Govindan Ranganathan Arrested: मध्य प्रदेश में बच्चों की जान लेने वाले जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सिरप कांड में बड़ा एक्शन हुआ है।
तमिलनाडु की श्रीसन फार्मा कंपनी के डायरेक्टर गोविंदन रंगनाथन को बुधवार रात एमपी एसआईटी ने चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया।
यह वही कंपनी है, जिसने वह सिरप तैयार किया था जिससे अब तक 24 बच्चों की मौत हो चुकी है।
एसआईटी ने छापेमारी के दौरान कंपनी से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, दवाओं के नमूने और प्रोडक्शन रिकॉर्ड जब्त किए हैं।
जानकारी के मुताबिक, रंगनाथन पर 20,000 रूपये का इनाम घोषित था और वह अपनी पत्नी के साथ फरार चल रहा था।
उसकी गिरफ्तारी चेन्नई-बेंगलुरु हाईवे पर स्थित अपार्टमेंट से हुई। यह अपार्टमेंट 2,000 वर्ग फुट का है जिसे अब सील कर दिया गया है। वहीं, कोडम्बक्कम स्थित रजिस्टर्ड ऑफिस भी बंद मिला।
छिंदवाड़ा एसपी अजय पांडे ने बताया कि SIT ने रंगनाथन को चेन्नई कोर्ट में पेश कर ट्रांजिट रिमांड की मांग की है। इसके बाद उसे छिंदवाड़ा लाया जाएगा, जहां उससे पूछताछ की जाएगी।
बिना बिल खरीदा गया जहरीला केमिकल
तमिलनाडु डायरेक्टर ऑफ ड्रग्स कंट्रोल की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है।
जांच में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप नॉन-फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल से तैयार किया गया था।
कंपनी के मालिक रंगनाथन ने स्वीकार किया कि उसने प्रोपलीन ग्लायकॉल के 50 किलो के दो बैग (कुल 100 किलो) खरीदे थे, लेकिन इसका न तो कोई बिल मिला और न ही खरीद की एंट्री की गई।
भुगतान कभी कैश से, तो कभी गूगल पे (G-Pay) यानी ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम से किया गया था।
486 गुना ज्यादा जहरीला केमिकल
जांच में यह भी सामने आया कि सिरप में डाईएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लायकॉल (EG) जैसे जहरीले रसायनों की मात्रा तय सीमा से 486 गुना ज्यादा थी।
विशेषज्ञों ने बताया कि यह मात्रा न सिर्फ बच्चों के लिए घातक है, बल्कि इतनी अधिक है कि यह हाथी जैसे जानवर की भी किडनी और ब्रेन को नष्ट कर सकती है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, श्रीसन फार्मा ने 25 मार्च 2025 को सनराइज बायोटेक चेन्नई से यह प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदा था।
यह नॉन-फार्मास्यूटिकल ग्रेड का था, यानी दवा बनाने योग्य नहीं था। इसके बावजूद कंपनी ने न तो इसकी शुद्धता जांची और न ही उसमें DEG या EG की मात्रा की जांच कराई।
दस्तावेज छिपाने और सबूत मिटाने की कोशिश
तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट की जांच में सामने आया कि कंपनी ने इस घटिया केमिकल से कई दवाएं तैयार कीं।
जब जांच टीम निरीक्षण के लिए पहुंची, तो कंपनी में प्रोपलीन ग्लायकॉल का कोई स्टॉक नहीं मिला। इससे शक गहरा गया कि कंपनी ने सबूत मिटाने के लिए केमिकल खत्म कर दिया।
अधिकारियों के मुताबिक, यह मामला जन सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है, क्योंकि नॉन-फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल से बनी दवाएं बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए जानलेवा हैं।
छिंदवाड़ा भेजी जा रही थीं 589 बॉटल्स
एसआईटी की जांच में पाया गया कि कंपनी में कोल्ड्रिफ सिरप के बैच नंबर SR-13 की 589 बॉटल (60 एमएल) तैयार की गई थीं, जिन्हें छिंदवाड़ा भेजने की तैयारी चल रही थी।
इसी बैच की सिरप पीने से बच्चों की किडनी फेल हुई और ब्रेन में सूजन आई, जो मौत का कारण बनी। यह बैच मई 2025 में बनाया गया था, जबकि इसकी एक्सपायरी डेट अप्रैल 2027 थी।
एसआईटी टीम को कंपनी की यूनिट से कुल 5870 बॉटल दवाएं मिलीं। इनमें 1534 बॉटल रेस्पोलाइट डी, 2800 बॉटल रेस्पोलाइट जीएल, 736 बॉटल रेस्पोलाइट एसटी, और 800 बॉटल हेपसंडिन सिरप शामिल थीं।
हालांकि, जांच में ये दवाएं स्टैंडर्ड क्वालिटी की पाई गईं। बता दें इस हादसे में अब तक 24 बच्चों की जान जा चुकी है।
बुधवार रात छिंदवाड़ा जिले की उमरेठ तहसील के पचधार गांव के तीन वर्षीय मयंक सूर्यवंशी ने नागपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। मयंक 25 सितंबर से भर्ती था।
जिम्मेदारी तय होने तक जांच जारी रहेगी
मध्य प्रदेश सीएम ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
स्वास्थ्य विभाग ने पूरे राज्य में कोल्ड्रिफ और उससे जुड़ी दवाओं की तत्काल जांच के आदेश दिए हैं।
एसआईटी अब यह जांच कर रही है कि इस जहरीली दवा की क्वालिटी जांच रिपोर्ट कैसे पास हुई और क्या इसमें स्थानीय ड्रग कंट्रोल ऑफिसर्स की लापरवाही भी शामिल थी।
अधिकारियों के अनुसार, जब तक हर जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, यह जांच बंद नहीं की जाएगी।
वहीं, सीएम डॉ. मोहन यादव आज यानी गुरुवार को नागपुर जाएंगे, जहां वे कफ सिरप पीने के बाद अस्पताल में भर्ती चार बच्चों से मिलेंगे।
इनमें से एक बच्चा गार्विक पवार नागपुर मेडिकल कॉलेज में, अंबिका विश्वकर्मा न्यू हेल्थ सिटी हॉस्पिटल में और कुणाल तथा हर्ष यदुवंशी नागपुर एम्स में भर्ती हैं।
सीएम ने कहा है कि राज्य सरकार हर पीड़ित परिवार के साथ है, किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा। सभी बच्चों का इलाज सरकार कराएगी।
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