इंदौर। जात न पूछो साधु की। ये तो आपने सुना होगा। मध्यप्रदेश में मंत्रियों से बात करना है तो एक नया जुमला याद कर लीजिये। शिक्षा न पूछो, मंत्री की। मध्यप्रदेश सरकार में महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री इमरती देवी अपनी शिक्षा को लेकर एक बार फिर चर्चा में आ गईं जब आंगनबाड़ी सहायिका ने उनसे जब पुछा, मैडम आप कहाँ तक पढ़ी है। मैडम गुस्सा। आंगवाड़ी कार्यकर्त्ता को बोली-मेरी शिक्षा मत पूछो, खुद दूसरी नौकरी ढूंढ लो। ज्योतिरादित्य सिंधिया के दबाव से मंत्री बनी इमरती देवी का मिजाज घुमावदार है। 26 जनवरी को परेड के पहले अपना भाषण तक नहीं पढ़ सकी. दो लाइन पढ़ने के बाद बोली चक्कर आ गया। बचा भाषण कलेक्टर को पूरा करना पढ़ा।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने रविवार को सखी संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने खुलकर अपनी बात रखी। डुमडुमा आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका सपना गुर्जर ने इमरती देवी से पूछा, “हमें पांच हजार रुपये मानदेय मिलता है, वह भी समय पर नहीं। जबकि डीपीओ को ज्यादा वेतन मिलता है।” इस पर मंत्री जी ने कहा कि डीपीओ की शिक्षा देखी है।
शिक्षा की बात पर सहायिका ने भी मंत्री इमरती देवी की पढ़ाई-लिखाई के बारे में पूछ लिया। इस पर इमरती देवी नाराज हो गईं। उन्होंने अपनी शिक्षा के बारे में तो नहीं बताया लेकिन सहायिका को दूसरी नौकरी ढूंढने की सलाह दे दी। मंत्री जी ने कहा कि मानेदय कम पड़ रहा है तो हट जाओ, कोई दूसरी महिला जिसे जरूरत होगी, वह काम कर लेगी।
गौरतलब कि ग्वालियर में गणतंत्र दिवस के सरकारी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का संदेश नहीं पढ़ पाई और उसे बीच में ही छोड़ दिया था। जिसके बाद इमरती देवी अपनी पढ़ाई को लेकर चर्चा में आई थीं।
मंत्री और सहायिका के बीच हुई पूरी बात
सहायिका सपना गुर्जर ने जब सवाल पूछा तो उससे माइक मांग लिया गया।
सहायिका: आप कह रही हैं कि जब तक हमें पैसा नहीं मिलेगा, डीपीओ को भी नहीं देंगे। उनके तो हमसे ज्यादा पैसे आते हैं, हमें 5 हजार रुपये मिलते हैं। इतने कम वेतन में हम कैसे घर चलाएंगे।
मंत्री: हम आपको डीपीओ के बराबर भी मानदेय देने लगेंगे तो फिर आप कहोगे कलेक्टर के बराबर दो।
सहायिका: ये कोई बात नहीं है।
मंत्री: यही बात है। आपने डीपीओ की एजुकेशन देखी है।
सहायिका: मंत्रीजी आप तो हमसे पूछ रही हो, आपकी एजुकेशन क्या है।
मंत्री: यदि आपको कमी पड़ रही है तो हट जाओ। दूसरी महिला काम करेगी, हम उसे देंगे। कहीं अच्छी तनख्वाह की नौकरी लगे तो उसे कर लीजिए