Jagdalpur Naxal Surrender

Jagdalpur Naxal Surrender

छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में 210 नक्सलियों ने किया सरेंडर, संविधान की किताब-गुलाब से हुआ स्वागत

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Jagdalpur Naxal Surrender: महाराष्ट्र के बाद अब छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में 210 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है।

नक्सल विरोधी अभियान के तहत यह सरकार की एक बड़ी जीत मानी जा रही है। इस सरेंडर के दौरान नक्सलियों ने प्रशासन को कुल 153 हथियार भी सौंपे हैं।

इनमें गुरुवार को बस्तर में आत्मसमर्पण करने वाले 140 नक्सली और कांकेर में पहले सरेंडर कर चुके 60 से अधिक नक्सली शामिल हैं।

पुलिस लाइन परिसर में आयोजित कार्यक्रम में सभी नक्सलियों को भारतीय संविधान की किताब और एक गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया।

मंच पर सभी नक्सली हाथों में गुलाब और संविधान की प्रति लिए नजर आए।

सरेंडर कार्यक्रम स्थल तक नक्सलियों को तीन बसों में लाया गया, जिनमें महिला नक्सलियों की संख्या पुरुषों से अधिक रही।

बताया जा रहा है कि एनकाउंटर के डर से नक्सलियों ने आत्मसमर्पण करने का फैसला लिया। यह छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा नक्सली सरेंडर माना जा रहा है।

नक्सलवाद के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ रहे जवानों ने इस समर्पण को बड़ी सफलता बताया है।

कार्यक्रम में एक खास दृश्य देखने को मिला—सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) सतीश उर्फ टी. वासुदेव राव उर्फ रूपेश को अलग से कार द्वारा कार्यक्रम स्थल तक लाया गया।

रूपेश माड़ डिवीजन में सक्रिय था और उस पर 1 करोड़ रुपए का इनाम घोषित था। वहीं, अन्य नक्सलियों पर 5 लाख से 25 लाख रुपए तक के इनाम घोषित किए गए थे।

अब जानिए नक्सलियों के सरेंडर की इनसाइड स्टोरी

एनकाउंटर का बढ़ता खौफ

छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान के तहत सुरक्षाबलों ने पिछले दो वर्षों में लगातार सख्त कार्रवाई की है।

जवान बिना भनक लगे नक्सलियों के गढ़ में घुसकर बड़े-बड़े ऑपरेशन्स को अंजाम दे रहे हैं।

इन अभियानों में माओवादी संगठन के शीर्ष नेताओं समेत 417 नक्सली मारे जा चुके हैं।

इस वजह से नक्सली लीडरों में एनकाउंटर का गहरा भय पैदा हो गया है और इसी डर के चलते कई नक्सली आत्मसमर्पण की राह पर उतर आए हैं।

गढ़ को भेद रहे जवान, ग्रामीणों ने भी छोड़ा साथ

सुरक्षाबल अब नक्सलियों के गढ़ तक पहुंचने में सफल हो रहे हैं। बढ़ती कार्रवाइयों से नक्सली संगठन बैकफुट पर आते नजर आ रहे हैं।

पहले जहां स्थानीय ग्रामीण नक्सलियों की मदद करते थे, अब वही उनके खिलाफ खड़े हो रहे हैं।

ग्रामीणों की सोच में बदलाव आया है और उन्होंने नक्सलियों का साथ देना छोड़ दिया है।

यह बदलाव नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की सफलता का अहम कारण बन गया है।

शाह ने किया था शांति वार्ता से इंकार

सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई के बीच नक्सली संगठनों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर शांति वार्ता की अपील की थी। उन्होंने इसके लिए एक महीने का समय मांगा था।

लेकिन हाल ही में छत्तीसगढ़ दौरे पर आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साफ शब्दों में कहा कि शांति वार्ता या युद्धविराम की कोई जरूरत नहीं है।

जो नक्सली हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, उनका स्वागत है, लेकिन जो गोलियों से बात करेंगे उन्हें सुरक्षाबल जवाब देंगे।

सरेंडर करने वालों को सरकार से लाभ

नक्सल प्रभावित जिलों में विकास योजनाओं का असर अब दिखने लगा है।

सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को मकान, जमीन और तीन साल तक आर्थिक सहायता दी जाएगी।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि सरकार का उद्देश्य है कि जो नक्सली मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, उन्हें सम्मानपूर्वक पुनर्वास का अवसर दिया जाए।

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