Gujarat Cabinet Expansion

Gujarat Cabinet Expansion

बिहार चुनाव के बीच गुजरात में सियासी उठा-पटक: सभी 16 मंत्रियों का इस्तीफा, BJP ने क्यों दोहराया 2021 वाला फॉर्मूला?

Share Politics Wala News

 

Gujarat Cabinet Expansion: एक तरफ बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गर्मी चरम पर है।

वहीं दूसरी ओर इन सब के बीच गुजरात में एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ।

गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की पूरी टीम ने एक साथ अपना पद छोड़ दिया।

गुजरात सरकार के सभी 16 मंत्रियों ने इस्तीफा सौंप दिया है।

सत्ता रीसेट’ वाला भाजपा का ये दांव नया नहीं है।

पार्टी ने एक बार फिर से अपना ही 2021 वाला फॉर्मूला दोहराया है।

दावा किया जा रहा है कि भाजपा इस बदलाव के ज़रिए एक नई राजनीतिक लय बनाना चाहती है।

कल नई कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह

कल यानी 17 अक्टूबर शुक्रवार सुबह 11.30 बजे गांधीनगर में नई कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह होगा।

नई टीम में दो डिप्टी सीएम बनाए जाने की संभावना है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार रात 9 बजे गुजरात पहुंचेंगे।

जबकि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा शुक्रवार सुबह शपथ समारोह में मौजूद रहेंगे।

राष्ट्रीय संगठन महामंत्री सुनील बंसल पहले ही गांधीनगर पहुंच चुके हैं।

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मुंबई कार्यक्रम के बाद रात 8 बजे अहम बैठक करने वाले हैं।

सूत्रों के मुताबिक, इसी बैठक में नए मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा और राज्यपाल को सौंपी जाएगी।

दो डिप्टी CM संभव, नए चेहरों पर फोकस

गुजरात की मौजूदा कैबिनेट में सीएम पटेल समेत 17 मंत्री थे।

जिसमें आठ कैबिनेट रैंक के मंत्री हैं, जबकि इतने ही राज्य मंत्री (MoS) हैं।

सूत्रों के मुताबिक, नई कैबिनेट में 2 डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं।

मंत्रिमंडल में नए चेहरों को मौका मिलने की भी उम्मीद है।

गुजरात विधानसभा में 182 विधायक हैं, इस लिहाज से गुजरात सरकार में सीएम समेत 27 मंत्री हो सकते हैं।

जिन विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिलनी है, उन्हें फोन कर सूचना दे दी गई है।

सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा मंत्रिमंडल के करीब 7 से 10 मंत्री ड्रॉप किए जा सकते हैं, जबकि 3 से 5 मौजूदा मंत्री रिपीट होंगे।

इसके अलावा कुछ मंत्रियों को हटाए जाने की संभावना है।

इनमें मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी, पंचायत मंत्री बच्चूभाई खाबर, वन एवं पर्यावरण मंत्री मुकेश पटेल, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री भीखूसिंह परमार और आदिवासी विकास मंत्री कुंवरजी हलपति शामिल हैं।

कांग्रेस से आए नेताओं को बड़ा मौका

नई कैबिनेट में कई नए चेहरों के शामिल होने की उम्मीद है।

खास बात यह है कि भाजपा अब कांग्रेस से आए नेताओं को भी शामिल करने जा रही है।

इनमें अर्जुन मोढवाड़िया, अल्पेश ठाकोर, सी.जे. चावड़ा और हार्दिक पटेल के नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं।

सौराष्ट्र से जयेश रादडिया और जीतू वाघाणी को भी मंत्री बनाया जा सकता है।

पार्टी संगठन की प्राथमिकता पाटीदार, उत्तर गुजरात से ठाकोर और आदिवासी समुदायों को प्रतिनिधित्व देना है।

चार वजहें, जिनसे हुआ बड़ा बदलाव

1. तीन साल से कोई फेरबदल नहीं

2022 में भूपेंद्र पटेल को दोबारा मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से अब तक मंत्रिमंडल में कोई बदलाव नहीं हुआ था।

2027 के चुनावों से पहले पार्टी अब नए चेहरों को आगे लाकर जोश और गति बढ़ाना चाहती है।

2. मंत्रियों के काम से असंतोष

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, कई मंत्रियों के प्रदर्शन से पार्टी हाईकमान नाखुश था।

हाल ही में हुए विसावदर उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा, जबकि पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी थी।

अब नए चेहरे लाकर संगठन उस असंतोष को दूर करना चाहता है।

3. पुराने दिग्गजों की वापसी

भाजपा अब उन नेताओं को भी जिम्मेदारी देने की तैयारी में है, जो लंबे समय से किनारे कर दिए गए थे।

ये वे नेता हैं जिनका संगठनात्मक आधार मजबूत है और जो आगामी चुनाव में निर्णायक साबित हो सकते हैं।

4. सत्ता विरोधी लहर से बचाव

गुजरात में मोदी युग से अब तक भाजपा ने समय-समय पर चेहरे बदले हैं।

चाहे आनंदीबेन पटेल हों या विजय रूपाणी, हर बार बदलाव उस वक्त हुआ जब सत्ता विरोधी लहर का संकेत मिला।

यह फैसला भी उसी रणनीति का हिस्सा है — जनता की नाराजगी से पहले बदलाव।

2021 का फॉर्मूला दोहराया, 2027 की तैयारी

यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा ने अचानक मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल किया हो।

4 साल पहले 2021 में भी भाजपा आलाकमान ने तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत पूरा मंत्रिमंडल बदल दिया था।

विजय रूपाणी के इस्तीफा के के बाद भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री बने और उनके नेतृत्व में भाजपा ने 2022 के चुनावों में 156 सीटों पर ऐतिहासिक जीत हासिल की।

अब एक बार फिर वही “टोटल रीसेट मॉडल” अपनाया गया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम केवल “परफॉर्मेंस रिव्यू” नहीं बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों की ठोस शुरुआत है।

भाजपा नेतृत्व अब से ही जातीय संतुलन, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और संगठन की ऊर्जा को नए सिरे से व्यवस्थित कर रहा है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *