फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन में बंगाल फिसड्डी

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– कानून मंत्री रिजिजू बोले- ममता बनर्जी सरकार का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण

नई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू ने यौन अपराधों के मामलों में तेजी से न्याय दिलाने के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतों को स्थापित करने में देरी को लेकर बंगाल सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह ऐसा व्यवहार कर रही हैं जैसे कि राज्य ‘भारतीय संघ से बाहर’ है।

रिजिजू ने एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में राजद्रोह कानून के पक्ष में कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए दंडात्मक उपायों की आवश्यकता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पूर्ण अधिकार का उपयोग देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने के लिए न किया जाए।

वास्तव में, बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है। यह अच्छी बात नहीं है। मैंने बंगाल की मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और मैं उन्हें फिर से याद दिलाऊंगा।

वर्ष 2018 में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के पारित होने के बाद केंद्र सरकार ने 1,023 फास्ट-ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) को स्थापित करने का निर्णय लिया था, जिसमें से राज्यों की 389 अदालतें विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (पाक्सो) के उल्लंघन से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए हैं।

सरकारी सूत्रों के अनुसार 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एफटीएससी योजना के लिए अपनी सहमति दे दी है। बंगाल में 123 ऐसी अदालतों को स्थापित किया जाना है।

मंत्री ने जजों की नियुक्ति के विषय पर कहा कि सरकार अब अधिक सक्रिय हो गई है। जजों की नियुक्ति केवल सरकार ही नहीं करती, बल्कि लंबी प्रक्रिया के बाद उन्हें चुना जाता है।

पिछले पांच महीनों में काफी काम हुआ है। साल के अंत तक आप रिकार्ड संख्या में जजों की नियुक्ति होते देखेंगे।

न्यायपालिका पर सरकार के प्रभाव पर विपक्षी दलों के बार-बार लगाए गए आरोपों पर रिजिजू ने कहा कि इस तरह के आरोप ‘आधारहीन’ हैं।

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