Cough Syrup Ban

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Coldrif तमिलनाडु के बाद MP में भी बैन, इसी कफ सिरप से छिंदवाड़ा में 10 बच्चों की मौत हुई

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Cough Syrup Ban: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में 9 बच्चों की मौत के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को घोषणा की कि Coldrif कफ सिरप और कंपनी के सभी उत्पादों की बिक्री पर पूरे मध्य प्रदेश में प्रतिबंध लगाया जा रहा है।

तमिलनाडु की फैक्ट्री में बने इस सिरप की जांच रिपोर्ट आने के बाद यह कार्रवाई की गई है।

सीएम ने X पर लिखा, छिंदवाड़ा में Coldrif सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे मध्य प्रदेश में बैन किया गया है।

सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी रोक लगाई गई है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

जांच में मिला जहरीला केमिकल

घटना के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने तमिलनाडु सरकार को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी।

कांचीपुरम स्थित फैक्ट्री से भेजे गए Coldrif सिरप (बैच नंबर SR-13) के सैंपल में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा 48.6% पाई गई।

यह रसायन अत्यंत विषैला होता है और शरीर में जाने पर किडनी फेल कर सकता है। तमिलनाडु सरकार ने जांच रिपोर्ट मिलते ही तत्काल एक्शन लिया।

पूरे राज्य में इस बैच के उत्पादन और बिक्री पर बैन लगा दिया गया और थोक व खुदरा स्टॉक सीज कर दिए गए।

खास बात यह है कि जांच 48 घंटे के भीतर पूरी कर ली गई, जबकि इस दौरान राज्य में छुट्टियां थीं।

केवल छिंदवाड़ा में होती थी सप्लाई

मामले की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि Coldrif और Nextro-DS सिरप की सप्लाई पूरे मध्य प्रदेश में सिर्फ छिंदवाड़ा जिले में ही होती थी।

जबलपुर स्थित महाकौशल डीलर कटारिया फार्मास्यूटिकल ने सितंबर महीने में श्री सन फार्मा (चेन्नई) से 660 सिरप मंगवाए थे।

जिनमें से 594 बोतलें छिंदवाड़ा की तीन मेडिकल दुकानों—आयुष फार्मा, न्यू अपना फार्मा और जैन मेडिकल—को भेजी गईं। बाकी 66 बोतलें डीलर के ऑफिस में ही रखी रहीं।

ड्रग इंस्पेक्टर शरद कुमार जैन के अनुसार, “श्री सन फार्मा कंपनी की डीलरशिप महाकौशल क्षेत्र में केवल एक ही है।

कोल्ड्रिफ सिरप की सप्लाई मध्य प्रदेश में कहीं और नहीं की जाती थी, सिर्फ छिंदवाड़ा में तीन मेडिकल शॉप को भेजी जाती थी।”

4 साल तक के बच्चों के लिए प्रतिबंधित

दिलचस्प बात यह है कि डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस (DGHS) ने दिसंबर 2023 में ही सभी राज्यों को पत्र भेजा था।

“क्लोरफेनिरामाइन मैलिएट आईपी 2एमजी प्लस फिनाइलेफ्राइन एचसीएल 5एमजी ड्रॉप्स” फॉर्मूले वाली दवा 4 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए।

इसके बावजूद छिंदवाड़ा में 4 साल से कम उम्र के बच्चों को Coldrif सिरप दिया गया। जिन 10 बच्चों की मौत हुई, उनमें 7 की उम्र 4 साल से कम और बाकी दो बच्चे 5 साल के थे।

यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग अब डॉक्टरों की भूमिका की भी जांच कर रहा है जिन्होंने यह दवा लिखी थी।

दो साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप न दें

बढ़ते मामलों के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को देशभर के डॉक्टरों और पैरेंट्स के लिए हेल्थ एडवाइजरी जारी की।

इसमें कहा गया है कि दो साल से छोटे बच्चों को किसी भी प्रकार का कफ सिरप न दिया जाए।

DGHS की डॉ. सुनीता शर्मा द्वारा जारी एडवाइजरी में बताया गया है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों को भी कफ सिरप देने से पहले बेहद सावधानी बरती जाए।

यदि दिया भी जाए, तो कम खुराक में, सीमित समय के लिए और डॉक्टर की निगरानी में दिया जाए।

सिरप के सैंपल में खतरनाक केमिकल नहीं 

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान से लिए गए सैंपल में किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले रसायन (DEG या EG) नहीं मिले हैं।

इसके बावजूद जांच जारी है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि बच्चों की मौत का असली कारण क्या था।

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की टीमें मौके पर जांच कर रही हैं।

छिंदवाड़ा में भी एक टीम को तैनात किया गया है, जबकि दूसरी टीम चेन्नई की फैक्ट्री में जांच कर रही है।

मप्र सरकार ने बनाई तीन जांच टीमें

राज्य स्तर पर भी तीन अलग-अलग जांच टीमें गठित की गई हैं। ये टीमें 7 दिनों में अपनी रिपोर्ट भोपाल मुख्यालय में पेश करेंगी।

इनमें ड्रग इंस्पेक्टर शरद कुमार जैन, देवेंद्र कुमार जैन, स्वप्निल सिंह, वैष्णवी तलवारे और गौरव शर्मा शामिल हैं।

इसके अलावा, छिंदवाड़ा के सीएमएचओ ने भी स्थानीय टीम बनाई है जो यह पता लगाएगी कि कितने बच्चों को सिरप दिया गया और किन मेडिकल स्टोर्स से यह खरीदा गया।

केंद्र-राज्य की संयुक्त टीम ने सैंपल लिए

शुक्रवार को हुई हाई-लेवल मीटिंग में केंद्र और राज्य के अफसरों ने तय किया कि Coldrif और Nexa-DS सिरप के सैंपल रिपोर्ट आने के बाद भी नए सिरे से प्रभावित इलाकों का सर्वे किया जाएगा

इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किडनी फेल होने के पीछे कोई और रासायनिक तत्व (जैसे एथिलीन ग्लाइकॉल या अन्य औद्योगिक केमिकल) तो जिम्मेदार नहीं है।

छिंदवाड़ा में 10 बच्चों की मौत ने मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार दोनों को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है।

एक ओर जहां तमिलनाडु फैक्ट्री पर कार्रवाई की जा रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार ने दोषियों के खिलाफ सख्त दंड की चेतावनी दी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि छोटे बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप देना खतरनाक साबित हो सकता है।

फिलहाल Coldrif और Nextro-DS सिरप पर पूरे देशभर में जांच और निगरानी बढ़ा दी गई है, ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।

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