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तिरुअंनंतपुरम। ‘द नॉड’ की रिपोर्ट है कि पिछले महीने, केरल भर से 15 महिलाएं बारिश की परवाह किए बिना रेनकोट पहनकर एर्नाकुलम के चेल्लनम फिशिंग हार्बर पहुँचीं। वे गा रही थीं, हँस रही थीं, और V-साइन दिखा रही थीं। देखने वालों को शायद वे गहरे दोस्त लगी हों, लेकिन सच यह है कि वे एक-दूसरे को मुश्किल से जानती थी। ये महिलाएं कालीकट की कंटेंट क्रिएटर राफिया आफी की नई पहल ‘ब्रेक फ्री स्टोरीज़’ द्वारा आयोजित ‘तलाकशुदा कैंप’ का हिस्सा थीं।
\यह उन महिलाओं के लिए है जो तलाकशुदा, अलग रह रही हैं या विधवा हैं. राफिया आफी कहती हैं — “मैं बस यही दिखाना चाहती हूं /तलाक एक फुल स्टॉप नहीं, सिर्फ एक कॉमा है।
पहला तलाकशुदा कैंप मई में इडुक्की ज़िले के वागामोन की वर्षा-स्नात पहाड़ियों में दो दिवसीय यात्रा के रूप में हुआ। 17 महिलाओं ने एर्नाकुलम से केएसआरटीसी बस पकड़ी. चाय बगानों में बने टेंट्स में उनका ठहराव था। यात्रा सिर्फ 102 किलोमीटर की थी, लेकिन कई महिलाओं के लिए यह उनकी ज़िंदगी का नया अध्याय था। पहली बार वे बिना पिता, पति या बच्चों के अकेले यात्रा कर रही थीं।
त्रिशूर की रहने वाली सोफिया की शादी 17 साल की उम्र में कर दी गई क्योंकि उसके माता-पिता को लगता था कि उसकी ‘काली रंगत’ उसकी शादी में बाधा बनेगी। शादी असहनीय रही और 2023 में उन्होंने तलाक की अर्जी दी। शादी से पहले वह एक जिंदादिल लड़की थीं।
जो पढ़ना, हँसना और बातें करना पसंद करती थीं। लेकिन शादी ने ये सब छीन लिया। तलाक के बाद वह इतनी टूट गईं कि खाना, सोना, नहाना और काम पर जाना भी बंद कर दिया। डॉक्टर ने उन्हें 6 महीने के लिए एंटीडिप्रेसेंट दवाएं दीं। “मैं किसी शादी या कार्यक्रम में नहीं जाती थी, क्योंकि लोग पूछते थे तुम इतनी खुश क्यों दिख रही हो?
लेकिन कैंप में सब कुछ बदल गया। हम सबने अपना परिचय दिया और जल्दी ही दोस्त बन गए /एक लड़की बहुत अच्छा नाचती थी, तो उसने हमें सिखाया और हम सब, यहाँ तक कि एक दादी भी, मिलकर नाचे। ऐसा लगा जैसे स्कूल ट्रिप पर आए हों। 18 साल बाद मैं खुद को ज़िंदा महसूस कर रही थी,” वह कहती हैं।
कैंप में अंताक्षरी, डम्ब शराड्स, ट्रैकिंग, खाना और फायरसाइड चैट्स के अलावा, ब्लाइंडफोल्ड सेशन भी होता है, जिसमें महिलाएं आंखें बंद कर अपने जीवन की कहानियां साझा करती हैं। कैंप की फीस 2,500 रुपये है।
संस्थान की संस्थापक राफिया आफी खुद तलाकशुदा हैं। उनके दोस्तों और परिवार ने उनका साथ दिया, जो केरल जैसे जगह में अपवाद की तरह है। जहां आधुनिकता और पितृसत्ता साथ-साथ चलती हैं। जब लोग उनसे उनकी शादी के बारे में पूछते, तो वह स्पष्ट रूप से कहतीं, “मैं तलाकशुदा हूँ, और जवाब में अकसर उन्हें ‘अय्यो’ सुनने को मिलता। एक ऐसा शब्द जिसमें हैरानी, सहानुभूति या अफ़सोस छिपा होता है। “ये मेरी मर्ज़ी थी, इसमें दुख की क्या बात है?” आफी कहती हैं।
दूसरे कैंप में संगीतकार और वकील ज़ाकी जे, जो आफी की दोस्त भी हैं, बतौर कानूनी सलाहकार आईं। उन्होंने देखा कि बहुत सी महिलाएं तलाक से जुड़ी कानूनी प्रक्रियाओं से अनजान थीं। “एक महिला 6 साल से केस लड़ रही थी, लेकिन सही जानकारी से वह केस जीत सकती थी। ज़ाकी ने बताया कि उनकी माँ घरेलू हिंसा की शिकार हुई थीं और पिता को तुरंत ज़मानत मिल गई थी। यहीं से उन्होंने कानून पढ़ने का फैसला किया।
यहाँ पीएचडी होल्डर, नर्सें, बिजनेसवुमन और अब तेलंगाना जैसी जगहों से भी महिलाएं शामिल हो रही हैं। तीसरा कैंप अभी हाल में कालीकट में हुआ. अगला कैंप 19-20 जुलाई को होने वाला है।
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