ये जीत केवल दो राजाओं की है और हार सिर्फ कांग्रेस की !

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उदित कुमार
दुनिया लाख कहे कि ज्योतिरादित्य सिधिंया को बीजेपी में वो जगह नहीं मिली जो कांग्रेस में थी। दुनिया लाख कहे, सिंधिया ने गलती की और कांग्रेस की सरकार गिर गई। दुनिया लाख कहे कि दिग्विजय सिंह की गलत नीति का असर है कि कमलनाथ सरकार बिखर गई।बीजेपी के सरकार बनने और कांग्रेस की सरकार गिरने के बीच में यदि कोई दो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं तो वो हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह।
आप क्रोनोलॉजी समझिए। दिग्विजय सिंह ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने सबसे पहले बीजेपी पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया था। सारी सूचनाएं और सूत्रों के हवाले से जानकारियां पहले दिग्गी राजा के पास ही आती थीं और उसके बाद मीडिया में।
बेंगलौर जाकर भी विधायकों से मिलने पहुंचने और फिर धरने पर बैठने में भी दिग्गी राजा ही सबसे आगे थे। सरकार गिरने के बाद भी मीडिया में खबरें आईं कि दिग्गी ने ही कमलनाथ को गुमराह किया और सरकार गिर गई।
अब बात करते हैं सिंधिया साहब की। उन्हीं के गुट के विधायक बागी हुए। फिर महाराजा ने बीजेपी का दामन थामा। बीजेपी बहुमत में आई और सरकार बन गई।
जब कांग्रेस सरकार थी, तब सिंधिया के विधायक और मंत्री जरूर थे लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती थी। सिंधिया भी चुनाव हारने के बाद सिर्फ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। उधर दिग्विजय सिंह का भी कुछ ऐसा ही हाल था सिवाए उसके के वे खुद अपने आप में एक सरकार की तरह थे।
चाहे दिग्विजय हों या ज्योतिरादित्य, पद की महत्वाकांक्षा किसे नहीं होती। आज की तारीख में दोनों राज्यसभा सांसद हैं। दिग्विजय के लोग आज भी विधायक हैं, पहले की तरह। दिग्विजय अपर हाउस में बैठेंगे।
वहीं सिधिंया भी सांसद बन चुके हैं और वो भी अपर हाउस में बैठेंगे और हो सकता है केंद्रीय मंत्री भी बन जाएं। सिंधिया के समर्थकों में दो प्रदेश सरकार में मंत्री हैं और बाकी को अगले हफ्ते मंत्री बनाया जा सकता है। कुल मिलाकर देखें तो कांग्रेस की सरकार गिरने और बीजेपी की सरकार बनने में जीत केवल दो राजाओं की है और हार सिर्फ कांग्रेस की।

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