सपा सांसद का मुँह काला करने निकली करणी सेना, 5 लाख का इनाम भी घोषित

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-‘महाराणा सांगा’ पर विवादित बयान के खिलाफ प्रदर्शन, देशभर में हो रही निंदा

-बाबर को राणा सांगा द्वारा बुलाने से इत्तेफाक नहीं रखते है इतिहासकार

-100 युद्ध लड़े सिर्फ खानवा का हारे थे महाराणा सांगा, शरीर पर थे 80 घाव

Rana sanga Controversy- उज्जैन। सपा संसद द्वारा दिए गए विवादित बयान पर प्रदर्शन, विवाद का दौर शुरू हो चुका है। यहाँ तक कि करणी सेना के कार्यकर्ता उज्जैन से समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन का मुंह कला करने के लिए उत्तरप्रदेश रवाना भी हो चुके हैं। महाराणा सांगा पर दिए गए विवादित बयान के विरोध में श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने उज्जैन टावर चौक पर प्रदर्शन किया और सांसद रामजीलाल सुमन और सपा प्रमुख अखिलेश यादव का पुतला जलाया। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में करणी सेना और राजपूत समाज के सदस्य शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान जोरदार नारेबाजी की गई और सांसद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई गई।
सेना के प्रदेश अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह चौहान ने ऐलान किया कि जो भी व्यक्ति सपा सांसद का मुंह काला करेगा और उन्हें जूते मारेगा, उसे करणी सेना की ओर से 5 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन ने अपने बयान में कहा था, “इब्राहिम लोदी को हराने के लिए महाराणा सांगा बाबर को भारत लेकर आए थे, इसलिए वे गद्दार थे।” इस बयान के बाद राजपूत समाज में आक्रोश फैल गया।

शिवप्रताप सिंह चौहान
शिवप्रताप सिंह चौहान

करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह चौहान ने वीडियो जारी कर सांसद को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “महाराणा सांगा हमारे गौरवशाली इतिहास के प्रतीक हैं। उन्हें गद्दार कहने वाले सांसद का विरोध किया जाएगा। “अब केवल माफी से काम नहीं चलेगा। जहां भी सांसद मिलेंगे, उनका विरोध होगा।” उन्होंने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश के उज्जैन, देवास और अन्य जिलों से करणी सेना के छह कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हो चुके हैं।

100 से ज्यादा लड़ी थीं लड़ाइयां

राणा सांगा मेवाड़ के एक महान शासक थे जिन्होंने बाबर के खिलाफ कई युद्ध लड़े। उन्होंने 1527 में खानवा के युद्ध में बाबर को बुरी तरह हराया था। राणा सांगा ने अपने जीवनकाल में 100 से अधिक लड़ाइयां लड़ी थीं और किसी भी अन्य युद्ध में उनकी हार नहीं हुई थी। वह एक महान योद्धा और एक कुशल राजनीतिज्ञ थे।

इतिहासकारों का मत अलग

राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को कई बार हराया था। वर्ष 1527 में भरतपुर की रूपवास तहसील के खानवा में बाबर के विरुद्ध युद्ध लड़ा था, जिसमें तीर लगने पर वह घायल हो गए थे। इससे पूर्व बयाना के युद्ध में उन्होंने बाबर को बुरी तरह हराया था। कर्नल जेम्स टाड ने उन्हें हिंदूपत की उपाधि देने के साथ ही उनके शरीर पर घावों की वजह से सैनिक का भग्नावशेष कहा था।
वर्ष 1508 में मेवाड़ के शासक बने राणा सांगा की खानवा के अलावा किसी अन्य युद्ध में हार नहीं हुई। उनके शरीर पर 80 से अधिक घाव थे। उनकी एक आंख, एक हाथ नहीं था। एक पैर काम नहीं करता था।
कर्नल जेम्स टाड के अनुसार उनके राज्य मेवाड़ की सीमा पूरब में आगरा, दक्षिण में गुजरात की सीमा तक थी। दिल्ली, मालवा, गुजरात के सुल्तानों के साथ उन्होंने 18 युद्ध लड़े और सभी में विजयी रहे। राणा सांगा ने 1517 में खतोली और 1518-19 में धौलपुर में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराया था।

निजाम की सेना को हराया

मालवा के शासक महमूद खिलजी द्वितीय को 1517 और 1519 में ईडर व गागरोन में हुई लड़ाइयों में हराकर दो माह तक बंधक बनाकर रखा। वर्ष 1520 में ईडर के निजाम खान की सेना को हराया। पंजाब और सिंध पर जीत के बाद बाबर ने अप्रैल, 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराकर उसकी हत्या कर दी।

बाबरनामा में है जिक्र

राणा सांगा और बाबर का पहली बार आमना-सामना 21 फरवरी, 1527 को बयाना में हुआ। इसमें बाबर की बुरी हार हुई। हारकर वह आगरा लौट आया। अपनी आत्मकथा ‘बाबरनामा’ में बाबर ने स्वयं इस युद्ध का वर्णन किया है। बयाना की हार के बाद बाबर ने इस्लाम के नाम पर अपने सैनिकों को एक किया और शराब नहीं पीने की कसम खाई।
खानवा के मैदान में 16 मार्च, 1527 को राणा सांगा और बाबर की सेनाओं का फिर आमना-सामना हुआ। इस युद्ध में बाबर तोप और बंदूकों से लड़ा, जबकि राजपूत तलवारों से। राणा सांगा एक तीर लगने से बेहोश हो गए, जिससे उनकी सेना हतोत्साहित हो गई। युद्ध में बाबर की जीत हुई। जनवरी, 1528 में राणा सांगा की मृत्यु जहर दिए जाने की वजह से हो गई।

दौलत खान और आलम खान ने बाबर को बुलाया था

इतिहासकारों का मानना है कि पंजाब का गर्वनर दौलत खान और इब्राहिम लोदी का चाचा आलम खान दिल्ली की गद्दी कब्जाना चाहते थे। उन्होंने बाबर को भारत आने का न्योता दिया। इतिहासकार राणा सांगा द्वारा बाबर को बुलाए जाने से इन्कार करते हैं। वह उस समय सबसे शक्तिशाली शासक थे। राजपूताना के शासकों को मिलाकर उन्होंने एक गठबंधन बना लिया था। डा. मोहनलाल गुप्ता ने राष्ट्रीय राजनीति में मेवाड़ का प्रभाव पुस्तक में राणा सांगा द्वारा बाबर को बुुलाए जाने से इन्कार किया है।

समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन की विवादास्पद टिप्पणी से राजस्थान में सियासी उबाल देखने को मिल रहा है। इस टिप्पणी की मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी समेत बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने कड़ी निंदा की।

समाजवादी पार्टी के सांसद राजमीलाल सुमन के बयान की निंदा करते हुए सीएम भजनलाल शर्मा ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “शूरवीरों की धरती राजस्थान के लाडले सपूतों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए सदा अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। मेवाड़ के महान योद्धा राणा सांगा के बारे में समाजवादी पार्टी के सांसद का निम्नस्तरीय बयान, न केवल राजस्थान की 8 करोड़ जनता को, बल्कि सम्पूर्ण देशवासियों को आहत करता है। ”

उन्होंने आगे लिखा, “जिस महान योद्धा ने मुगलों से युद्ध में अपने शरीर पर 80 घाव झेले, उनको गद्दार कहना विपक्षी नेताओं की घटिया मानसिकता को दर्शाता है. वोटों के तुष्टिकरण के लिए ये लोग इतिहास पुरुषों का अपमान करने से भी नहीं चूकते हैं। इसके लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को तुरंत देश से माफी मांगनी चाहिए और अपने सांसद पर अविलम्ब कार्रवाई करनी चाहिए। ”

कांग्रेस नेता ने की सख्त कार्रवाई की मांग

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी आलोचना की। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “अस्सी घाव लगे थे तन पे, फिर भी व्यथा नहीं थी मन में। मातृभूमि की रक्षा में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पण करने वाले, अदम्य साहस, वीरता,त्याग और स्वाभिमान के प्रतीक वीर शिरोमणि महाराणा सांगा पर सासंद राम लाल सुमन द्वारा संसद में अमर्यादित टिप्पणी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है व माफी योग्य नहीं है। ” “उन पर सख्त करवाई होनी चाहिए और मैं भारत सरकार से अपील करूंगा की संसद में ऐसा प्रस्ताव लेकर आए जिससे इतिहास के महापुरुषों पर अमर्यादित टिप्पणी करने वालो की संसद सदस्यता रद्द की जा सके। “

 

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