बिहार में 65 लाख वोटर्स के नाम लिस्ट से हटे, चुनाव आयोग ने जारी की नई वोटर लिस्ट

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Bihar New Voter List: बिहार में आगामी चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने शुक्रवार को राज्य की नई वोटर लिस्ट जारी कर दी, जिसमें करीब 65 लाख वोटर्स के नाम हटा दिए गए हैं।

यह कदम राज्यभर में घर-घर मतदाता सत्यापन अभियान के तहत उठाया गया है, जिसे Special Intensive Revision (SIR) कहा गया।

यह सूची अब चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है और इसे सभी 38 जिलों के जिलाधिकारियों (DM) तथा राजनीतिक दलों से साझा किया गया है।

क्यों हटाए गए 65 लाख वोटर्स के नाम?

नई वोटर लिस्ट राज्य में 24 जून 2025 से 25 जुलाई 2025 तक चले विशेष सत्यापन अभियान के आधार पर तैयार की गई है।

इस दौरान 99.8% मतदाताओं से संपर्क कर सत्यापन किया गया।

EC के अनुसार, जिन 65 लाख नामों को लिस्ट से हटाया गया है, उनके पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

• 22 लाख मतदाता ऐसे हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है।

• 36 लाख मतदाता स्थायी रूप से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित हो चुके हैं।

• 7 लाख लोग ऐसे पाए गए जो किसी नए क्षेत्र में स्थायी निवासी बन चुके हैं।

• इसके अतिरिक्त, फर्जी नाम और डुप्लिकेट एंट्री भी हटाई गई हैं।

इस प्रक्रिया का उद्देश्य था कि वोटर लिस्ट को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाया जाए ताकि फर्जी वोटिंग को रोका जा सके।

कहां-कहां सबसे ज्यादा नाम हटे?

जिला स्तर पर देखें तो सबसे ज्यादा नाम सारण जिले से हटाए गए हैं, जहां 2,73,223 मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं। अन्य प्रमुख जिले इस प्रकार हैं:

• भागलपुर – 2,44,612 नाम कटे

• पश्चिम चंपारण – 1,91,376

• किशनगंज – 1,45,913

• सहरसा – 1,31,596

• सुपौल – 1,28,207

• बक्सर – 87,645

• खगड़िया – 79,551

• शेखपुरा – 26,256

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि व्यापक स्तर पर लिस्ट को अपडेट किया गया है।

अब कुल कितने मतदाता हैं बिहार में?

पहले राज्य में 7.89 करोड़ मतदाता दर्ज थे।

नई सूची के अनुसार अब कुल मतदाताओं की संख्या घटकर 7.24 करोड़ रह गई है।

यानी लगभग 8% नाम हटा दिए गए हैं, जो राज्य के राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकते हैं।

वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने और सुधार का मौका

EC ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन लोगों के नाम गलती से कट गए हैं या जिनकी जानकारी गलत है, उन्हें सुधार का एक और मौका मिलेगा।

2 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक विशेष सुधार कैंप चलाए जाएंगे।

ये कैंप सभी प्रखंड सह अंचल कार्यालयों, नगर निकाय कार्यालयों, नगर परिषदों और नगर निगमों में लगाए जाएंगे।

इन कैंपों में रोज़ाना सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक काम होगा और रविवार को भी कर्मचारी मौजूद रहेंगे।

बीएलओ (Booth Level Officer) को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि दिव्यांग और बुजुर्ग मतदाताओं के घर जाकर आवेदन लें ताकि वे भी बिना किसी असुविधा के सूची में नाम दर्ज करा सकें।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला 

इस पूरी प्रक्रिया को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की गई थी।

कोर्ट ने 4 दिन पहले ही वोटर लिस्ट रिवीजन की अनुमति दी थी।

सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि यह चुनाव आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है।

हालांकि कोर्ट ने समय की संवेदनशीलता को देखते हुए आयोग से यह भी कहा कि SIR के दौरान आधार कार्ड, वोटर ID और राशन कार्ड सभी पहचान दस्तावेज के रूप में मान्य हों।

साथ ही कोर्ट ने यह चेतावनी भी दी कि यदि प्रक्रिया में कोई खामी पाई गई तो SIR को रद्द किया जा सकता है।

बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले यह कदम मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा प्रयास माना जा रहा है।

जहां एक ओर वोटर्स के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सुधार का मौका दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर चुनावी पारदर्शिता को भी प्राथमिकता दी गई है।

अब देखना यह है कि इस प्रक्रिया के बाद राजनीतिक दल और मतदाता किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं।

 

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