सड़क पर किसी पशु की मौत, किसी धार्मिक स्थल के सामने नारे लगने। किसी जाति के अपमान पर गिरफ्तारी को उतावले हम लोग 36 जि़ंदगियां ख़त्म हो जाने पर भी मुंह खोलने को राजी नहीं।
पंकज मुकाती (संपादक, politicswala )
होइहि सोइ जो राम रचि राखा। अर्थात जो श्रीराम ने रचा है। वही होगा। इस चौपाई की आड़ में धार्मिक अपराध पर्दा डाला जाता रहा है।कब तक श्रद्धालुओं की जि़ंदगियों से खिलवाड़ को रामनामी चादर की ओट में शरण मिलती रहेगी? आखिर धार्मिक आयोजनों में जि़ंदगी गंवाने वाले भी इंसान हैं, उनके भी परिवार हैं। श्रद्धालओं की मौत पर कब तक हम मौन रहेंगे ?
इंदौर में मंदिर में हादसा हुआ। 36 लोगों की मौत हुई। तीन दिन बीतने के बाद भी किसी की गिरफ्तारी नहीं। गिरफतारी छोड़िये पुलिस पूछताछ करने तक नहीं गई। न ही ऐसी कोई आवाज भी उठी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक ने इस पीड़ा को समझा। दु:ख जताया। सांत्वना जरुरी है, मुआवजा भी उचित। पर इंसाफ दिलाना भी सरकार का ही जिम्मा है। उस पर बिना किसी धार्मिक चश्मे के आदेश देना भी जरुरी है।
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सड़क पर किसी पशु की मौत, किसी धार्मिक स्थल के सामने नारे लगने। किसी जाति के अपमान पर एफआईआर को उतावले हम लोग 36 जि़ंदगियां ख़त्म हो जाने पर भी मुंह खोलने को राजी नहीं। मानवाधिकार, धार्मिक, सामजिक जैसे दर्जनों आयोगों ने भी अपने होंठ सिल लिए हैं। राजनेताओं से तो धार्मिक मामलों में किसी तरह की उम्मीद ही मत रखिये।
इसमें सिर्फ आयोजक और प्रशासन का ही दोष नहीं है। लोग भी उतने ही जिम्मेदार हैं। धर्म की भी अपनी मर्यादा हैं। आप मना रहे हैं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्मोत्सव और खुद तोड़ रहे हैं सारी मर्यादायें। क्यों हम लोग प्रवचनकारों, कथाकारों की भीड़ का हिस्सा बनने को उतावले हैं?
हमारे ग्रन्थ ये बताते हैं कि कण-कण में भगवान विराजमान हैं फिर हम क्यों भगवान की तलाश में भटकते रहते हैं। जनता को चाहिए कि वो भीड़ का हिस्सा न बने। आयोजनों में मर्यादा बनाये रखे।
इंदौर हादसे पर जिला प्रशासन, सरकार को पड़ताल करनी चाहिए। कुछ सवाल…
- इस मंदिर की बावड़ी धंसने से हादसा हुआ। चालीस फ़ीट गहरी बावड़ी को स्लैब डालकर बंद करने की अनुमति किसने दी ?
- आयोजकों ने बावड़ी के उपर बैठने से श्रद्धालुओं को रोका ? नहीं रोका तो इस सबके जिम्मेदारी आयोजकों पर क्यों नहीं ?
- रहवासियों ने बावड़ी पर स्लैब डालने का विरोध किया। इसकी शिकायत निगम आयुक्त से भी की थी। आयुक्त ने क्या किया ?
- आयुक्त ने अवैध निर्माण की शिकायत और स्लैब हटाने का नोटिस मंदिर को दिया, पर इसे हटाने की कार्रवाई क्यों नहीं की ?
- बुलडोजऱ के लिए मशहूर इंदौर नगर निगम आखिर कुछ खास अवैध निर्माणों, कब्ज़ों पर सिर्फ कागज़ी खिलौने क्यों दौड़ाता है ?
- अभी एक महीना भी नहीं हुआ, जब सीहोर में पंडित प्रदीप मिश्रा के पंडाल में तीन जानें चली गई। सौ से ज्यादा लोग घायल हुए। पर कहीं कुछ नहीं हुआ पंडितजी अपने ऊँचे आसन पर विराजमान हैं। वे जानते हैं, उनपर कोई कार्रवाई नहीं होगी।
- इन सब सवालों के जवाब का इंदौर को इंतज़ार है।