सांसद लालवानी : इंदौर भी सोचता है ये हमने क्या चुन लिया ?

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इंदौर सांसद शंकर लालवानी की सोच बेहद कमतर है, वे इसे कई मौके पर दर्शा चुके अब सांसद ने कोरोना संक्रमण फ़ैलाने का दोषी पत्रकारों को बता दिया, दम है तो रैली करने वाले नेताओं पर बोलिये

पुष्पेन्द्र वैद्य (वरिष्ठ पत्रकार )

ये है इंदौर के सासंद शंकर ललवानी। कोरोना को लेकर इंदौर के मीडियाकर्मियों पर आरोप लगा रहे हैं। कह रहे हैं आप ही लोग कोरोना फैला रहे हैं। यहाँ वहाँ घुस-घुस कर। ये साहब उसी पार्टी से हैं जिन्हें देश भर में चुनावी रैलियों के जरिए कोरोना फैलाने के लिए ज़िम्मेदार मानते हुए पूरा देश कोस रहा है।

महाशय हम मीडियाकर्मी तो अपनी जान की बाज़ी लगाकर आम लोगो तक हक़ीक़त को पंहुचा रहे हैं लेकिन आप, आपकी पार्टी, आपके मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तो रैलियों में हज़ारों, लाखों लोगो को इकट्ठा कर खुद मौत बाँट चुके हैं।

आपके इस डबल स्टैंडर्ड को लेकर आप अपनी गिरेबां में एक बार जरुर झाँकिये। हो सके तो एक बार उनके ख़िलाफ़ भी बरस कर दिखाईये जो देश में चुनावी रैलियों के जरिए कोरोना फैलाने के लिए असल ज़िम्मेदार हैं।

सांसद जी जिस जनता ने आपको सिरमौर बनाकर आपको रेकॉर्ड मतों से जिताया है आज उसके मन की थाह भी तो जान लीजिए। आप बीते सालभर से जो बैठकें आयोजित कर रहे हैं उसका नतीजा क्या रहा। उन लोगो से पूछिए जिन्होंने अपनों को गँवाया है, जिनके अपने ज़िंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

सरकार, सिस्टम और नेताओं को लोग भरपल्ले कोस रहे हैं। लवाजमा छोड़ अकेले जनता दरबार में जाइये शायद ऐसी शर्मिंदगी महसूस करना पड़ेगी जिसकी आपने कल्पना भी नही की होगी।

यक़ीन मानिए लोगो में आपके मुर्दा हो चुके सिस्टम के प्रति बहुत ग़ुस्सा है। आपके इस लाचार और पंगु सिस्टम के कारण कई लोग अपनी जान गँवा चुके हैं। दवा, अस्पताल, ऑक्सिजन के अभाव में कई लोग तड़प-तड़प कर अपनी जान गँवाते रहे और आप सांवेर, दमोह और पश्चिम बंगाल में मौत के मेले सजाते रहे।

कोरोना कौन फैला रहा यह अब जग ज़ाहिर हो चला है। पूरे  मीडिया में आपकी थू-थू हो रही है। अपने आसपास के प्रोटोकॉल को हटाकर एक बार खुद चिंतन करिए।

सत्ता का गुमान और गुरुर छोड़िए। बैठकों को छोड़ ज़मीन पर उतरिए। ऑक्सिजन टैंकर पर ग़ुब्बारे बाँध कर जश्नभरी तस्वीरें मत खिंचवाईये। हो सके तो बिलखते लोगो के आँसू पोंछिए….दम तोड़ते लोगो की जान बचाइये और ये भी न हो को कम से कम श्मशानों में शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर उन्हे अंतिम सम्मान दिला दीजिए।

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