Jaipur SMS Hospital Fire Tragedy: जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार देर रात हुई आग की घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है।
न्यूरो ICU के स्टोर रूम में लगी इस आग ने देखते ही देखते भयावह रूप ले लिया, जिसमें 8 मरीजों की जान चली गई। इनमें तीन महिलाएं शामिल थीं। हालांकि सरकार ने आधिकारिक तौर पर 6 मौतें मानी हैं।
हादसे के लगभग 19 घंटे बाद सरकार ने पहली कार्रवाई करते हुए एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक और ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज को हटा दिया, जबकि अधिशाषी अभियंता (XEN) को निलंबित कर दिया गया है।
जहां राज्य सरकार मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख मुआवजे के तौर पर देगी। वहीं, इस अग्निकांड की जांच के लिए शासन स्तर पर पहले ही 6 सदस्यीय कमेटी का गठन किया जा चुका है।
कैसे भड़की आग? जांच में सामने आए 3 कारण
1. स्मोक डिटेक्टर फेल: स्टोर रूम में लगा स्मॉक डिटेक्टर सही से काम नहीं कर रहा था, इसलिए अलार्म सिस्टम समय पर एक्टिवेट नहीं हुआ।
2. स्टोर रूम में ज्वलनशील सामग्री: आईसीयू के पास बने वार्ड को स्टोर रूम में बदल दिया गया था, जहां कबाड़, पेपर और ब्लड सैंपल ट्यूब रखे थे।
3. फायर फाइटिंग सिस्टम नाकाम: हॉस्पिटल में ऑटोमेटेड फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं था। स्टाफ को मैनुअल सिस्टम चलाने की जानकारी भी नहीं थी।
अधीक्षक और इंचार्ज हटे, XEN निलंबित
ट्रॉमा सेंटर में आग की घटना के मामले में सोमवार देर शाम राजस्थान सरकार ने कड़ी कार्रवाई की।
एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया गया है।
ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज डॉ. अनुराग धाकड़ को भी हटा दिया गया और एक्सईएन मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया है।
फायर सेफ्टी एजेंसी ‘एसके इलेक्ट्रिक कंपनी’ के टेंडर निरस्त कर दिए गए हैं और उसके खिलाफ FIR दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं।
अस्पताल अधीक्षक का कार्यभार डॉ. मृणाल जोशी और ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज का दायित्व डॉ. बी.एल. यादव को सौंपा गया है।
नया बना ट्रॉमा सेंटर, फिर हादसा कैसे?
ट्रॉमा सेंटर में लगी आग को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को सख्त टिप्पणी की।
साथ ही कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों और भवनों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठाए।
स्टिस महेंद्र गोयल और जस्टिस अशोक जैन की कोर्ट में झालावाड़ स्कूल हादसे को लेकर स्वप्रेरणा से दर्ज याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई के दौरान बेंच ने हादसे को लेकर कहा सरकारी बिल्डिंग में यह क्या हो रहा है? कहीं आग लग रही है, कहीं छत गिर रही है।
जस्टिस महेंद्र गोयल और जस्टिस अशोक जैन की बेंच ने कहा- एसएमएस का ट्रॉमा सेंटर तो नया बना है, वहां भी ऐसा हादसा हो गया।
स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर का बयान
राजस्थान सरकार में स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि यह बहुत दुखद घटना है।
रात 2:30 बजे मुख्यमंत्री भी मौके पर पहुंचे, जिससे स्पष्ट है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है।
यह 284 बेड का ट्रॉमा सेंटर है। मैंने स्वयं घटनास्थल का निरीक्षण किया। प्राथमिक जांच में शॉर्ट सर्किट की आशंका है।
उन्होंने बताया कि हादसे के समय 11 मरीज आईसीयू में थे, जिनमें से 5 को बचाया गया। बाकी मरीज दम घुटने से मारे गए।
6 मरीज धुएं के कारण हादसे के शिकार हो गए। क्योंकि वह वेंटिलेटर पर थे। उन्हें वेंटिलेटर पर से हटाया जाता है तो वैसे ही उनके साथ हादसा होने की आशंका थी।
हमने जांच समिति गठित की है, जो पूरी सच्चाई सामने लाएगी। सीसीटीवी पर हमें फुटेज मिलेगा। इसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
सरकार ने 6 मौतें मानी, 10 लाख का मुआवजा
सरकार की ओर से जारी मृतकों की लिस्ट में पिंटू, दिलीप, श्रीनाथ, रुकमणि, बहादुर और कुषमा के नाम शामिल हैं।
वहीं दिगंबर वर्मा और सर्वेश देवी की मौत को प्रशासन ने इस अग्निकांड से संबंधित नहीं माना है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रत्येक मृतक के परिजन को 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है।
गंभीर रूप से झुलसे मरीजों का पूरा इलाज सरकार के खर्चे पर किया जाएगा।
फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की टीम ने मौके पर पहुंचकर सबूत जुटाए हैं।
राज्य सरकार ने 6 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है, जो 72 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।
कमेटी में अग्निशमन, स्वास्थ्य विभाग और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं।
फिर भी यह हादसा राज्य के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
एसएमएस ट्रॉमा सेंटर करीब 284 बेड की नई इमारत है, जिसका उद्घाटन कुछ साल पहले ही हुआ था।
फिर भी न तो फायर अलार्म सिस्टम सही से काम कर रहा था, न ही स्टाफ को इमरजेंसी प्रोटोकॉल की ट्रेनिंग थी।
फिलहाल, सरकार ने संकेत दिया है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद उच्च स्तर पर और भी कार्रवाई हो सकती है।
साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट कराने का आदेश दिया गया है।
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