीय हित में लगातार काम कर रही है और आगे भी करती रहेगी।’

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीनों कानूनों को रद किए जाने के ऐलान पर कहा कि आज 700 से अधिक किसान परिवारों, जिनके सदस्यों ने न्याय के लिए इस संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति दी है, उनका बलिदान रंग लाया है। आज सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई है।

सोनिया गांधी ने कहा कि आज सत्ता में बैठे लोगों द्वारा किसानों और मजदूरों के खिलाफ रची गई साजिश हार गई है। आज रोजी-रोटी और खेती पर हमला करने की साजिश को परास्त कर दिया गया है। आज अन्नदाता की जीत हुई है। उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में कोई भी निर्णय प्रत्येक हितधारक से बातचीत और विपक्ष के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि मोदी सरकार ने भविष्य के लिए कम से कम कुछ तो सीखा होगा।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले पर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्रियों ने किसानों को क्या-क्‍या नहीं कहा? ‘आंदोलनजीवी’, गुंडे, आतंकवादी, देशद्रोही – इन सबको किसने बुलाया? जब यह सब कहा जा रहा था, तो पीएम चुप क्यों थे?’ प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी द्वारा दिए गए बयान पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने खुद ‘आंदोलनजीवी’ शब्द का इस्तेमाल किया है।

प्रियंका गांधी ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर ट्वीट कर पीएम मोदी के फैसले पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून के बाद 600 से अधिक किसानों की शहादत हो गई और 350 से अधिक दिनों तक जब किसान संघर्ष कर रहे थे, तब पीएम मोदी को कोई परवाह नहीं थी। साथ ही प्रियंका गांधी ने लखीमपुर में पीएम मोदी की चुप्पी पर भी प्रश्न उठाया।

उधर, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कहा कि देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!

तीनों कृषि कानून रद्द करने के ऐलान को महाराष्ट्र के लगभग सभी बड़े नेताओं ने किसानों की जीत बताया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा,”कृषि अधिनियम को निरस्त करने की घोषणा इस बात का उदाहरण है कि इस देश में आम आदमी क्या कर सकता है और इसकी ताकत क्या है।” CM ने कहा कि अगर सरकार पहले ध्यान देती तो जो अपमान अब हुआ है, वह पहले नहीं होता।

CM ने आगे कहा कि इससे पहले कि केंद्र इस तरह का कानून बनाए, उसे सभी विपक्षी दलों के साथ-साथ संबंधित संगठनों को भी साथ लेकर देश के हित में निर्णय लेना चाहिए ताकि, आज जो अपमान हुआ है, वह आगे नहीं हो। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि इन कानूनों को निरस्त करने की तकनीकी प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जाएगी।”

कृषि कानून को वापस लेने के फैसले का स्वागत करते हुए पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा,’केंद्र सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि भाजपा के प्रतिनिधि गांव का दौरा करने के दौरान लोगों के सवालों का जवाब नहीं दे सके। इस समय मोदी सरकार ने कानून पारित करने से पहले किसी भी विपक्ष, किसान नेता या राज्य सरकार से चर्चा नहीं की।’

मोदी सरकार पर तंज कसते हुए पवार ने कहा उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनाव आने वाले हैं, यह महसूस करने के बाद कि इस चुनाव में कीमत चुकानी पड़ेगी, इन कानूनों को वापस ले लिया गया।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि यह किसान आंदोलन की विजय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का शिवसेना स्वागत करती है। 550 किसानों ने इस कृषि विधेयक कानून के विरोध में अपना बलिदान दिया है। देर आयद दुरुस्त आयद। आज मोदीजी ने उनके मुंह पर जोरदार तमाचा मारा जो अपने ही देश के किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी, फर्जी किसान कहकर संबोधित कर रहे थे, चाहे वो बीजेपी नेता हो या हो अंधभक्त।

नवाब मलिक ने कहा कि जिस तरह से आज केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने का फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। यकीनन यह देश के किसानों की जीत है। यह शुरुआत है मोदी सरकार के पतन का। आज यह भी साबित हुआ है कि देश में किसी की मनमानी नहीं चलेगी।

कृषि कानून रद्द करने पर वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा, ‘कृषि प्रधान भारत देश में किसान आत्महत्या करता है, किसान रास्ते पर उतरता है, किसान आंदोलन करता है, ये दुर्भाग्य भरी बात है। तीन साल से किसान रास्ते पर आंदोलन कर रहे हैं। कृषि कानून वापस होना देश के लिए यह समाधान भरी बात है। हमारे देश की परंपरा है, त्याग करना पड़ता है, बलिदान करना पड़ता है और संघर्ष करना पड़ता है। ये हमारे देश का इतिहास है। अन्ना ने आगे कहा कि अगर आगे किसानों पर अत्याचार हुआ तो फिर से बड़े पैमाने पर किसान सड़कों पर उतरेंगे।

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