Bihar Horse Trading Case: पटना: बिहार की नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को गिराने की साजिश का खुलासा हुआ है।
आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की जांच में यह खुलासा हुआ कि फरवरी 2024 में सरकार गिराने की एक सुनियोजित साजिश रची गई थी।
इस साजिश के केंद्र में विधायकों की खरीद-फरोख्त, अपहरण और हवाला के जरिए करोड़ों रुपये के लेन-देन की योजना थी।
इस मामले में ठेकेदार और इंजीनियर सुनील सिंह से मंगलवार को पूछताछ हुई, जिसका RJD से कनेक्शन सामने आया है।
फ्लोर टेस्ट से पहले रची गई थी साजिश
EOU की जांच के मुताबिक, विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने से पहले सरकार को अल्पमत में लाने की योजना बनाई गई थी।
12 फरवरी 2024 को फ्लोर टेस्ट के दिन को ही सरकार गिराने के लिए चुना गया था।
इस साजिश के तहत NDA के विधायकों को तोड़ने और विपक्ष के पक्ष में वोट डालने के लिए मोटी रकम की पेशकश की गई।
जांच एजेंसी को इसके पुख्ता सबूत भी मिले कि कुछ विधायकों ने एडवांस में रकम ली थी और बचे पैसा सरकार गिरने के बाद हवाला के जरिए मिलने वाला था।
कोतवाली थाने में FIR से खुली पोल
इस साजिश की भनक सबसे पहले जेडीयू विधायक सुधांशु शेखर को लगी, जिन्होंने 11 फरवरी को पटना के कोतवाली थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई।
इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि जेडीयू की विधायक बीमा भारती और विधायक दिलीप राय को अगवा कर विपक्षी खेमा उन्हें खरीदने की कोशिश कर रहा है।
सुधांशु ने यह भी दावा किया कि उन्हें खुद महागठबंधन की ओर से 10 करोड़ रुपये का ऑफर मिला था।
इसके अलावा विधायक कृष्ण मुरारी शरण को मंत्री पद देने का वादा किया गया।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पटना पुलिस ने इसकी जांच EOU को सौंप दी, जिसके बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।
जीनियर सुनील सिंह की भूमिका संदिग्ध
राज्य की आर्थिक अपराध इकाई ने इस केस को टेक ओवर करने के बाद गंभीरता से जांच शुरू की।
इस क्रम में ठेकेदार और इंजीनियर सुनील सिंह की भूमिका संदिग्ध पाई गई।
सुनील सिंह मंगलवार सुबह पटना स्थित EOU ऑफिस पहुंचे।
जहां सुबह 11 बजे से उनसे पूछताछ शुरू हुई जो देर शाम तक जारी रही।
उन्हें EOU ने शनिवार को नोटिस जारी कर तलब किया था।
सूत्रों के अनुसार, सुनील सिंह का RJD के कई नेताओं से करीबी संबंध है और उनकी भूमिका संभावित फंडिंग और लॉजिस्टिक्स में बताई जा रही है।
जांच एजेंसी ने यह भी पाया कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में मौजूद नेटवर्क का इस्तेमाल विधायकों तक पैसा पहुंचाने के लिए किया गया।
कांग्रेस ने विधायकों को हैदराबाद भेजा
फ्लोर टेस्ट से पहले माहौल में बढ़ते तनाव और खरीद-फरोख्त की आशंका को देखते हुए कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को हैदराबाद भेज दिया था।
पार्टी के तात्कालिक प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने दावा किया कि विधायक तेलंगाना की नई सरकार को बधाई देने गए हैं।
लेकिन, अंदरखाने यह स्पष्ट था कि विधायकों को “सेफ हाउस” में रखा गया ताकि कोई उन्हें प्रभावित न कर सके।
फ्लोर टेस्ट के दिन हुआ बड़ा उलटफेर
12 फरवरी 2024 को जैसे ही विधानसभा में फ्लोर टेस्ट शुरू हुआ।
आरजेडी विधायक चेतन आनंद NDA खेमे में जाकर बैठ गए।
जिससे यह साफ हो गया कि उन्होंने पाला बदल लिया है।
इसके बाद बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी और विधायक नीलम देवी भी एनडीए विधायकों के साथ नजर आईं।
तीसरे विधायक प्रहलाद यादव (सूर्यगढ़ा) ने भी महागठबंधन छोड़ NDA का साथ दे दिया।
इन तीन विधायकों के पाला बदलने से महागठबंधन को तगड़ा झटका लगा और फ्लोर टेस्ट में नीतीश सरकार ने बहुमत साबित कर दिया।
शपथ ग्रहण से फ्लोर टेस्ट तक सियासी हलचल
महागठबंधन सरकार के गिरने के बाद 28 जनवरी 2024 को एनडीए सरकार ने शपथ ली थी।
नीतीश कुमार ने नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
उनके साथ सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
इसके बाद 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट निर्धारित हुआ।
इन 14 दिनों में लगातार कोशिशें की गईं कि सरकार को अल्पमत में लाया जाए।
फिलहाल, EOU की जांच जारी है और संभावना जताई जा रही है कि इस साजिश में शामिल चेहरों के नाम जल्द सामने आ सकते हैं।
वहीं सुनील सिंह से हुई पूछताछ के आधार पर एजेंसी कुछ और लोगों को भी समन भेज सकती है।
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