राकेश अचल (वरिष्ठ पत्रकार )
आने वाले दिनों के लिए कांग्रेस का ‘ फ्यूचर प्लान ‘ क्या है ये राहुल गाँधी के अलावा कोई नहीं जानता ,लेकिन एक पत्रकार होने के नाते मैं इतना दावे के साथ कह सकता हूँ कि कांग्रेस का ‘फ्यूचर ‘ कांग्रेस के ‘ फ्यूचर प्लान ‘ पर ही टिका है।
कांग्रेस 2014 से सत्ता से बाहर हैं। और अभी उसे 2029 तक सत्ता से बाहर ही रहना है । सत्तारूढ़ होने के लिए उसे अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर ऐसा फ्यूचर प्लान ‘ बनाना होगा जो उसकी सत्ता में वापसी करा सके। कांग्रेस की जैसी तैयारीअभी दिखाई देती है उसे देखकर लगता है कि कांग्रेस के लिए सत्ता अभी भी ‘ आकाश-कुसम’ जैसी ही है।
गुजरात में हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक और अधिवेशन में पार्टी की भावी रणनीति पर मंथन किया गया। सबकी नजर इसी मंथन से निकलने वाले उत्पाद पर टिकी रही । इस मंथन से कांग्रेस को अमृत मिला या विष ,ये कहना कठिन है।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पार्टी के लगातार कमजोर होने के मुद्दे पर बैठक में मंथन हुआ। कांग्रेस वर्किंग कमेटी में यह बात भी उठी कि पार्टी बीते कल की यानि अतीत की बात कर रही है, लेकिन कांग्रेस के पास फ्यूचर एक्शन प्लान नहीं है। पार्टी के एकछत्र नेता राहुल गांधी ने इस सवाल का जवाब दे दिया. राहुल गांधी ने साफ-साफ कहा कि उनके पास ‘ फ्यूचर एक्शन प्लान ‘ है।
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गुजरात का कांग्रेस अधिवेशन सिर्फ जलेबी, फाफड़ा पार्टी क्योंकि राहुल के सिक्के ही खोटे !
गुजरात के अहमदाबाद में 8 और 9 अप्रैल को हुए कांग्रेस के अधिवेशन अधिवेशन का मकसद संगठन को मजबूत करना और देश के प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श करना था। अधिवेशन के बाद छनकर बाहर आयी खबरों के मुताबिक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं से अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) और महिलाओं का फिर से समर्थन हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की।
सूत्रों ने बताया कि राहुल ने कांग्रेस की विस्तारित कार्य समिति की बैठक में इस बात पर जोर दिया कि पार्टी के पास अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का समर्थन है, लेकिन ओबीसी वर्गों तथा अन्य कमजोर तबकों का समर्थन भी हासिल करने की जरूरत है । राहुल ने कहा कि महिलाओं का भी समर्थन हासिल करना होगा जो देश की आबादी का करीब 50 फीसदी हैं।
कांग्रेस के इस अधिवेशन में जातीय जनगणना से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को बेचने और ईवीएम से फर्जी चुनाव करने से लेकर अमरीकी टैरिफ का मुद्दा भी जेरे बहस रहा। अधिवेशन में शशि थरूर जैसे नेताओं का नाम लिए बिना पार्टी में भाजपा के स्लीपर सेलों की भी बात उठी ,लेकिन सवाल ये है कि तमाम मुद्दों को चिन्हित करने के बाद ऐसी क्या कार्ययोजना बनाई गयी है जो भाजपा के वेग से आगे बढ़ रहे रथ को रोक सके।
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भाजपा पिछले एक दशक में कांग्रेस से इतना ज्यादा आगे निकल गयी है कि उसे सत्ताच्युत करना आसान नहीं है। देश जानना चाहता है कि कांग्रेस भाजपा का मुकाबला आखिर किस तरह करने जा रही है।
इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि देश को एक अलग दिशा में धकेलने में लगी भाजपा को केवल और केवल कांग्रेस ही रोक सकती है,लेकिन वो अभी अकेले नही। भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस को आईएनडीआईए के सहारे ही आगे बढ़ना होगा ,लेकिन क्या कांग्रेस आने वाले दिनों में भाजपा की बैसा खियाँ छीन सकती है ?
शायद नहीं ,क्योंकि हाल ही में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर तमाम लानत-मलानत के बावजूद टीडीपी और जेडीयू ने भाजपा का साथ नहीं छोड़ा है।कांग्रेस ने 2024 के आम चुनाव में अपने सहयोगी दलों के साथ भाजपा की बढ़त को कम किया ,भाजपा को स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं करने दिया,किन्तु कांग्रेस भाजपा को सत्ता से अलग नहीं कर पायी।
कांग्रेस के समाने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी कार्यकर्ताओं को हताश होने से बचाने की है। कांग्रेस का हताश कार्यकर्ता भाजपा के देवतुल्य कार्यकर्ताओं और आरएसएस के शाखामृगों का मुकाबला नहीं कर सकता। एक दशक तक सत्ता में रहने के बाद भाजपा के कार्यकर्ता और संघ के शाखामृग आर्थिक रूप से भी सम्पन्न हुए हैं।
भाजपा और संघ ने इसी एक दशक में पूरे देश में संघ और भाजपा के पांच सितारा कार्यालयों की श्रृंखला खड़ी कर ली है। इलेक्टोरल बांड का अकूत पैसा भी भाजपा के पास है। ऐसे में एक मात्र रास्ता ये बचता है कि कांग्रेस एक नई आक्रमकता के साथ चुनाव मैदान में उतरे।
कांग्रेस के अधिवेशन में अच्छी बात ये रही कि स्लीपर सेल समझे जाने वाले नेताओं को भी बोलने दिया गय। असंतुष्ट नेताओं का प्रतिनिधित्व शशि थरूर जैसे नेताओं ने किया। अब कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे विभीषणों की संख्या पहले के मुकाबले कुछ कम हुई है।
कांग्रेस अब राहुल गाँधी के नियंत्रण वाली कांग्रेस है । कांग्रेस को परिवारवाद से मुक्त करना -कराना एक अलग मुद्दा है जो शायद इस अधिवेशन में बहस के लिए नहीं आया। आ भी नहीं सकता था । यही परिवारवाद कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी है और सबसे बड़ी ताकत भी। कांग्रेस के लिए ये अंतिम अवसर है ,2029 के बाद कांग्रेस मुमकिन है कि किसी कालपात्र में पड़ी दिखाई दे वामपंथी दलों की तरह या समाजवादी दलों की तरह। राहुल गाँधी जिस दिन अपना फ्यूचर प्लान सार्वजनिक करेंगे उस दिन हमभी बता सकेंगे कि कांग्रेस का फ्यूचर क्या है ? कांग्रेस ने टाइगर मोदी जी की मांद में घुसकर उन्हें चुनौती दी है ,देखिए आगे-आगे होता है क्या ?
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