Manipur Political Crisis

Manipur Political Crisis

मणिपुर में नई सरकार के गठन की तैयारी तेज, BJP MLA ने राज्यपाल से मुलाकात कर पेश किया दावा

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Manipur Political Crisis: राष्ट्रपति शासन वालेमणिपुर में राजनीतिक गतिविधियां एक बार फिर तेज हो गई हैं।

बुधवार को 10 विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर नई सरकार बनाने का दावा पेश किया।

इनमें 8 विधायक भाजपा के, जबकि एक-एक विधायक NPP और निर्दलीय हैं।

इन नेताओं ने दावा किया कि उनके पास कुल 44 विधायकों का समर्थन है, जो बहुमत के आंकड़े 31 से काफी अधिक है।

राज्यपाल से मुलाकात के बाद भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम ने कहा, कांग्रेस को छोड़कर बाकी सभी 44 विधायक मणिपुर में नई सरकार के गठन के लिए तैयार हैं।

सरकार गठन का कोई विरोध नहीं कर रहा। विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत ने भी इन सभी विधायकों से मुलाकात की है।

बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति शासन

मणिपुर में 13 फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है।

इससे पहले 9 फरवरी को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था।

बीरेन सिंह की सरकार पर राज्य में चल रही जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने का आरोप था।

कुकी और मैतेई समुदायों के बीच संघर्ष मई 2023 से जारी है।

पिछले दो सालों में इस हिंसा में अब तक 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

1500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और 70 हजार से अधिक नागरिक विस्थापित हो चुके हैं।

राज्य में अब तक 6000 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं।

इन हालातों को देखते हुए बीरेन सिंह पर इस्तीफे का दबाव बन रहा था, जिसे अंततः उन्होंने स्वीकार कर लिया।

विधानसभा में सीटों की स्थिति

मणिपुर विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं।

इनमें से फिलहाल एक सीट विधायक की मृत्यु के कारण रिक्त है।

वर्तमान में विधानसभा में 59 विधायक हैं।

इनमें भाजपा के 37 विधायक हैं, जो बहुमत से छह अधिक हैं।

NDA गठबंधन में भाजपा के अलावा NPP, निर्दलीय और अन्य सहयोगी दल शामिल हैं, जिससे कुल संख्या 44 पहुंचती है।

कांग्रेस के पास फिलहाल पांच विधायक हैं, जबकि 10 विधायक कुकी समुदाय से जुड़े हैं।

इनमें से सात ने 2022 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन वर्तमान में वे पार्टी लाइन से अलग हो गए हैं।

दो विधायक कुकी पीपुल्स अलायंस के हैं और एक निर्दलीय है।

सरकार गठन पर जल्द हो सकता है फैसला

विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत भी 44 विधायकों से मुलाकात कर चुके हैं और अब पार्टी आलाकमान के निर्देश पर दिल्ली रवाना हो गए हैं।

माना जा रहा है कि जल्द ही भाजपा नेतृत्व सरकार गठन पर अंतिम निर्णय ले सकता है।

यदि राज्यपाल को समर्थन का दावा वैध और विश्वसनीय लगता है, तो वे नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।

एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था।

राहुल ने कहा था, मणिपुर में हिंसा और जानमाल के नुकसान के बावजूद पीएम ने बीरेन सिंह को लंबे समय तक पद पर बनाए रखा।

राहुल ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जांच, कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव और जनदबाव के चलते अंततः मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।

उन्होंने मांग की थी कि प्रधानमंत्री को तुरंत मणिपुर जाकर हालात की समीक्षा करनी चाहिए और जनता को बताना चाहिए कि सरकार हिंसा रोकने और शांति बहाली के लिए क्या कदम उठा रही है।

फिलहाल, मणिपुर एक बार फिर राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है।

राष्ट्रपति शासन के बीच यदि भाजपा समर्थित गठबंधन बहुमत साबित कर पाता है, तो राज्य में नई सरकार का गठन संभव है।

हालांकि, स्थायित्व और शांति बहाली अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है।

 

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