Myanmar Earthquake: म्यांमार में 28 मार्च को आए विनाशकारी 7.7 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 2,376 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक, मरने वालों की संख्या 10 हजार तक पहुंच सकती है। भूकंप के झटके थाईलैंड, बांग्लादेश, चीन और भारत तक महसूस किए गए, जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है।
म्यांमार के कई शहर तबाह, ऐतिहासिक इमारतें क्षतिग्रस्त
म्यांमार और थाईलैंड में यह 200 साल का सबसे बड़ा भूकंप है। भारी तबाही के चलते म्यांमार के 6 राज्यों और पूरे थाईलैंड में इमरजेंसी लगा दी गई है। भूकंप का केंद्र म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र में था, जहां सबसे अधिक तबाही देखने को मिली।
भूकंप के केंद्र के पास स्थित मांडले शहर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यहां कई इमारतें जमींदोज हो गई हैं और एतिहासिक शाही महल मांडले पैलेस समेत कई ऐतिहासिक स्थल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इसके अलावा सागाइंग टाउनशिप में एक प्रमुख पुल पूरी तरह ध्वस्त हो गया, जिससे यातायात व्यवस्था चरमरा गई। राजधानी नेपीता, क्यौकसे, प्यिन ऊ ल्विन और श्वेबो में भी बड़े पैमाने पर नुकसान देखने को मिला, इन शहरों की आबादी 50 हजार से ज्यादा है।
USGS के अनुसार भूकंप के बाद कम से कम 14 आफ्टरशॉक्स महसूस किए गए हैं, जिनमें से सबसे शक्तिशाली 6.7 तीव्रता का था। ये झटके म्यांमार के अलावा थाईलैंड, भारत और बांग्लादेश में भी दर्ज किए गए। भारतीय समय के अनुसार 28 मार्च की रात 11:56 बजे भी म्यांमार में 4.2 तीव्रता का झटका आया।
थाईलैंड में 30 मंजिला इमारत गिरने से 110 लोग दबे
भूकंप के प्रभाव से थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी नुकसान हुआ। यहां एक 30 मंजिला निर्माणाधीन इमारत गिरने से 10 लोगों की मौत हो चुकी है और खबरों के मुताबिक 110 लोग अब भी मलबे में दबे हुए हैं। थाईलैंड सरकार ने आपातकालीन बचाव अभियान शुरू कर दिया है।
इस इमारत का निर्माण थाईलैंड के ऑडिटर जनरल के ऑफिस के लिए किया जा रहा था। हालांकि, सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि इमारत के निर्माण का ठेका एक चीनी कंपनी के पास था।
जानकारी के मुताबिक थाईलैंड में आए भूकंप के झटकों से करीब एक लाख से अधिक भारतीय पर्यटक प्रभावित हुए, लेकिन सभी सुरक्षित बताए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार और थाईलैंड के प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के साथ आवश्यक सहायता देने का आश्वासन दिया है।
भारत ने भेजी मदद, नाम दिया ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’
म्यांमार में आए भूकंप के बाद भारत ने तत्काल मानवीय सहायता भेजी है। भारतीय वायुसेना का C-130J विमान हिंडन एयरबेस से उड़ान भरकर 15 टन राहत सामग्री लेकर म्यांमार पहुंच चुका है। इसे ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ नाम दिया गया है।
राहत सामग्री में टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, खाने के लिए तैयार भोजन, वाटर प्यूरीफायर, सोलर लैंप, जनरेटर सेट, तिरपाल, स्वच्छता किट, फूड पैकेट, किचन सेट और आवश्यक दवाएं शामिल हैं। इसके अलावा एक सर्च और रेस्क्यू टीम के साथ मेडिकल टीम भी भेजी गई है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हम स्थिति पर नज़र बनाए रखेंगे और आगे भी सहायता भेजी जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय मदद के लिए आगे आए अमेरिका, चीन और रूस
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने म्यांमार में राहत अभियान चलाने की घोषणा की है। अमेरिका ने कहा कि वह जल्द ही सहायता सामग्री और बचाव टीम भेजेगा। वहीं रूस ने भी 120 बचाव कर्मियों और दो विशेष विमान म्यांमार भेजे हैं।
इसके अलावा चीन ने 37 सदस्यीय बचाव दल म्यांमार भेजा है, जो अत्याधुनिक उपकरणों के साथ बचाव कार्य में मदद कर रहा है। चीन ने भूकंप की चेतावनी देने वाले सिस्टम, ड्रोन और अन्य उपकरणों के 112 सेट भी भेजे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री सुरक्षित, 6 राज्यों में आपातकाल लागू
म्यांमार की पूर्व प्रधानमंत्री आंग सान सूची, जो वर्तमान में जेल में कैद हैं सुरक्षित बताई जा रही हैं। बता दें कि आंग सान सूची को 2021 में तख्तापलट के बाद गिरफ्तार किया गया था और साल 2023 में भ्रष्टाचार समेत अन्य आरोपों में उन्हें जेल भेज दिया गया था।
वहीं भूकंप के बाद म्यांमार की सैन्य सरकार ने छह राज्यों में आपातकाल लागू कर दिया गया है।
- सगाइंग
- मांडले
- बागो
- मागवे
- शान राज्य (पूर्वी हिस्सा)
- नेपीता
बचाव एवं राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी
सैन्य सरकार के नेता जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने बताया कि नेपीता में 96, सगाइंग में 18 और मांडले के क्याक्से टाउनशिप में 30 लोग मारे गए हैं। म्यांमार और थाईलैंड में बचाव एवं राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां और सरकारें स्थानीय प्रशासन की मदद कर रही हैं। लेकिन, अभी भी हजारों लोग मलबे में दबे हो सकते हैं और हजारों लोगों के मरने की आशंका बनी हुई है। स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और राहत एवं बचाव अभियान तेज कर दिया गया है।
भूकंप की वजह: ‘सागाइंग फॉल्ट’ की सक्रियता
म्यांमार में धरती की सतह के नीचे की चट्टानों में मौजूद एक बहुत बड़ी दरार है, जो देश के कई हिस्सों से होकर गुजरती है। यह दरार म्यांमार के सागाइंग शहर के पास से गुजरती है, इसलिए इसका नाम सागाइंग फॉल्ट पड़ा।
यह फॉल्ट उत्तर से दक्षिण की ओर 1,200 किमी तक फैला हुआ है। ‘स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट’ का मतलब है कि इसके दोनों तरफ की चट्टानें एक-दूसरे के बगल से हॉरिजॉन्टल दिशा में खिसकती हैं, ऊपर-नीचे नहीं।
यह फॉल्ट अंडमान सागर से हिमालय की तलहटी तक फैला हुआ है। भारतीय टेक्टोनिक प्लेट उत्तर-पूर्व की ओर खिसक रही है, जिससे सागाइंग फॉल्ट पर दबाव बढ़ता है और भूकंप की संभावना बनी रहती है।
म्यांमार में कई बड़े भूकंप इसी सागाइंग फॉल्ट की वजह से आए हैं। इससे पहले साल 2012 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आ चुका है। इसके अलावा सागाइंग फॉल्ट के पास 1930 से 1956 के बीच 7 तीव्रता वाले 6 से ज्यादा भूकंप आए थे।
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