GST Tax Slab Rates 2025: माल एवं सेवा कर (GST) में अब बड़ा सुधार होने जा रहा है।
गुरुवार को जीएसटी काउंसिल के मंत्रियों के समूह (GoM) की बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।
जिसके तहत अब केवल दो टैक्स स्लैब – 5% और 18% रहेंगे। अभी तक चार स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% हैं।
इस फैसले से रोजमर्रा की चीजें सस्ती होंगी और टैक्स संरचना भी काफी हद तक सरल होगी।
बिहार के उपमुख्यमंत्री और GoM संयोजक सम्राट चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
इसमें 12% और 28% स्लैब को हटाने की सिफारिश की गई थी।
उन्होंने कहा कि सभी राज्यों ने अपने सुझाव दिए और कुछ ने आपत्तियां भी जताईं।
अब यह सिफारिश जीएसटी काउंसिल के पास भेजी जाएगी, जहां इस पर अंतिम फैसला होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 15 अगस्त को लाल किले से ऐलान किया था।
इस साल दिवाली तक आम जनता को “नेक्स्ट जेनरेशन GST रिफॉर्म्स” का तोहफा मिलेगा।
पीएम मोदी ने कहा था कि टैक्स कम होंगे और रोजमर्रा की चीजें सस्ती होंगी।
GoM में कौन-कौन शामिल हैं?
GoM एक विशेष समिति है जिसमें विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ मंत्री शामिल होते हैं।
इसका काम जीएसटी से जुड़े जटिल मुद्दों पर विचार करना और काउंसिल को सिफारिश देना होता है।
इस बार की समिति में छह सदस्य शामिल थे –
- बिहार: सम्राट चौधरी (अध्यक्ष)
- उत्तर प्रदेश: सुरेश कुमार खन्ना
- राजस्थान: गजेंद्र सिंह
- पश्चिम बंगाल: चंद्रिमा भट्टाचार्य
- कर्नाटक: कृष्ण बायरे गौड़ा
- केरल: के.एन. बालगोपाल
कौन-सी चीजें होंगी सस्ती?
इस बदलाव के बाद 12% वाले सामान 5% टैक्स स्लैब में आ जाएंगे। इनमें शामिल हैं –
- सूखे मेवे
- ब्रांडेड नमकीन
- टूथपेस्ट, टूथ पाउडर, साबुन और हेयर ऑयल
- सामान्य एंटीबायोटिक्स और पेनकिलर
- प्रोसेस्ड फूड, स्नैक्स और फ्रोजन सब्जियां
- कंडेंस्ड मिल्क
- कुछ मोबाइल और कंप्यूटर
- सिलाई मशीन, प्रेशर कुकर, गीजर
- बिना बिजली वाले वॉटर फिल्टर, इलेक्ट्रिक आयरन, वैक्यूम क्लीनर
- 1000 रुपये से अधिक कीमत के रेडीमेड कपड़े और 500–1000 रुपये की रेंज वाले जूते
- ज्यादातर वैक्सीन और डायग्नोस्टिक किट
- साइकिल, बर्तन
- ज्योमेट्री बॉक्स, नक्शे और ग्लोब
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहन, कृषि मशीनरी और सोलर वॉटर हीटर
इन वस्तुओं पर टैक्स घटने से सीधा फायदा आम जनता को होगा।
28% से 18% वाले प्रोडक्ट भी होंगे सस्ते
वहीं, 28% वाले कई प्रोडक्ट अब 18% में आ जाएंगे। इनमें शामिल हैं –
- सीमेंट
- ब्यूटी प्रोडक्ट और चॉकलेट
- रेडी-मिक्स कंक्रीट
- टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, एसी और डिशवॉशर
- निजी विमान
- प्रोटीन कॉन्सेंट्रेट, कॉफी और शुगर सिरप
- प्लास्टिक प्रोडक्ट, रबर टायर और एल्युमिनियम फॉयल
- टेम्पर्ड ग्लास, प्रिंटर और रेजर
- मैनिक्योर किट और डेंटल फ्लॉस
इन वस्तुओं की कीमतों में भी कमी आएगी जिससे मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
लग्जरी और हानिकारक उत्पादों पर उच्च दर
GoM ने यह भी सिफारिश की है कि लक्जरी कारों और तंबाकू प्रोडक्ट्स पर 40% टैक्स लगाया जाए। पहले इन पर टैक्स दर 50% से भी ज्यादा थी।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल आवश्यक और सामान्य उपयोग की वस्तुएं सस्ती हों, जबकि हानिकारक या लग्जरी सामान महंगे ही रहें।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही संकेत दिया था कि इस बदलाव से मिडिल क्लास, किसानों और MSME सेक्टर को बड़ी राहत मिलेगी।
टैक्स स्ट्रक्चर सरल और पारदर्शी बनेगा, जिससे टैक्स कलेक्शन में सुधार होगा और ज्यादा लोग टैक्स भरने को प्रेरित होंगे।
केंद्र का कहना है कि 12% वाले 99% सामानों को 5% में और 28% वाले 90% सामानों को 18% में डालने से कीमतें कम होंगी।
बीमा और हेल्थ सेवाओं पर टैक्स छूट
GoM ने व्यक्तियों के लिए हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी छूट देने के प्रस्ताव पर भी चर्चा की।
अगर इसे लागू किया जाता है तो सरकार को सालाना लगभग 9,700 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा उठाना पड़ेगा।
हालांकि अधिकांश राज्यों ने इस कदम का समर्थन किया है, ताकि इसका लाभ सीधे उपभोक्ताओं को मिले।
बहरहाल, अब GoM की ये सिफारिशें जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में पेश की जाएंगी।
उम्मीद है कि यह बैठक सितंबर या अक्टूबर 2025 में हो सकती है।
अगर काउंसिल 75% बहुमत से प्रस्ताव पास कर देती है, तो केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर कानूनी व तकनीकी कदम उठाएंगी।
इसके बाद नई दरें लागू करने की तारीख तय होगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर काउंसिल ने सितंबर–अक्टूबर में फैसला ले लिया, तो नई दरें 2026 की शुरुआत तक लागू हो सकती हैं।
इस बीच कारोबारियों और उपभोक्ताओं को जानकारी देकर तैयारियां कराई जाएंगी।
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