CJI BR Gavai: दिल्ली–एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक बार फिर चर्चा में है।
बुधवार 13 अगस्त को मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई ने संकेत दिया कि 11 अगस्त को जारी आदेश पर दोबारा विचार किया जा सकता है।
यह टिप्पणी उस समय आई जब एक वकील ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर पुराने फैसले का हवाला दिया।
जिसमें कहा गया था कि सभी जीवों के प्रति करुणा होनी चाहिए और किसी भी परिस्थिति में कुत्तों की अंधाधुंध हत्या नहीं की जा सकती।
8 हफ्तों में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने का आदेश
11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने दिल्ली–एनसीआर में कुत्तों के काटने और रेबीज़ से होने वाली मौतों पर चिंता जताते हुए सभी आवारा कुत्तों को 8 हफ्तों के भीतर शेल्टर होम भेजने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने इस काम में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी और कहा था कि कोई भी व्यक्ति या संगठन अवरोध डाले तो यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी।
बेंच ने पशु प्रेमियों से तीखा सवाल किया था – क्या आप उन बच्चों को वापस ला सकते हैं, जिनकी मौत रेबीज़ से हो गई? कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बच्चों को किसी भी कीमत पर रेबीज़ का खतरा नहीं होना चाहिए।
वकील की दलील पर CJI की प्रतिक्रिया
बार एंड बेंच के अनुसार, बुधवार को सुनवाई के दौरान एक वकील ने कहा कि यह “सामुदायिक कुत्तों” का मामला है और एनिमल बर्थ कंट्रोल (डॉग) रूल, 2001 का पालन होना चाहिए।
इस नियम के तहत आवारा कुत्तों की आबादी नियंत्रित करने के लिए नियमित नसबंदी और टीकाकरण अनिवार्य है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि सभी जीवों के प्रति करुणा होनी चाहिए और अंधाधुंध हत्या नहीं की जा सकती।
वकील की दलील सुनने के बाद CJI गवई ने कहा, लेकिन बेंच अपना फैसला पहले ही सुना चुकी है। मैं इसको देखता हूं।
बढ़ते डॉग बाइट्स और मौतों के आंकड़े
सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया था। कोर्ट ने रेबीज़ से होने वाली मौतों को “बेहद चिंताजनक और डराने वाला” बताया था।
इससे पहले 22 जुलाई को लोकसभा में पशुपालन राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने बताया था कि 2024 में देशभर में 37 लाख से ज्यादा डॉग बाइट्स के मामले दर्ज हुए और 54 लोगों की मौत रेबीज़ से हुई।
इनमें दिल्ली की 6 साल की बच्ची छवि शर्मा का मामला भी शामिल है, जिसे 30 जून को कुत्ते ने काटा था और इलाज के बावजूद 26 जुलाई को उसकी मौत हो गई थी।
2019 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में ओडिशा में सबसे ज्यादा 1000 लोगों पर 39.7 कुत्ते हैं, जबकि लक्षद्वीप और मणिपुर में एक भी आवारा कुत्ता नहीं है।
दुनिया में नीदरलैंड्स एक ऐसा देश है जहां आवारा कुत्ते नहीं हैं, वहां नसबंदी और गोद लेने की सख्त नीतियों से यह संभव हुआ।
नेताओं सहित पशु प्रेमियों ने आवाज उठाई
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ कई नेताओं और पशु प्रेमियों ने आवाज उठाई है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि ये बेजुबान पशु कोई ‘समस्या’ नहीं हैं, जिन्हें हटाया जाए।
प्रियंका गांधी ने भी आदेश को अमानवीय बताते हुए एक सुरक्षित समाधान खोजने की जरूरत बताई।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद मेनका गांधी ने भी आदेश पर सवाल उठाए।
बहरहाल, अब देखना यह होगा कि CJI गवई इस मामले में पुनर्विचार की प्रक्रिया आगे बढ़ाते हैं या नहीं।
फिलहाल, 11 अगस्त के आदेश के तहत दिल्ली–एनसीआर के सभी नगर निगमों को 6 हफ्तों में अपनी कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में देनी है।
आदेश के तहत किसी भी हाल में कुत्तों को वापस सड़कों पर नहीं छोड़ा जाना है।
