#biharelection #electioncommission, tejasviyadav पटना। राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने गुरुवार को चुनाव आयोग पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला है. उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण के माध्यम से सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम काटने की साजिश रची जा रही है.
यह विवाद तब और गहरा गया जब चुनाव आयोग ने खुद स्वीकार किया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के दौरान 35 लाख से अधिक मतदाता अपने पते पर नहीं पाए गए.
अपने आवास पर इंडिया ब्लॉक के अन्य नेताओं के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, तेजस्वी यादव ने कहा कि SIR को लेकर विपक्ष की आशंकाएं सही साबित हो रही हैं. उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए कहा, “SIR के माध्यम से न केवल लोगों के अधिकार छीने जा रहे हैं, बल्कि उनका अस्तित्व भी छीना जा रहा है. मतदाता सूची से उनके नाम हटाकर उन्हें हर तरह की सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से वंचित करने की साजिश है”.
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उन्होंने चुनाव आयोग पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की भी अवहेलना करने का आरोप लगाया और कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस मामले पर चुप हैं और गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए काम में लगे हुए हैं.
तेजस्वी ने पुनरीक्षण प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “तीन दिन पहले, कई अखबारों ने सूत्रों के हवाले से खबर छापी कि 35 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए जाएंगे. 16 जुलाई को, चुनाव आयोग ने उन्हीं आंकड़ों का हवाला दिया. सवाल यह है कि जब प्रक्रिया अभी चल ही रही है और SIR के समाप्त होने में अभी भी आठ दिन बाकी हैं, तो इतने सारे मतदाताओं के नाम हटाने की खबर पहले ही कैसे लीक हो गई?”.
उन्होंने दावा किया कि यह दर्शाता है कि “दाल में कुछ काला है”. इस मुद्दे पर आगे की रणनीति बनाने के लिए, उन्होंने बताया कि वह 19 जुलाई को दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर होने वाली बैठक में भी शामिल होंगे.
राजद नेता ने आरोप लगाया कि बिहार में बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) पर दबाव डालकर और फर्जी हस्ताक्षर की मदद से भाजपा के लोगों द्वारा मतदाताओं की जानकारी के बिना धोखाधड़ी से उनके नाम अपलोड किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, “हमारे पास इसके वीडियो फुटेज भी हैं.
जो पत्रकार इस सच्चाई को दिखा रहे हैं, उन पर FIR की जा रही है”. तेजस्वी ने आशंका जताई कि बिहार में 12% से 15% मतदाताओं के नाम हटाने की तैयारी चल रही है और दावा किया कि 22,000 बूथों पर बीएलओ ने अभी तक काम भी शुरू नहीं किया है.
इस मुद्दे पर उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि एनडीए के भीतर ही, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी एसआईआर पर सवाल उठाए हैं, लेकिन नीतीश कुमार चुप हैं. बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश कुमार ने भी आरोप लगाया कि मतदाताओं के नाम उनके उपनामों के आधार पर चुनिंदा तरीके से हटाए जा रहे हैं.
यह मामला अब बिहार से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया, “एसआईआर अभ्यास के खुलासे भाजपा-नियंत्रित चुनाव आयोग को पूरी तरह से बेनकाब करते हैं. प्रारंभिक अनुमान बताते हैं कि इस जल्दबाजी की प्रक्रिया में 35 लाख मतदाताओं को मताधिकार से वंचित किया जा रहा है”.
उन्होंने इसे “खुलेआम वोटबंदी” करार दिया और कहा कि यह बड़े पैमाने पर चुनावी धांधली की बू देता है, जिसे हम कभी नहीं होने देंगे. विपक्ष ने बिहार में इस विशेष गहन पुनरीक्षण को तत्काल रोकने की मांग की है.
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