Hemant Katare Rape Case: कांग्रेस विधायक और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे की परेशानी बढ़ गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त 2025 को आदेश दिया कि 2018 के दुष्कर्म मामले की जांच दोबारा की जाए।
हालांकि, कोर्ट ने हेमंत कटारे को फिलहाल राहत देते हुए कहा कि अगर वे जांच में पूरा सहयोग करते हैं तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
आखिर, साल 2018 में ऐसा क्या हुआ था? साथ ही इस लेख में भिंड जिले के अटेर से विधायक हेमंत कटारे के राजनीतिक सफर के बारे में भी जानेंगे।
सरकार की याचिका और SC का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि हेमंत कटारे के खिलाफ रेप केस की जांच फिर से शुरू होगी।
अदालत ने आदेश दिया कि मामले की जांच की निगरानी DIG स्तर के अधिकारी करेंगे, ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।
यह आदेश उस याचिका पर दिया गया है जो मध्यप्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी।
दरअसल, दिसंबर 2024 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसले में हेमंत कटारे को जांच में सहयोग करने की शर्त पर अंतरिम राहत दी थी।
लेकिन, राज्य सरकार ने उस आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की थी।
सरकार का तर्क था कि मामले की गंभीरता को देखते हुए निष्पक्ष जांच जरूरी है और इसके लिए उच्चस्तरीय निगरानी होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हेमंत कटारे की ओर से वकील मीनेश दुबे के सहयोग से वरिष्ठ अधिवक्ता गगन गुप्ता ने पक्ष रखा।
वहीं, राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू, एएजी अमित शर्मा और अन्य अधिवक्ता उपस्थित थे।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 4 हफ्ते में जवाब (काउंटर एफिडेविट) दाखिल करने को कहा है, इसके बाद मामले की अगली सुनवाई होगी।
साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हेमंत कटारे की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी, बशर्ते वे जांच में पूरा सहयोग करें।
2018 का मामला जिसकी फिर होगी जांच
ये मामला साल 2018 का है, जो एक बार फिर तूल पकड़ चुका है। लेकिन, इसको लेकर मध्य प्रदेश की राजनीति कई बार गरमा चुकी है।
जनवरी माह में भोपाल से पत्रकारिता में मास्टर डिग्री कर रही 21 वर्षीय छात्रा ने कांग्रेस विधायक पर दुष्कर्म, अपहरण और धमकी देने जैसे संगीन आरोप लगाए।
पीड़िता की शिकायत पर भोपाल के महिला थाने में हेमंत कटारे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
फरवरी में पीड़िता ने दावा किया था कि हेमंत कटारे ने दोस्ती का नाटक कर उसका कई बार यौन शोषण किया और फिर उसे ब्लैकमेल किया।
इस दौरान एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसने मामले को और गरमा दिया था।
इसके जवाब में मार्च 2018 में हेमंत कटारे ने खुद को षड्यंत्र का शिकार बताते हुए छात्रा पर ब्लैकमेलिंग और फिरौती मांगने के आरोप लगाए और एक जवाबी FIR दर्ज करवाई।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, हेमंत कटारे की शिकायत पर छात्रा को गिरफ्तार भी किया गया था।
मामला यहीं नहीं थमा, अप्रैल 2018 में छात्रा ने मीडिया के सामने आकर कहा कि उसने झूठे आरोप लगाए थे और हेमंत कटारे निर्दोष हैं।
लेकिन कुछ समय बाद ही पीड़िता ने यह बयान वापस लेते हुए फिर से अपने मूल आरोपों पर कायम रहने की बात कही।
मामले ने तब और तूल पकड़ा जब कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि मई 2019 में पीड़िता ने प्रयागराज में आत्महत्या कर ली है।
हालांकि उस समय भी इस घटना को लेकर कई तरह की चर्चाएं और राजनीतिक बयानबाजी हुई, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने 7 महीने पहले सीएम डॉ. मोहन यादव और एमपी डीजीपी कैलाश मकवाना को लेटर लिखा था।
भूपेंद्र सिंह ने उप नेता प्रतिपक्ष और अटेर से कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे पर दर्ज रेप केस में एफएसएल रिपोर्ट बदले जाने का आरोप लगाया।
पिता की मौत के बाद बने MLA, भदौरिया को हराया
हेमंत कटारे का जन्म 3 दिसंबर 1985 को भिंड जिले के मनेपुरा में हुआ था।
हेमंत के पिता सत्यदेव कटारे कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं।
सत्यदेव ने युवावस्था से ही अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कर दी थी और वे एमपी के बड़े नेताओं में गिने जाते थे।
सत्यदेव कटारे अटेर विधानसभा से लगातार कई बार विधायक चुने गए, लेकिन अक्टूबर 2016 में उनका निधन हो गया।
पिता की मौत के बाद हेमंत कटारे ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। वह पहले से ही युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय थे।
हेमंत कटारे की गिनती मध्य प्रदेश के तेज तर्रार युवा नेताओं में होती थी और अटेर में उनकी अच्छी पकड़ थी।
एक तो वे सत्यदेव कटारे के बेटे थे और दूसरा वे हमेश जनता के बीच रहकर सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे।
इसी का असर रहा होगा कि सत्यदेव कटारे की मौत के बाद कांग्रेस ने उनके बेटे हेमंत को ही अटेर विधानसभा से टिकट दिया।
साल 2017 में सत्यदेव कटारे की मौत के अटेर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए।
कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार हेमंत कटारे ने बीजेपी के प्रत्याशी अरविंद भदौरिया को हरा दिया।
हालांकि, 2018 विधानसभा चुनाव का परिणाम उनके पक्ष में नहीं आया और बीजेपी प्रत्याशी अरविंद सिंह भदौरिया जीत गए।
बीएसपी उम्मीदवार ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था और 5 हजार के अंतर से हेमंत कटारे हार गए।
फिर आया विधानसभा चुनाव 2023, एक बार फिर चुनावी मैदान में थे अरविंद भदौरिया और हेमंत कटारे।
हेमंच कटारे जीत गए, उन्हें 69 हजार 542 मत मिले। उन्होंने भदौरिया को 20 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी।
अटेर सीट के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो साल 1990 से लेकर 2018 तक कुल 8 चुनाव हुए हैं।
इसमें 4 बार जहां कांग्रेस को जीत मिली तो वहीं बीजेपी ने तीन बार जीत का स्वाद चखा है।
पहली बार साल 1993 के चुनाव में सत्यदेव कटारे ने ही इस सीट पर कांग्रेस को विजयी दिलाई थी।
अब उनके पुत्र हेमंत कटारे इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
बहरहाल, रेप केस की जांच को लेकर आने वाले समय में हेमंत कटारे की मुश्किलें बढ़ सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मुद्दा एक बार फिर से सियासी गलियारों में गरमा गया है।
क्योंकि कानून के आगे सभी बराबर हैं, चाहे वे किसी राजनीतिक दल के बड़े नेता ही क्यों न हों।
कुछ दिन पहले ही कर्नाटक के सबसे ताकतवर परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रज्वल रेवन्ना को रेप केस में बेंगलुरु की स्पेशल कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है।
अब देखना होगा कि आगामी सुनवाई में क्या नया मोड़ आता है और क्या सच सामने आता है।
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