Shashi Tharoor on Emergency

Shashi Tharoor on Emergency

फिर दिखे थरूर के तेवर: इमरजेंसी को बताया भारतीय इतिहास का ‘काला अध्याय’, कहा- इससे सबक लेना जरूरी

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Shashi Tharoor on Emergency: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने देश में 1975 में लगे आपातकाल (इमरजेंसी) को भारतीय लोकतंत्र का ‘काला अध्याय’ करार देते हुए इसे एक चेतावनी के रूप में याद करने की जरूरत बताई है।

मलयालम अखबार दीपिका’ में छपे अपने आर्टिकल में थरूर ने इंदिरा गांधी की नीतियों पर तीखा सवाल उठाया और कहा कि लोकतंत्र को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए।

जब सत्ता केंद्रीकृत हो जाती है और असहमति को दबाया जाता है, तो संविधान को कुचलने की राह तैयार होती है।

लोकतंत्र को हल्के में लेना खतरनाक- थरूर

थरूर ने अपने लेख में लिखा, इमरजेंसी को केवल एक ऐतिहासिक गलती कहकर भूल जाना सही नहीं होगा।

यह एक ऐसा अध्याय है, जो आज भी हमें सचेत करता है कि लोकतंत्र की रक्षा कितनी जरूरी है।

अनुशासन और व्यवस्था के नाम पर जो कदम उठाए गए, वे अत्याचार में बदल गए।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे क्रूर कदमों को कोई भी तर्क जायज नहीं ठहरा सकता, चाहे वे राष्ट्रहित के नाम पर उठाए गए हों या स्थिरता के।

शशि थरूर ने लिखा कि लोकतंत्र एक बहुमूल्य विरासत है, जिसकी लगातार रक्षा और संरक्षण आवश्यक है।

उन्होंने चेतावनी दी कि सत्ता केंद्रित करने और असहमति को दबाने की प्रवृत्तियां फिर से सिर उठा सकती हैं।

इमरजेंसी इस मायने में महज इतिहास नहीं, बल्कि लोकतंत्र के रक्षकों के लिए एक चेतावनी है।

नसबंदी को बताया मनमानी और क्रूर नीति

इमरजेंसी के सबसे विवादास्पद हिस्से ‘नसबंदी अभियान’ पर थरूर ने तीखी टिप्पणी की।

उन्होंने लिखा कि इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की अगुआई में चला यह अभियान क्रूरता का प्रतीक बन गया।

थरूर के अनुसार गरीब और ग्रामीण तबके पर जबरन नसबंदी थोपने के लिए दबाव, डर और हिंसा का सहारा लिया गया।

नई दिल्ली जैसे शहरों में झुग्गियां बेरहमी से तोड़ी गईं और हजारों लोग बेघर हो गए, जिनकी तकलीफों की किसी ने सुध नहीं ली।

मोदी की तरीफ को कांग्रेस ने बताया निजी राय

यह लेख ऐसे समय आया है जब कुछ दिन पहले ही थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की की तारीफ करते हुए लिखा था कि मोदी की ऊर्जा और कूटनीतिक पहल भारत के लिए एक संपत्ति है।

यह लेख ‘द हिंदू’ में 23 जून को छपा था, जिसे कांग्रेस नेतृत्व से थरूर की नाराजगी के संकेत के रूप में देखा गया।

थरूर के लेख पर कांग्रेस ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह पार्टी का आधिकारिक स्टैंड नहीं बल्कि थरूर की व्यक्तिगत राय है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और अन्य नेताओं ने साफ किया कि मोदी सरकार की विदेश नीति को लेकर पार्टी का रुख अलग है और पार्टी इसे विफल मानती है।

खड़गे का तंज, मॉस्को में थरूर ने दी सफाई

थरूर की प्रधानमंत्री की तारीफ पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी चुटकी ली थी।

उन्होंने कहा, मैं अंग्रेजी नहीं पढ़ सकता, लेकिन थरूर की लैंग्वेज बहुत अच्छी है। हमने उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया है। पूरे विपक्ष ने कहा कि देश पहले है, लेकिन कुछ लोगों के लिए मोदी फर्स्ट हैं।

वहीं दूसरी ओर बढ़ती आलोचना के बीच शशि थरूर ने मॉस्को में मीडिया से बातचीत करते हुए सफाई दी कि उन्होंने मोदी की सक्रियता की बात इसलिए की क्योंकि प्रधानमंत्री ने कई देशों की यात्रा की और भारत की आवाज़ को विश्व मंच पर बुलंद किया।

थरूर और कांग्रेस की राय अलग-थलग

शशि थरूर ने कहा कि हमारे लोकतंत्र में मतभेद सीमा पर खत्म हो जाने चाहिए।

हमारी एक ही विदेश नीति होनी चाहिए – भारतीय विदेश नीति।

वहीं कांग्रेस का दावा है कि मोदी सरकार की विदेश नीति पूरी तरह असफल रही है।

पार्टी ने आरोप लगाया कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ता जा रहा है।

कांग्रेस ने हाल ही में अमेरिकी सरकार द्वारा भारत यात्रा को लेकर जारी की गई एडवाइजरी को लेकर भी केंद्र सरकार पर सवाल उठाए और मांग की कि भारत सरकार कड़ा विरोध दर्ज कराए।

बहरहाल, थरूर और उनकी पार्टी की अलग-थलग राय साफ बता रही है कि मतभेद तो है।

 

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