Akash Anand Returns in BSP

Akash Anand Returns in BSP

आकाश आनंद की BSP में वापसी संयोग या रणनीति, जानें कैसे दूर हुई बुआ-भतीजे की नाराजगी ?

Share Politics Wala News

Akash Anand Returns in BSP: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राजनीति में हाल ही में एक बार फिर से बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला है।

पार्टी प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को माफ करने के साथ ही पार्टी में दोबारा शामिल कर लिया है।

इसी के साथ मायावती ने ये भी साफ कर दिया है कि वह किसी को भी उत्तराधिकारी नहीं बनाएंगी

हालांकि, लोग हैरान है कि आखिर इतने दिनों में ऐसा क्या हो गया कि बुआ-भतीजे के बीच की दूरियां मिट गई

निष्कासन के 40 दिन बाद आकाश आनंद की फिर से पार्टी में एंट्री को संयोग या पारिवारिक मेल-मिलाप का नाम देना भी ठीक नहीं है।

राजनीतिक जानकारों का तो कहना है इसके पीछे बसपा की रणनीति है और आकाश के वापसी की स्क्रिप्ट उनके निकालने के साथ ही लिख दी गई थी।

आकाश की वापसी: संयोग नहीं, एक रणनीति

3 मार्च 2025 को मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी से निकालते हुए उन्हें “स्वार्थी और अहंकारी” बताया था।

इसका कारण था- पार्टी विरोधी गतिविधियां, गलत बयानबाजी और अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में आकर गुटबाजी करना।

लेकिन, महज़ 41 वें दिन बाद ही 13 अप्रैल को उनकी बसपा में वापसी हो जाती है।

मायावती ने यह भी साफ कर दिया कि उन्हें माफ किया गया है पर उत्तराधिकारी नहीं बनाया जाएगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह वापसी अचानक नहीं हुई।

आकाश ने अपने निष्कासन के बाद कोई विरोध या बयान नहीं दिया, बल्कि वे लगातार मायावती के ट्वीट को रीपोस्ट कर समर्थन जताते रहे।

इतना ही नहीं माफी मिलने के दो घंटे पहले आकाश आनंद ने मायावती से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी थी।

उनका सार्वजनिक माफीनामा भी पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल किया गया।

जिसे देखकर यह कहा जा सकता है कि आकाश आनंद के वापसी की स्क्रिप्ट पहले से तय थी

मायावती की शर्तें: नेतृत्व नहीं, अनुशासन और त्याग चाहिए

आकाश मायावती के सबसे छोटे भाई आनंद के बेटे हैं।

पार्टी से हटाए जाने से पहले आकाश नेशनल कोआर्डिनेटर और बसपा प्रमुख के उत्तराधिकारी थे।

हालांकि, इस बार मायावती ने आकाश को वापस लेने के साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि अब वह किसी को उत्तराधिकारी नहीं बनाया जाएगा।

उन्होंने कहा, “जब तक मैं स्वस्थ हूं, पूरी तरह से पार्टी का काम देखती रहूंगी। मेरे जीते-जी कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। पार्टी पहले है, परिवार बाद में।”

बता दें कि आकाश आनंद को पिछले 15 महीनों में दो बार उत्तराधिकारी घोषित किया गया और दोनों बार हटा दिया गया।

यह उतार-चढ़ाव केवल व्यक्तिगत राजनीति नहीं, बल्कि बसपा की निर्णय प्रक्रिया में अस्थिरता को दर्शाता है।

  • 10 दिसंबर 2023 को पहली बार उत्तराधिकारी बनाया गया।
  • 7 मई 2024 को जिम्मेदारियां छीन ली गईं।
  • 23 जून 2024 को फिर से उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाए गए।
  • 2 मार्च 2025 को फिर से सभी पदों से हटाए जाने के बाद
  • 3 मार्च 2025 को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।

ससुर का प्रभाव: बसपा के लिए चेतावनी

मायावती ने आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ को लेकर कहा कि उनकी गलतियां माफी के लायक नहीं हैं और पार्टी में उनकी वापसी का कोई प्रश्न ही नहीं है

बता दें कि राज्यसभा सदस्य रह चुके डॉ. अशोक सिद्धार्थ को भी फरवरी 2025 में पार्टी से निकाल दिया गया था।

उन पर गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लगाए गए।

मायावती ने आरोप लगाया कि अशोक सिद्धार्थ ने आकाश के राजनीतिक करियर को भी नुकसान पहुंचाया है।

यही कारण है कि मायावती ने आकाश की वापसी को “ससुर से दूरी बनाए रखने” की शर्त पर स्वीकार किया।

आकाश ने भी सार्वजनिक रूप से कहा कि वे अब किसी भी रिश्तेदार से राजनीतिक सलाह नहीं लेंगे और बसपा सुप्रीमो के निर्देशों का ही पालन करेंगे।

राजनीतिक मजबूरी या नई रणनीति ?

बसपा के पास आज ज़मीन पर कोई मजबूत जनाधार नहीं बचा है।

2007 में यूपी विधानसभा चुनावों में 206 सीटें जीतने वाली पार्टी 2022 में सिर्फ एक सीट पर सिमट गई

लोकसभा चुनाव 2024 में तो पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई और वोट प्रतिशत घटकर 9.35% रह गया

ऐसे में मायावती को युवाओं को जोड़ने के लिए एक नए चेहरे की ज़रूरत है।

आकाश आनंद पढ़े-लिखे, युवा और सोशल मीडिया फ्रेंडली नेता हैं।

लंदन से एमबीए कर चुके आकाश की छवि शहरी दलित युवाओं में कुछ हद तक प्रभावशाली रही है।

मायावती शायद उन्हें पूरी तरह से दरकिनार कर अपने लिए एक और नुकसान नहीं उठाना चाहती थीं।

एक और महत्वपूर्ण कारण है दलित वोट बैंक पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा

चंद्रशेखर आज़ाद की भीम आर्मी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में।

समाजवादी पार्टी ने रामजी लाल सुमन को राज्यसभा भेजकर दलितों को साधने की कोशिश की है।

वहीं कांग्रेस भी अपने अहमदाबाद अधिवेशन में दलित-पिछड़ों को साधने की रणनीति पर काम कर रही है।

मायावती के लिए यह स्थिति असहज करने वाली थी।

पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए उन्हें ऐसे चेहरों की ज़रूरत है जो दलित युवाओं के बीच संवाद स्थापित कर सकें।

आकाश आनंद इस भूमिका में फिट बैठते हैं, बशर्ते वे अनुशासित रहें।

आगे की राह: आकाश के लिए परीक्षा की घड़ी

आकाश आनंद पहली बार 2017 में सहारनपुर की एक जनसभा में मायावती के साथ दिखे थे।

इसके बाद वह लगातार पार्टी का काम कर रहे थे, 2019 में उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया।

यह फैसला तब लिया गया जब सपा और बसपा का गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद टूटा।

फिलहाल आकाश आनंद को कोई पद नहीं दिया गया है, लेकिन पार्टी में वापसी का रास्ता खुला है।

अब उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी, इसी के साथ कई सवालों ने भी जन्म लिया-

  • क्या आकाश आनंद पुराने अनुभवों से सीख पाएंगे?
  • क्या आकाश आनंद सच में पार्टी के हित को निजी रिश्तों से ऊपर रख पाएंगे?
  • क्या आकाश आनंद मायावती की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे?
  • क्या आकाश आनंद को फिर से कभी उत्तराधिकारी बनने का मौका मिलेगा?
  • क्या आकाश के लौटने के बाद से बसपा फिर से दलित राजनीति में वापसी कर पाएगी?

इन सवालों का उत्तर ही तय करेगा कि आकाश का बसपा में भविष्य कितना स्थायी और प्रभावशाली होगा? और आने वाले समय में साफ हो जाएगा कि बसपा की नई सियासी पटकथा क्या रंग लाती है ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

document.addEventListener("DOMContentLoaded", function() { var dropdown = document.querySelector("#gtranslate_selector select"); if (dropdown) { var options = Array.from(dropdown.options); var odiaOption = options.find(option => option.value === "or"); if (odiaOption) { dropdown.removeChild(odiaOption); dropdown.insertBefore(odiaOption, dropdown.firstChild); } } });