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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के 21 दिन बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के कैबिनेट विस्तार का निर्णय लिया है। यह शपथ ग्रहण समारोह रविवार, 17 दिसंबर को नागपुर के विधान भवन में शाम 4 बजे आयोजित किया जाएगा। खास बात यह है कि 33 साल बाद राज्य की उप-राजधानी में कैबिनेट विस्तार हो रहा है। इससे पहले, 21 दिसंबर 1991 को सुधाकरराव नाइक के मुख्यमंत्री बनने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार नागपुर में ही हुआ था।
कैबिनेट में कौन होंगे शामिल?
सूत्रों के अनुसार, इस विस्तार में कुल 30-32 मंत्री शपथ ले सकते हैं। इसमें भाजपा के लगभग 20-21 विधायक, शिवसेना (शिंदे गुट) के 11-12 विधायक और NCP (अजित गुट) के 9-10 विधायक मंत्री पदों की शपथ ले सकते हैं।
भाजपा के संभावित मंत्री
चंद्रशेखर बावनकुले
गिरीश महाजन
चंद्रकांत पाटिल
जय कुमार रावल
पंकजा मुंडे
राधाकृष्ण विखे पाटिल
मंगल प्रभात लोढ़ा
शिवसेना (शिंदे गुट) के संभावित मंत्री
उदय सामंत
शंभुराजे देसाई
गुलाबराव पाटिल
NCP (अजित गुट) के संभावित मंत्री
छगन भुजबल
अदिति तटकरे
नरहरि झिरवाल
विभागों का बंटवारा
मंत्रिमंडल विस्तार में विभागों के बंटवारे को लेकर भी चर्चा जारी है। भाजपा गृह, राजस्व, उच्च शिक्षा, कानून, ऊर्जा और ग्रामीण विकास जैसे प्रमुख विभागों को अपने पास रखने की योजना बना रही है। वहीं, शिवसेना को हेल्थ, शहरी विकास, सार्वजनिक कार्य और उद्योग जैसे विभाग सौंपे जा सकते हैं। वित्त, योजना, कृषि और सहकारी जैसे विभाग दिए जाने की संभावना है।
हालांकि, गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय को लेकर अभी भी विवाद चल रहा है। भाजपा और एकनाथ शिंदे दोनों इन मंत्रालयों पर अपना दावा जता रहे हैं, जिससे कैबिनेट विस्तार में थोड़ी देरी हुई है।
शपथ ग्रहण क्यों नागपुर में?
महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र हर साल नागपुर में आयोजित होता है, और इस बार शपथ ग्रहण समारोह भी मुंबई के बजाय नागपुर में हो रहा है। विधानसभा के अन्य सत्र, जैसे बजट और मानसून सत्र, मुंबई में होते हैं, जबकि शीतकालीन सत्र नागपुर में ही आयोजित किया जाता है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने नागपुर को शपथ ग्रहण समारोह के लिए चुना है।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र का यह कैबिनेट विस्तार न केवल राज्य की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म देगा, बल्कि आगामी विधानसभा सत्र में भी विभिन्न दलों के बीच नए राजनीतिक दृष्टिकोण को सामने लाएगा। आगामी कुछ दिन महाराष्ट्र की राजनीतिक दिशा तय करने के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
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